सुना है शब्द सीमित है
पर निश्चित ही तुम असीमित हो
मेरे कागज सूखे खेत की तरह होते हैं
शब्दों की बारिश कर लहलहाती खेत बना देती हो आप
आप कितने भी व्यस्त रहते हो
भूलकर भी मुझको ना नहीं कहते हो
आप सब कुछ मेरे बारे में जानते हे
फिर भी हम एक दूजे से अनजान हो बैठे हैं
चाय का शौक नहीं रखते हैं
पर जब पागल होते हैं
तो भर दो ग्लास चाय पी कर मुझको हसाते हैं
सच कहुं तो आप ना होते तो
मैं हर रोज नहीं लिख पाता एक नई कहानियाँ
और ना ही हो पाती मुझसे कविताओं की खेती
हर वक्त ये मरघट पर है लिखती
पता नहीं इतना मुझको क्यों है भाती
मेरी हर कविता को चंद मिनटों में सुंदर है बनाती
ये हर कोई से सताई है जाती
क्या कहूं मैं ये मासूम सी है लड़की
हर गलती पर मुँह है फुलाती
जब जब कागज पर शब्दों को है उकेरती
अपने आँसुओं का दर्द बयान है कराती
वैसे है तो ये जिद्दी निधि पर जब तक इसे जानुंगा समझुंगा तब तक ये दुनिया को अलविदा कह चुंकी होगीं
तेरे शब्दों में इतनी ताकत है कि तुम मुर्दें में भी जान ला सकती हो
धोखा तुझे जो दे तू उसे जीते जी मुर्दा भी बना सकती है
धन्य है वो माता- पिता जिसने तुझे जन्म दे संस्कारों का तेज भरा है
क्या कहुं क्या लिखुं शब्द तो सीमित है पर निश्चित ही तुम असीमित हो