
Shanky❤Salty
गद्देदार बिस्तर पर सो कर
रजाई और कंबल ओढ़ कर
ठंड हमारी जाती नहीं
हर रोज़ किस्मत को कोश कर
अपनी आलस छोड़़ते नहीं
सड़कों पर गत्ते पर सो कर
चादर सी शौल ओढ़ कर
वो ठंड से हार मानते नहीं
हर रोज़ ज़िंदगी से जुझ कर
संघर्ष छोड़ते नहीं
Shanky❤Salty
गद्देदार बिस्तर पर सो कर
रजाई और कंबल ओढ़ कर
ठंड हमारी जाती नहीं
हर रोज़ किस्मत को कोश कर
अपनी आलस छोड़़ते नहीं
सड़कों पर गत्ते पर सो कर
चादर सी शौल ओढ़ कर
वो ठंड से हार मानते नहीं
हर रोज़ ज़िंदगी से जुझ कर
संघर्ष छोड़ते नहीं
Shanky❤Salty
गीता केवल एक ग्रंथ या पुस्तक नहीं है अपितु जीवन जीने की कला है।
गीता ऐसा अद्भुत ग्रंथ है की थके, हारे, गिरे हुए को उठाता है, बिछड़े को मिलाता है, भयभीत को निर्भय, निर्भय को नि:शंक, नि:शंक को निर्द्वन्द्व बनाकर उस एक से मिला के जीवन का उद्देश्य समझाता है।
गीता में अठारह अध्याय है जो हमारे जीवन के विकास के सर्वोपरी है।
1. अर्जुन का विषाद योग:- जब अर्जुन ने युद्ध के मैदान में अपने गुरु, मामा, पुत्र, पौत्र, ससुर, ताऊ, चाचा और मित्रो को देखा तो शोक करने लगे और मैं युद्ध नहीं करूँगा यह कह कर अपना धर्म का त्याग कर रथ के पीछले भाग में बैठ गए।
2. सांख्य योग:- श्री कृष्ण महाराज ने अर्जुन को ज्ञान योग के द्वारा समझाया की शोक करने योग्य मनुष्यों के लिए शोक करता है और वे
पण्डतों के जैसे वचनों से कहतें हैं कि “ना तो कभी ऐसा था कि मैं किसी काल में नहीं था, और ना ऐसा कभी था कि तू नहीं या फिर ये राजाजन नहीं थे और ना ऐसा है कि इससे आगे हम सब नहीं रहेंगे, तूझे भय नहीं करना चाहिए क्योंकि क्षत्रिय के लिए धर्मयुक्त युद्ध से बढ़कर दसूरा कोई कल्याणकार कतर्व्य नहीं है।”
3. कर्मयोग:- स्पष्ट शब्दों में ऋषिकेश महाराज ने समझाया है कौन से कर्म करने योग्य है और कौन से कर्म नहीं करने योग्य। और सबसे महत्वपूर्ण यह की कोई भी मनुष्य किसी काल में क्षण भर भी बिना काम किये नहीं रहता।
शास्त्रविहित कर्म कर, क्योंकि कर्म न करने की अपेक्षा कर्म करना श्रेठ है।
इसी तरह ज्ञानकर्मसंन्यासयोग, कर्मसंन्यासयोग’ आत्मसंयम योग, ज्ञान विज्ञान योग, अक्षरब्रह्म योग, राजविद्याराजगुह्ययोग, विभूतियोग, विश्वरूपदर्शन भक्तियोग, क्षेत्रक्षत्रविभागयोग, गुणत्रयविभागयोग, पुरूषोत्तमयोग, दैवासुरसंपद्विभागयोग, श्रद्धात्रयविभागयोग, मोक्षसंन्यासयोग में श्रीकृष्ण महाराज ने केवल और केवल जीवन को जीने की कला ही सिखाई।
विश्व की 578 भाषाओं में गीता का अनुवाद हो चुका है।
गीता किसी एक देश, जातियों, पंथों की नहीं है बल्कि तमाम मनुष्यों के कल्याण की अलौकिक सामग्री भरी हुई है।
भोग, मोक्ष, निर्लेपता, निर्भयता आदि तमाम दिव्य गुणों का विकास करनेवाला यह गीताग्रंथ विश्व में अद्वितीय है।
स्वामी विवेकानंद जी तो श्रीमद्भगवत गीता को “माँ” कहा करते थे।
मदनमोहन मालवीय जी श्रीमद्भगवत गीता को “आत्मा कि औषधि” कहा करते थे।
श्रीमद्भगवत गीता किसी धर्म, जाती, समुदाय, मजहब का पुस्तक नहीं है अपितु यह संपूर्ण मानव जाती के लिए है।
श्रीमद्भगवत गीता वह ग्रंथ है जो हमें सिखाती है “सुख टिक नहीं सकता और दुःख मिट नहीं सकता”
मुझे लगता है कि गीता को हाथ में रखकर कसमें खाने से कुछ नहीं होगा अपितु गीता को हाथ में रखकर पढ़ना होगा।
गीता हमें युद्ध सिखाती है अपने दुश्मनों से और प्रेम करना सिखाती है अपनों से। लेकिन हम ही अपने दुश्मन है और हम ही अपने मित्र है। कोई बाहरी हमें आकर नुकसान नहीं पहुंचा सकता है जितना हम स्वंय को अपने विचारों से और अपनी वासनाओं से पहुंचाते है।
इसलिए युद्ध तो जरूरी है लेकिन स्वयं से। जब तक खुद के रावण को नहीं जलाओगे तब तक राम से नहीं मिल पाओगे।
कहते हैं लोग नहीं है वक्त इसलिए पढ़ नहीं पाते हैं गीता को
सच कहता हूँ वक्त नहीं है इसलिए तुम पढ़ा करो गीता को
गीता जयंती दिसंबर 3, 2022
Shanky❤ Salty
गजब कि दुनिया है यार
इश्क नाम ले
जज्बातों से खेल कर वह
कितने ही मर्दों के साथ क्यों न सोए
वो अबला ही कहलाएगी
और
ईमान से
चंद रुपयों के खातिर वह
कितने ही मर्दों के साथ क्यों न सोए
वो वैश्या ही कहलाएगी
Shanky❤Salty
Main Problem of People
Is Over-Thinking,
Because We Think More
But Doesn’t Work, Act Accordingly
That’s Why We are Always Sad.
Shanky❤Salty
हमें खुशियाँ चाहिए ना
घर में, ऑफिस में, दुकान में रोड पर हर जगह
हमें खुशियाँ चाहिए ना
बच्चों से, बड़ों से, पत्नी से, पति से, माँ-बाप से हर किसी से
हमें खुशियाँ चाहिए ना
हर पल, हर क्षण हम खुशियों के पीछे भाग रहे हैं
पर क्या खुशियाँ हमें मिल रही हैं?
शायद नहीं, क्योंकि पढ़ा हैं मैंनें और अनुभव किया हैं
हर खुशी के पीछे ग़म की कतारें हीं है
कमरे क्या है बन्द दीवारे ही है
हक़ीक़त में जिसे हम अपना समझ रहे हैं
और खुशियाँ चाह रहे हैं उनसे
वहीं हमारे दुखों का कारण बन रहें हैं
वास्तविकता में जो हमारे अपने हैं
उन्हें हमने मंदिरों तक सीमित कर दिया है
उनके कहे वचनों (भगवद्गीता) को घर में किसी ऊँचे स्थान पर रख दिया हैं
कभी कभार तो हम भीखमंगा बन कर उनसे खुशियाँ माँगते है
पर दरसल वह खुशियाँ हमारे दुखों का कारण बनती है
राम जी तो अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को तैयार है
लेकिन हमारी हालत कुछ ऐसी है
जैसे सुनार की दुकान पर जाकर कोई चप्पल माँगता हो
Shanky❤Salty
नर्क की आग से भी
बद्तर जुल्म हुए
उस मासूम के साथ
वैश्यावृत्ति कि आग में
धकेल दिया था
घर वालों ने कहा था
शहर कमाने के लिए
बिटिया को भेजा था
दरसल पैसे के लिए
बिटिया को बेच दिया था
Shanky❤Salty
बहुत कुछ कहना चाहती हूँ
खयालों की मोटरी बाँध चलती हूँ
ह्रदय में एक आस लिए जीती हूँ
यूँ हीं नहीं चलती हूँ
अक्सर थक कर
दिवारों का सहारा ले कर
बैठ जाती हूँ
रोना तो चाहती हूँ
पर घूंट कर रह जाती हूँ
साँसें तो चलती है
पर लगता है ज़िन्दगी थम सी गईं है
बस ह्रदय में एक आस है
पर हकीकत में कोई भी नहीं पास है
ग़म के आँसू सुख चुके हैं
मन की प्यास भी शायद बुझ चुकी हैं
मंज़िल तक तो जाना है
पर रास्ते कब खत्म होगें पता नहीं
थक तो गई हूँ
पर जताना नहीं चाहती
कोई समझने को तैयार नहीं
जब कहती हूँ कुछ
तो हर कोई कह जाता है
हाँ मालुम है मुझको सब कुछ
पर मालूम होना ही सबसे बड़ा ना मालुम होना है
कोमल सा दिल था
जिसकी कोमलता को खत्म कर
कठोर कर दिया गया
विशवास के डोर में बाँध कर
फाँसी का फंदा दिखा दिया
प्यार दिया या दिया दर्द पता नहीं
पर दिया कुछ तुने यह पता है
शायद वह है अनुभव
अब जादा फरमाइश नहीं है
बस जो होता है
शांति से सह जाती हूँ
ना तो हूँ मैं राधा
ना चाहत है मोहन की
हूँ मैं एक इंसान
बस हर किसी से इंसानियत की
उम्मीद लगाए बैठती हूँ
Shanky❤ Salty
गद्दार भी अपने ही होतें है
और वफ़ादार भी अपने ही होतें है
भला गैरों से उम्मीद कैसा
Shanky❤Salty
रुठे को दिन रात मनाते हो
जो अपना है, उससे दिन रात भिख मांगते हो
Shanky❤Salty
वक्त बुरा है
कहने वालों
ज़रा अपने कर्मों पर भी ध्यान दे दो
Shanky❤Salty
शब्दों में अर्थ ढ़ुढ़ना सही है
पर अर्थ को अनर्थ करना
रिश्ते को व्यर्थ करने सा है
Shanky❤Salty
दुसरों का हक़ छिनने वालों का कभी पेट नहीं भरता
खुद के हक़ का बाँटने वाले का दिल कभी नहीं भरता
Shanky❤Salty
मुस्कुराना
हर ग़म को
दबाने की तरकीब है
Shanky❤Salty
वफ़ादार कुत्ते ही अच्छे लगते हैं
इंसान वफ़ादारी करें तो
इस्तेमाल में लाएं जाते हैं
Shanky❤Salty
मर तो रोज ही रहें हैं हम
और एक दिन मरना भी तय ही है
ह्रदयाघात से तड़प कर मरेंगे हम?
या युंही सोए_सोए मर जाएंगे?
रोड के किनारे लावारिस मौत होगी?
या चिंता से चिता नसीब होगी?
ज़िन्दगी एैसी हो गई है
मानो लकड़ी को दीमक ने घेर रखा हो
बोलने से दिक्कत होती थी
अब मेरे मौन से दिक्कत है
लगता है दिक्कत का मूल कारण ही मैं हूँ,
भीड़ से थक कर अकेले बैठा था
वो भी हज़म ना हुआ उन्हें
तानों की बाढ़ सी ला दी जीवन में
भीड़ को खोया या ना खोया मैनें
पर खुद को जरूर खो दिया
सुरत अच्छी हो तो लोग जिस्म नोचते हैं
सिरत अच्छी हो तो लोग रूह नोचते हैं
सवालों में उलझा कर उत्पीड़न करते हैं
मेरे लिखने का भी मतलब निकलेगें
हकीकत में तड़प कर मुझको मौत ही मिलेगा
आत्महत्या नहीं अक्सर हत्या होती है
जो किसी काग़ज़ पर लिखी नहीं होती है
यातनाएं दी तो दीं
लेकिन “हमें क्या तुम्हें जो ठीक लगे वह करो” का तमाचा भी जड़ जाती है
नींद की गोलियाँ भी क्या असर करेगी भला
जब बद्दुआओं में मेरे नाम की गालियाँ का असर हो
मुझे सुनने के लिए मेरे शब्द नहीं
तुम्हारे वक्त कम पड़ जाएंगे
नसीहतों कि पोटली बहुत है मेरे पास
लेकिन साथ चलने वाली छड़ी नहीं है मेरे पास
आत्महत्या नहीं हत्या होती हैं
तनाव होता नहीं ,दिया जाता है
Shanky❤Salty
जंगल लोगों का घर हो रहा है
घर लोगों का जंगल हो रहा है
Shanky❤Salty
जिन रिश्तों में गवाही होगी
निश्चित है उन रिश्तों में तबाही होगी
Shanky❤Salty
एक दिन और गुज़र गया
अपने घर जाने को मैं,
क्या खाया ? क्या कमाया? क्या जोड़ा?
इन्हीं चक्करों में मेरा
एक दिन और गुज़र गया,
मुट्ठी से रेत की तरह वक्त बित गया
अज्ञान की चादर ओढ़ मैंने ज्ञान की ख्वाबें सजाई
पल भर भी न मैंने जपा राम को ना रहिम को
यूंही करते करते मेरा
एक दिन और गुज़र गया
अपने घर जाने को मैं और करीब हुआ
Shanky❤Salty
दलीलें अदालतों में ही अच्छी लगती है
इश्क़ में हमारा कह देना
और आपका विश्वास कर लेना ही अच्छा लगता है
Shanky❤Salty
हमारी ये हस्ती आपसे है राम,
आपके होने से ही
ज़िन्दगी हमारी मस्ती में है राम,
है वफ़ा मुझको आपसे राम
इसलिए तो आप हमारे हो राम
और हम आपके राम,
भला वो हमारा कैसे होगा राम
जिसने भरी महफ़िल में किया है बेवफाई आपसे राम
Shanky❤Salty
दीपावली
सफाई का, उजाले का पर्व
खुशियां मनाने का ,अंधकार पर विजय का पर्व
घर-द्वार साफ करते हैं
लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए
ग़र इस दीपावली कर ले हम मन की सफाई
तो लक्ष्मी जी महालक्ष्मी जी के रूप में सदैव विराजमान रहेगी
हर दीपावली
वर्मा जी के घर से
एक किलो काजू कतली का तोहफा आता है
गुप्ता जी के घर से
एक किलो सोन पापड़ी का भी तोहफा आता है
बदले में हम भी वर्मा जी, गुप्ता जी को
उतने का ही कुछ-न-कुछ तोहफा दें ही आतें है
ताकि समाज में इज़्ज़त बनीं रहें
पर इस बीच वो चौराहे वाला अनाथ राजू बेचारा मायूस रहे जाता है
दीयें बनाने वाले की गुड़िया फुलझड़ी नहीं जला पाती है
विडंबना इतनी है की
त्यौहार केवल सम्पन्न व्यक्ति अपने आप तक ही सीमित रखता है
खुशियां बाँट तें तो हैं हम पर केवल अपने स्तर तक के लोगों तक ही
मान प्रतिष्ठा जहाँ मिलें वहीं जातें हैं
खुशियां मिलती जरूर होगी दीपावली की
पर आनंद नहीं मिल पाएंगा कभी
दीन-दुखियों के चेहरे पर मुस्कान ले आओ ना
दुसरों का हक़ छीनने से घटता है
खुद का हक़ बाँटने से दिन दुगनी रात चौगुनी बढ़ता है
हो सके तो इस बार
मिठाईयाँ उन्हें भी खिलाओ जिनके पास खाने को नहीं है
दो दीये उनके घर भी जलाओ जिनके घर के दीये बुझ रहें हैं
मन की थोड़ी बहुत भी सफाई कर लो ना
दरिद्र नारायण की सेवा कर लो ना
ह्रदय मंदिर में एक दीपक खुद के लिए भी जला लो ना
अहंकार को मिटा कर ज्ञान का दीप जला लो
हर पल हर क्षण दीपावली मनाने की ये तरकीब अपना लो
Shanky❤Salty
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Shanky❤Salty
जागरण
पुरी रात जागना
या अपने आत्मशिव में जागना
बलि
बकरे की, या किसी चिज वस्तु की
या अपने अहमं का बलि देना है
विदाई
क्या माँ हम सबसे विदा लेती है?
मेरी नज़रों में असंभव सा लगता है
हाँ, हम विदा ले सकते हैं
हम जुदा कर सकते हैं अपने मन और बुद्धि को माँ से
लेकिन माँ हमेशा मेरे साथ है और रहेगी
इसके तनिक भी संदेह नहीं है
कुपुत्र का होना संभव है लेकिन कहीं भी कुमाता नहीं होती
राम ने सब कुछ त्याग कर शांति का मार्ग बताया है
पर क्या तनिक भी त्याग है हम में है?
ग़र भुल से कही कुछ त्याग भी दिया
तो सरेआम ढ़िढोरा पीटने की बिमारी भी है
जब तक चित में त्याग नहीं होगा
तब तक चित में शांति नहीं होगी
क्योंकि शांति वही होती है जहां कुछ ना होता है
चाहे वो बाजार हो या हो मन
मेरे राम ने शस्त्र से पहले
शास्त्र उठाया था
तब जाकर शस्त्र का उन्होंने
सही ज्ञान पाया था
युं हीं नहीं राम ने
श्रीराम का ख़िताब पाया था
Shanky❤Salty
बहुत कुछ कहना चाहती हूँ
खयालों की मोटरी बाँध चलती हूँ
ह्रदय में एक आस लिए जीती हूँ
यूँ हीं नहीं चलती हूँ
अक्सर थक कर
दिवारों का सहारा ले कर
बैठ जाती हूँ रोना तो चाहती हूँ
पर घूंट कर रह जाती हूँ
साँसें तो चलती है
पर लगता है
ज़िन्दगी थम सी गईं है
बस ह्रदय में एक आस है
पर हकीकत में कोई भी नहीं पास है ग़म के आँसू सुख चुके हैं
मन की प्यास भी
शायद बुझ चुकी हैं
मंज़िल तक तो जाना है
पर रास्ते कब खत्म होगें पता नहीं थक तो गई हूँ
पर जताना नहीं चाहती
कोई समझने को तैयार नहीं
जब कहती हूँ कुछ
तो हर कोई कह जाता है
हाँ मालुम है मुझको सब कुछ
पर मालूम होना ही
सबसे बड़ा ना मालुम होना है कोमल सा दिल था
जिसकी कोमलता को खत्म कर
कठोर कर दिया गया
विसवास के डोर में बाँध कर
फाँसी का फंदा दिखा दिया प्यार दिया या दिया दर्द पता नहीं
पर दिया कुछ तुने यह पता है
शायद वह है अनुभव
अब जादा फरमाइश नहीं है
बस जो होता है
शांति से सह जाती हूँ ना तो हूँ मैं राधा
ना चाहत है मोहन की
हूँ मैं एक इंसान
बस हर किसी से इंसानियत की
उम्मीद लगाए बैठती हूँ
Shanky❤Salty
दिल उदास रहता है
क्योंकि दिल में चाहत होती है
जहाँ चाहत होती है
वहाँ मेहनत नहीं होती है
और जहां मेहनत नहीं होती है
वहां सच में किस्मत फुटी होती है
Shanky❤Salty
स्त्री के छोटे वस्त्र पर उंगली वही उठाते हैं
जो उस स्त्री को अपनी माँ-बहन-बेटी-पत्नी समझते हैं
वर्ना परायों को तो स्त्री निर्वस्त्र ही अच्छी लगती है
Shanky❤Salty
दर्द लिखूँ या लिखूँ मैं अपनी हालात
बेचैनी लिखूँ या लिखूँ मैं वो कसक,
आँखों के काले आँसूं बहे थे
जब तुम मुझे छोड़ गए थे
हाँ तुम्हारे नाम का काजल लगाया था
वो बह गए थे तुम्हारे जाने की खबर से
काँच की चुड़ियाँ जो पहनी थी वो तोड़ दी गई थी
हकीकत में मुझे काँच की तरह तोड़ दिया गया था,
तेरे जाते ही
जलते दीये को राम जी ने बुझा दिया था
मेरा सुहाग उजाड़ दिया था
विधवा नाम मुझको दिया गया
माँग से सिंदूर पोछ दिया गया
जो तेरे नाम के नाम मैं लगाया करती थी,
मैं रोती नहीं क्योंकि आँसू तो सूख गए मेरे
तुम मुझसे रूठे थे या किस्मत मेरी फूटी थी
पता नहीं
पता तो बस इतना है
जीवन मेरा बस अब अकेला है
जीवन साथी ने साथ सदा के लिए छोड़ा है,
दो चिड़ियाँ दिखाई थी तुमनें
और कहा था यह हम दोनों हैं
पर देखो ना वो दोनो तो आज भी साथ है
पर तुम क्यों नहीं हो मेरे साथ
कहाँ उड़ गए तुम?
मेरी नींद तुम उड़ा ले गए
जब से तुम सदा के लिए सोए,
आज भी मुझे याद है
जब से सुहागन हुई थी मैं
कहते थे लोग
निखर गई हूँ मैं
पर तुम्हारे जाते ही बिखर गई हूँ मैं
छन-छन पायल की आवाज से
घर गूंजा करते थे
अब मेरी चीखों की आवाज से
मेरा मन गूंजा करता है
तुम्हारी जान थी ना मैं
आज बेजान हो गई हूँ मैं,
तुम्हारा होना
और तुम्हारा होने में होना
बस दिल को तसल्ली देने वाला है
विधवा हूँ मैं
तिरस्कार की घूंट पीती हूँ मैं
श्रृंगार के नाम पर सिहर जाती हूँ मैं
सहारा नहीं मिलता बस सलाह ही मिलती है
अछुत सा व्यवहार होता है
शुभ कर्मों से हटाया जाता है
विधवा कह कर बुलाया जाता है
कोई झांकने तक नहीं आता है
ना दवा देता है ना देता है जहर
बस ताने ही मिलें हैं
बस तड़पता छोड़ जाता है
तेरे जाते ही घर का चुल्हा बुझ गया था
पर ह्रदय में आग लग गई थी
कहते हैं लोग
मैं तुम्हें खा गई हूँ
रात लम्बी होती है
पर हकीकत तो यह है
मेरी ज़िन्दगी अब विरान हो गई है
मरूस्थल-सी हो गई है
बस काँटें ही रह गए है
फूल तोड़ ले गया कोई
जात मेरी विधवा हो गई,
बैठ चौखट पर तुम्हारा
इंतजार करूँ मैं प्रियतम
आओगे ना तुम अब कभी
पर आए है मेरे आसूं तुम्हारी याद में
ले गए खुशियां तुम मेरी
ले जाते तुम भी मुझको
सती सी जलती मैं भी
चिता के साथ तुम्हारी
ज़िंदगी में नज़रें लग गए मेरी
हँसती खेलती ज़िन्दगी लुट गई मेरी
सूरज की लाली देख मुस्कुराती थी मैं
आँखें अब भी लाल ही रहती हैं मेरी पर मुस्कुराती नहीं हूँ मैं
वो तो बस कहने की बात थी
सात जन्मों के लिए मैं तुम्हारी थी
हकीकत में तो मैं असहाय थी
मेघ भी बरसे
सूरज भी चमके
पर तुम्हारी तुलसी सूखी ही रह गई
तेरे जाने के बाद
तुम्हारे बाग की फूल थी मैं
जो बिखरी पड़ी है
समाज के कुछ कुत्ते नज़र डालते है
तन का सुख देने की बात करते हैं
मेरे मन को कचोटतें हैं
लोग कहते थे
दुख बाँटने से कम होता है
पर मेरा दुख तो एक बहाना है
दरसल उन्हें मेरे साथ बिस्तर पर सोना है
ह्रदय बहुत रोता है मेरा
हाथों में तुम्हारे नाम की मेहेंदी लगाई थी मैंने
मेहेंदी की लाली चली गई
और तुम भी हाथों की लकीरों से चले गए,
इश्क़ मुकम्मल ना हो तो लोग रोते हैं
मरने की बात करते हैं
ज़रा मुझको भी बतलाओ ना
मैं करूँ तो क्या करूँ
ह्रदय तो है पर धड़कन नहीं है
जिस्म तो है पर जान नहीं है
दर्द तो इतना हैं की शब्द नहीं है बयां करने को
भला कोई क्या समझे मेरे दर्द को
मेरी पंक्तियों को वाह वाह कर चले जाएगें
मार्मिक लिख देगें
पर पढ़ न पाएगा दर्द मेरा कोई,
हे कालों के महाकाल
बगीया मेरी उजड़ गई
आज कंठ मेरा फिर से भर गया
समाज की नजरों में
राधा को कृष्ण न मिले
फिर भी कृष्ण राधा के ही कहलाए
दुख मेरा भी पच जाए
यह ज्ञान आप मुझको जल्दी दिलाए
ह्रदय की धड़कन बहुत बढ़ गई थी इसे लिखते
एक पल के लिए मैं इस स्थिति में खो गया था
शब्दों में बयां करना संभव नहीं है
बस मेरे रोम सिहर गए थे पल भर के लिए
गलतीयों के लिए माफी चाहते हैं
Modified by:- Preetii Sharma & Ziddy Nidhi
Originally written by:- Ashish Kumar
Shanky❤Salty
मैं काली हूँ, मैं काला हूँ
कह लोग अक्सर दुखी हो जातें हैं
वो काली है, वो काला है
कह लोग अक्सर मजाक उड़ाया करते हैं
हर किसी को गोरा होना है
हर किसी को साफ होना है
हमेशा गोरे-काले को तराजू मैं तौला करतें हैं
और अहमियत गोरे-साफ रंग को देते हैं
बहुत ही अच्छी बात है
पर एक सवाल है
मन में जो कालिख जमीं है
उसका क्या?
उसे कब साफ करेंगे?
उसके साथ सहानुभूति क्यों?
यहाँ पर आकर चुप क्यों हो जाते हो
ग़र भेदभाव करते हो तो अच्छे से करो ना
उसका मापदंड क्यों बदल देते हो
तन को रुप देना तुम्हारे वस में है नहीं
मन को रुप देना तुम्हारे ही वस में है पर वह तुमसे होता नहीं
मन की कालिख मिटती नहीं है
और चले है तन को गोरा करने
देख चरित्र तुम्हारा गिरगिट भी मुस्कुराता है
ना जाने यह दोगलापन तुम्हारे अंदर कहाँ से आता है
समझने की जगह जहाँ तुम समझौता करते हो
अक्सर मेरे शब्द वहाँ कठोर हो जातें हैं
Shanky❤Salty
15 अगस्त 1947 हमें आजादी मिली थी
और हर साल हम आजादी का पर्व मनाते है
हर घर तिरंगा अभियान हो रहा है
ना जाने कब हर मन तिरंगा होगा
अंग्रेजों से तो आजादी मिल गई
सब खुशीयां मना रहें हैं
ना जाने कब हमें
बलात्कार से आजादी मिलेगी
गरीबी के जकड़न से आजाद होगें
भ्रष्टाचार कि दिमक कब हटेगी
दुख और चिंता के गर्भ से कब आजाद होगें
तिरंगा लहराता है हमारा
बड़ा सुंदर लगता है देश हमारा
ग़र हो उस तिरंगे पे बैठी सोने की चिड़िया
तो क्या खूब होगा नज़ारा
देश सोने की चिड़िया तो है
पर अफ़सोस हम उस चिड़िया को पींजड़ो में कैद रखे हैं
ना जाने कब वो आजाद होगी
हर वक़्त हर पल सरकारों पर उंगली उठाते है
पर क्या हम कभी खुद पर उंगली उठाते हैं
शायद नहीं
क्योंकि हम अपने पर दोष क्यों देखेंगे
वैसे भी बुराईयां दुसरों में दिखती है
खुद में देखने का हिम्मत नहीं है
हम अपने कर्तव्यों का निर्वहन पुरी निष्ठा से शायद ही करते हो
पढ़ाई करते वक्त फाकीबाजी
काम करते वक्त कामचोरी करते हैं
जैसे तैसे नौकरी पाते हैं
फिर अपने कुर्सी पर जम कर केवल पगार पाते हैं
और वक्त-बे-वक्त बस उंगलियाँ उठाते रहते हैं
सच कहूं ग़र मैं
तो मेरी नज़रों में
अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही से न करना
देश के साथ गद्दारी है
ग़र सही से पढ़ेगें नहीं तो देश के प्रति क्या सेवा करेंगे
काम में कामचोरी देश के प्रति चोरी
क्या देश का किसान समृद्ध है?
क्या देश का जवान प्रसन्न है?
कह दो ना नहीं है
कब तक यह नौटंकी होगी?
एक दिन का आजादी का पर्व मनाना
और
पुरे वर्ष देश को छती पहूँचाना
वह भी अपने कर्मों से
मेरी नज़रों में यह 15 अगस्त केवल अंग्रेजों से आजादी का पर्व है
दरसल हम सब अभी भी दुख, चिंता, भ्रष्टाचार, गरीबी, व्यभिचार
बलात्कार, शोषण, घृणा, जलन इन सब चिंजों से आज़ाद नहीं हुए है
और ना जाने कब होगें
ह्रदय दुखता है मेरा यह सब देखके इसलिए ना चाहते हुए भी सच को लिख देता हूँ एक उम्मीद लिए कि कास हम सुधर जाए।
खैर छोड़ो हर बार कि तरह आप सभी को भी इस स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
बड़ी ही मेहनत से इस देश को आजादी मिली है….ज़रा सी मेहनत हम भी कर अपने ह्रदय को राग-द्वेष से आजाद कर सच्चे अमृत महोत्सव का संकल्प पुरा कर सकते है।
Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- Ziddy Nidhi
Shanky❤Salty
यक़ीनन धागे कच्चे हैं
पर रिश्ते बेहद ही मजबूत हैं,
क्योंकि बंधन यह तो
प्रेम और वात्सल्य से,
रक्षा करने के संकल्प से बांधने
का पर्व है रक्षाबंधन,
बहन भाई को, भाई-बहन को
बाप-बेटे को, बेटे बाप को
भाई-भाई को, पड़ोसी-पड़ोसी को
वृक्ष को, प्रकृति को, समाज को
हर कोई हर किसी को
रेशम के धागे बाँधें या ना बाँधें
पर रक्षा करने का संकल्प से जरूर बांधें
क्योंकि जरूरी है समाज को और प्रकृति को
प्रेम और वात्सल्य की
जो जहर मन में भरा है उसे खत्म कर के ही
पर्व मनाना है
खुद के बहन के लिए दुपट्टा हो
और दुसरो की बहन बिना दुपट्टा के हो
यह मुखौटा कब तक…?
यह रक्षाबंधन कुछ बेहद करना है
रक्षा करना ही है तो सबका करना है
Shanky❤Salty
वो कहते है ना..
“मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती है,
जो ना समझे तो पानी है !!”
यार मोती और पानी की बात हीं छोड़ो
ग़र हकीकत में वो समझते इतना
तो आँखों में आँसू ही ना होते।
Written by:- Ashish Kumar
Voiceover by:- Saaera Siddiqui
Shanky❤Salty
सुना है,
बिल्ली दूध का जला
छाछ भी फूँक-फूँक
कर पीती है,
मतलब यही ना
एक बार चोट खाने
पर ज़्यादा संभालकर
चलना चाहिए…!
पर हम तो शायद
उस बिल्ली से भी गए गुजरें हैं
लाख ठोकर खाकर भी नहीं सुधरते हैं
हर पल उन खुशियों से खेलते हैं
जहां ग़म की कतारें हो
बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू, गुटखा
छल, कपट, प्रपंच, धोखा
यही सब में अपने आप को लगाए हुए हैं
सुनने में और कहने में बहुत अच्छा लगता है
पर अमल करने में……
खैर छोड़ो कुछ नहीं……!!!!
Shanky❤Salty
किन्नर….!
ईश्वर का प्रसाद हूँ मैं
पर लोगों के लिए एक अभिशाप हूँ मैं
माँ बाप का अंश हूँ मैं
पर तिरिस्कार का वंश हूँ मैं
ना महिला ना पुरुष
हाँ किन्नर हूँ मैं
जब जब खुशियां आती हैं
तब तब तालियाँ बजाई जाती हैं
पर मेरे तालियों से लोगों के मुँह बन जाता है
ना जानें क्यों पराया सा व्यवहार होता है,
हूँ तो आखिर इंसान ही ना मैं
लड़कियों सा मन है मेरा
लड़कों सा तन है मेरा
बसते हैं ह्रदय में राम हैं मेरे
फिर भी हर पल हर क्षण तिरस्कार की घूंट ही पीती मैं
तिल तिल कर जीती हूँ मैं
चंद रुपयों के बदले हम आशीर्वाद हैं देतें,
दरसल बात रुपये की नहीं है
बात तो पापी पेट की है
गर मिला होता सम्मान समाज में
या मिला होता सामन अधिकार समाज में
तो शायद आज चंद रुपयों के खातिर अपमान का घूंट ना पीती मैं,
छक्के, बीच वाले, हिजड़े के नाम से ना जानी जाती मैं
ग़र घर में खुशियाँ आती हैं
बिन बुलाए हम चले आते हैं
ना जात देखते हैं ना देखते हैं धर्म
बस तालियां बजा कर अपने मौला से उनकी खुशियों किटी दुआएँ करते हैं
यक़ीनन बद्दुआएं मिलती है मुझको ,पर देती हर पल दुआएँ ही हूँ मैं
आशीष हर किसी को चाहिए हमारी
पर कोई माँ हमें कोख से जन्म देना नहीं चाहती है
कहते है लोग, हूँ मैं विकलांग शरीर से
पर शायद मुझसे घृणा कर अपनी सोच तुम विकलांग कर रहे हो
खैर छोड़ो,,,
ना नर हूँ ना नारी
हूँ मैं संसार में शायद सबसे प्यारी
हाँ मैं किन्नर हूँ…..!!!!!
मालिक
मोहे अगले जन्म ना औरत करना ना मर्द करना
करना मोहे किन्नर ही,
मन में ना तो छल है ना है कपट
है तो बस प्रेम तोहे से पिया
Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- Ziddy Nidhi
Shanky❤Salty
संत सताये तीनों जाए तेज़, बल और वंश
ऐसे-ऐसे कई गये, रावण, कौरव, कंस
मुहम्मद इक़बाल मसऊदी की
कुछ पंक्तियाँ याद आ रही हैं
यूनाँ मिस्र रोम सब मिट गए जहां से
बाकी मग़र है अब तक, नामो निशां हमारा
कुछ बात तो है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सिदयों रहा है दुश्मन दौर-ए-जहां हमारा
जड़ों को काट कर हम फल की उम्मीद कर रहें हैं
संतों, महापुरुषों को सता कर विश्व शांति कि उम्मीद कर रहें है
स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालयों कि डिग्री है ना तुम्हारे पास
फिर क्यों नहीं देश में अमन, चैन, शांति कायम कर पा रहें हो?
छोड़ो हटाओ
खुद को शांत क्यों नहीं कर पा रहें हो
ज़रा-ज़रा सी बात पर तनाव, क्रोध, हिंसा, चिड़चिड़ापन
आखिर क्यों
बहुत पढ़े हो तुम सब ना इसिलिए तो यह हाल है
घर में बात होती नहीं है अपनों से
और सोशलमीडिया पर हज़ारों फॉलोवर्स बना अपनापन दिखा रहें है
कोई पशु से प्रेम कर रहा है तो कोई पौधों से तो कोई चीज़ वस्तुओं से
पर हर पल हर छण मानवता कि हत्या हो रही है
मानवीय मूल्यों का गला घोटा जा रहा है
हम एक दुसरों से प्रेम कब करेंगे
बस स्वार्थ है और स्वार्थ है
ह्रदय में पीड़ा होती है
जब भी संतों का तिरिस्कार देखता हूँ तो
फिर से कहता हूँ
जड़ों को काट कर हम फल की उम्मीद कर रहें हैं
संतों पर अत्याचार कर हम विश्व शांति कि उम्मीद कर रहे हैं
पर एक सवाल जरूर उठता होगा कि आखिर है क्या
इन बाबाजी के पास जो ये विश्व शांति और मानव मात्र के हितैषी है
तो जवाब सिर्फ एक ही है
ज्ञान ज्ञान ज्ञान और सिर्फ ज्ञान
वो भी गीता का ज्ञान
जिससे वो हर एक के भीतर अनहद नाद जगा सकते हैं
पर हम तो जड़ों को काट कर फल की उम्मीद कर रहें हैं
बुराई और दोष हमें बहुत जल्दी दिख जाती है
पर उनका निस्वार्थ सेवा कभी दिख नहीं पाता है
विकास के पथ पर हम नहीं विनाश के पथ पर बढ़ रहें है
मन में जहर है इसलिए तो समाज में भी वही घोल रहें है
ह्रदय में प्रेम नहीं है इसलिए प्रेम की चाहत रखतें है
ग़र है तुम्हारे अंदर करूणा, प्रेम, ममता, माधुर्य तो ज़रा बाँट कर दिखलाओ
पर सच में तुम तो जड़ों को काट कर फल की उम्मीद कर रहें हो
खैर छोड़ों मर्जी तुम्हारी हैं
जैसा करोगे वैसा ही भरोगे
वर्ष 2021 में एक पुस्तक लिखी थी “सच या साजिश ?: संस्कृती पर प्रहार” हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों में। वह भी मात्र ₹१-२ के मुल्य पर आशा करता हूँ आप सब पढ़ेंगे और अपना विचार जरूर रखेंगे।
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Shanky❤Salty
जहां चाह हैं
वही राह हैं
पर जब तक चाह होगी
तब तक राह रहेगी
मंजिल कभी ना मिलेगी
रहीम साहब कि बात याद आती हैं
चाह गई चिंता मिटी,
मनुआ बेपरवाह।
जिनको कछु नहि चाहिये,
वे साहन के साह
जब चाहत मिटेगी तभी हमें मंजिल मिलेगी
वैसे भी सभी दुखों का द्वारा चाहत ही हैं
Shanky❤Salty
एक सृष्टि है
सुंदर-सी प्यारी-सी बेहद खुबसूरत-सी,
जब उस सृष्टि को बाँटा गया
तो बहुत से ग्रह, नक्षत्र, तारे, सितारे हो गए,
उसमें हमारी पृथ्वी हो गई
अब उसे भी महाद्वीपों में बाँट दिया,
महाद्वीपों को देशों में विभाजित कर दिया
देशों को राज्यों में बाँटा गया
राज्यों का जिला में बटवारा हुआ
जिला का अंचल में विभाजन हो गया,
अंचल से प्रखण्ड में
प्रखण्ड से गाँव, गाँव से मुह्ह्ल्ले, कसबे कर के बाँटता गया….
खैर छोड़ों,,,,
यहाँ तक तो थोड़ा ठीक था
जब जन्म हुआ
तो कहाँ जन्म हुआ?
मतलब किस घर में, किस कुल में ,किस धर्म में, किस जात में,
हिन्दू ,मुस्लिम ,सिक्ख, ईसाई कह कर खुद को बाँटें
फिर हिन्दू में भी ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र मे बाँटें
मुस्लिम होकर भी शिया ,सुन्नी में खुद को बाँटें,
चलो कोई नहीं,,,,
घर में भी माँ, बाप, भाई, बहन, सगे-संबंधी में भी बटवारा
जमीन का टुकड़ा भी बाँटा
पैसे का बटंवारा किया
यह सोच कर कि बाँटने के बाद वह मेरा होगा
पर हकीकत तो सामने तब आई
जब मृत्यु दरवाजे पे आई
और मुस्कुरा कर कही
“चलो वक्त हो गया है तुम्हारा ,जो है तुम्हारा सब बाँधो और साथ ले चलो”
दो पल रूक देखा मैंने
आखिर बचा ही क्या है मेरा
शुरुआत से अंत तक तो सिर्फ बाँटा ही बाँटा है
भला बाँटने से कोई भी चीज बढ़ती थोड़ी है….?
फिर क्या था
सब कुछ छोड़ जाना पड़ा
रंग तो बेशुमार हैं
और उन बेशुमार रंगों में
रंग सात हैं इंद्रधनुष के
पर हकीक़त तो यह है कि
उस सात रंगों में भी
रंग एक ही है
रंग-ए-सफ़ेद इश्क़ का…
मेरे मौला का…
Shanky❤Salty
One more book is done by your blessings & kind support.
First of all, I offer my gratitude by bowing to God. Who inspired me to write. I thank my parents. The existence of this book would have been difficult without his blessings. I am grateful to those writers readers and critic bloggers who helped me to excel in my writing. I would also like to thank Preeti Sharma ji and Radha Agarwal ji. I would like to express my sincere thanks to Sachin Gururani for the help he has given in making the cover of my book. To all those who helped me and did its proof reading and to all those who increased the respect of my creation with their thoughts. Also, a heartfelt thank you to all those who helped me write this book.
In this book I have written my journey. Yes, the final journey has shown the reality of death.
Yes, death!! that death which is known to all, but don’t know when it will come but it won’t kill us. I have written this book like satire in the form of lines after studying & understanding Shrimad Bhagwat Geeta, reading the voices of saints and great men.
What we call the final journey? In fact, is completely different from the point of view of spirituality. We keep the truth under the mask and call the lie as truth. The truth has been written just by removing the veil of that lie.
Hope you all read this book and take your life towards truth.
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Shanky❤Salty
समाज की बुराईयां हर किसी को दिख जाती हैं
पर कम्बख्त उसे दूर करने के बजाए
उसी सामाज में बैठ, उसी समाज की बुराई करते हैं
वो कहते हैं ना,,,,,
मौला-मौला लाख पुकारे पर मौला हाथ ना आए,
पानी-पानी रटतें-रटतें प्यास ही मर जाए,
एक चिंगारी लब पर रख लो लब फौरन जल जाए,,,,,,
ग़र चाहते हैं हम हकीकत में बदलाव
तो खुद से शुरूआत हम क्यों न करते हैं?
काम न करने वाला मुरख बस बुराईयां ही ढूंढता रह जाता है
Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- Ziddy Nidhi
Shanky❤Salty
वक्त बदल गया है,
कहने वालों….ज़रा तो शर्म करो
कम्बख्ख़त तुम्हारा ईमान बदल गया है,
कभी तो क़बूल करो
Shanky❤Salty
अख़बारों पर ख़बरें छपती हैं
पर हालतें नहीं छपती हैं
अख़बार बेचने वालों की……
खुश-खबरी छपी,
गमों की ख़बरें भी छपीं,
और फिर दो रूपये में अख़बार बिकी
या फिर ज़िन्दगी बिकी
अख़बार बेचने वालों की……
Modified by:- Nidhi Gupta
Originally written by:- Ashish Kumar
Shanky❤Salty
जब इश्क़ की बात होगी
तब नौ महीने कि इब़ादत सबसे पहले होगी
Shanky❤Salty
परिस्थिति अनुकूल हो तो सब आजु-बाजू ही नज़र आते है
पर जब परिस्थिति विकट हो तो निकट नज़र कोई नहीं आता है
परेशान था मैं, कुछ अनुकूल ना था
हाँ मेरा व्यवहार भी कुछ पल के लिए प्रतिकूल था
कमरे कि बिखरी चीजों में तुम्हें खोजता था
यकिनन मेरे पैर अब लड़खडाते है
आँखों से भी कम नजर आता है
धड़कनों का तो तुम्हें पता ही है
लिखना तो छूट रहा है अब
हर किसी से मेरा रिश्ता टूट रहा है अब
ऊंगली मुझको नहीं उठानी है
वक्त, हालात और तुम पर
हाँ गलती मेरी ही है और गलत भी मैं ही हूँ
लगाम मेरी नहीं थी ज़ुबां पर
इसलिए तो हर कोई ख़फ़ा है मुझ पर
क्या लेकर आया था मैं
और लेकर क्या जाऊँगा मैं
चार दिन की ही है ज़िन्दगी
ना तो भीड़ साथ जाएगी
और ना ही तुम
ठीक है मेरी आवाज अच्छी थी
मेरी कुछ हरकतेें अच्छी थी
हाँ यार वो सब था
पर अब नहीं
खैर छोड़ों ये सब बातें
स्वास्थ्य तो जा ही रहा है
साथ ही धन दौलत भी
अब तो मैं चलता हूँ
हो सके तो तुम आ जाना
ग़र नहीं
तो अंतिम यात्रा कि ख़बर मिल ही जाएगी
हाथ जोड़कर ही कहता हूँ
साँसें है तब तक ही साथ रहो ना
साँस रूकते ही मैं यादें बन तुम्हारे साथ रह लूंगा ना
Modified by:- Preetii Sharma
Originally written by:- Ashish Kumar
Shanky❤Salty
Invest money gives a return.
But invest time with Imrana
Gives me unachievable memory
Shanky❤Salty
दो दोस्त मिलते हैं तो क्या होता है?
चुगली होती है तीसरे की 😆
पर जब दो लेखक मिलते है तो सिर्फ
किताबों कि ही बात होती है
चाहे वो मंजुर नियाज़ी साहब की हो
या हो कबीर जी की बातें
नालंदा विश्वविद्यालय की बातें हो
या हो मगध विश्वविद्यालय की बातें
राम जी की भी बातें और अल्लाह की बातें भी
केदारनाथ की बातें और अमरकंटक के नर्मदा की भी बातें……
बातें है खत्म कहाँ होती है……?
जब निकलती है तो बहुत दुर तक जाती,
उम्र में तो हम माँ बेटे जैसे हैं
हकीकत में खून का रिश्ता नहीं,
पर हाँ हैं तो हम दोनों ही उसी ब्रह्म के संतान…….
कहतीं तो वो मुझको बेटा है
और मैं उन्हें आण्टी
कुछ लोग कहते हैं वो आण्टी नहीं माँ जैसी लगती हैं
तो कुछ कहते किसी जन्म की माँ जरूर होगीं वो मेरी,
पर जो भी हों, हैं तो मेरी सबसे प्यारी आण्टी जी,
हर रिश्ते में स्वार्थ देखा
पर यहाँ सिर्फ निस्वार्थ और निश्छल प्रेम ही छलकता देखा है,
दोनों के उम्र में इतना फर्क है और मिले भी पहली बार हैं
पर अपनापन सा महसूस होता है
पता ही न चला वक्त कब बित गया,
कुछ मिठाईयाँ और चॉकलेट ही लेकर गया
और आपने भी कुछ पैसे दिये
पर वह सब तो वक्त के साथ खत्म हो जाएगा
लेकिन आपका वात्सल्य और माधुर्य प्रेम
तो मेरे साथ आशीर्वाद बन कर भी हमेशा रहेगा
चाय तो जल्दी पीता नहीं था
पर आपके साथ चाय पर चर्चा भी हो गई
पेट भरा था फिर भी
आपके साथ खाना खाने की किस्मत राम जी ने लिख ही दिया था…….
बात तो हुई हरिणा दीदी के बारे में, मधुसूदन अंकल, कुमूद दीदी,
निधि दीदी, प्रीति, वर्मा अंकल, पदमा-राजेश आण्टी की बातें
राम जी की भी बातें, हरि नारायण की भी बातें हुई
शंकर से नर्मदा का कंकर तक
मृत्यु से मोक्ष तक
जीवन से जीवन जीने की कला तक
बस माँ भवानी की कृपा हम दोनों पर बनी रहें
सच में आपसे मिलकर जितनी खुशी हुई
उतनी खुशी और कभी किसी से भी मिलकर नहीं हुई थी
आप स्वस्थ रहे और हमेशा लिखते रहें
Modified by:- Nidhi Gupta & Preetii Sharma
Originally written by:- Ashish Kumar
Shanky❤Salty
दिल भारी है
मन सवाली।
दुनिया ये अजीब है
बातें सबकी जाली।
Let’s Connect on Instagram
Shanky❤Salty
हनुमान चालीसा हर किसी को पढ़ना है
किसी को घर में
तो किसी को रोड़ पर
तो किसी को मस्जिदों के सामने
तो किसी को मंदिरों में
इसके घर के बाहर
तो उसके घर के बाहर
बड़ी बड़ी रैलियाँ निकालनी है
पर किसी को भी
हनुमान जी की तरह
वाणी में विनय नहीं रखना है
ह्रदय में धैर्य नहीं रखना है
सदाचार रख नहीं सकते
ब्रह्माचर्य का तो नामों निशान नहींं है
है तो है
बस
चित में राग और द्वैष
खैर छोड़ो
हनुमान चालीसा हर किसी को पढ़ना है
Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- Ziddy Nidhi
Shanky❤Salty
मंदिर गए थे कुछ लोग
हाँ भीख माँगने ही
देखा था मैंने उन्हें
माना कि हाथ में कटोरा ना था
पर नियत में भीख ही थी
अमर होने कि भीख माँग रहे थे
यह देख राम जी मुस्कुरा रहे थे
और मुस्कुराए भी तो क्यों नहीं
राम जी ने ही तो द्वापर युग में
कृष्ण रूप में आकर मानव मात्र के लिए
जब गीता का ज्ञान दिया अर्जुन को
तो उन्होंने स्पष्ट कहा था
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥
अर्थ है:
आत्मा को
न शस्त्र काट सकते हैं,
न आग उसे जला सकती है।
न पानी उसे भिगो सकता है,
न हवा उसे सूखा सकती है।
स्पष्ट है, तुम तो हमेशा से ही अमर हो फ़िर भी कटोरा लेकर भीख क्यों? अज्ञान से या नासमझी से या मुर्खता से?
जब माँग रहे हो राम जी से तो राम जी को माँगो ना। यह चिटपुटिया चीजें क्यों माँगोंगे?
हाथ पर गीता रख कसमें नहीं खानी चाहिए। हाथ में गीता लेकर उसको पढ़ना चाहिए।
गाड़ी में बैठ गए तो गाड़ी नहीं बन जायेंगे। घर में बैठ गए तो घर नहीं बन जायेंगे।
मेहेंदी का पत्ता दिखता हरा है पर वास्तविक में तो लाल है।
कब पहचानोगे अपनी लाली को??? अपनी यात्रा को सच में अंतिम कर लो नहीं तो जिसे अंतिम यात्रा कहते हो ना दरसल हकीकत में वो अंतिम होती नहीं।
Modified by:- Preeti Sharma
Inspired by:- Sonali
Originally written by:- Ashish Kumar
Shanky❤Salty
Hello my lovely Readers & Writers,
Hope you are not fine😁
If you are fine then
I’m sure you all forgot me😅
Btw, come to the point.
I’m planning for my 11th book named as
“My Last Journey”
Totally based on death.
How we welcome
A newborn body
To
The last farewell of a body.
Because without your support
My words are incomplete.
So I request you to all
Please give your valuable
Suggestion about the topic in this form
👇
Or Give your suggestion in the comment box
Shanky❤Salty
Poison Is No Longer
Found In The Market
They Are Easily Available
In The Mind Of The People
Shanky❤Salty
What are you seeing
In the mirror ??
Beauty is not there
In the mirror,
It’s hidden
In the eyes of beholder
Shanky❤Salty
“समाज क्या कहेगा”
यह शब्द इंसान के भीतर इंसानियत को
ज़िंदा रखने में बहुत मदद करता है
Shanky❤Salty
शरीर की गंदगी तो हर सुबह धो ही देते हो
मन की गंदगी कौन सी सुबह धो रहे हो
Published by Anonymous on behalf of Shanky_Salty
Shanky❤Salty
तुम मिलो या ना मिलो
पर तुझे पाया है तो पाया है मैंने,
ना तो इश्क़ की बात करेंगे
और ना ही इबादत की,
हम बात करेंगे तो
सिर्फ और सिर्फ तेरी ही बातें
ग़र मिल जाते तुम
तो फ़िदा ना होते हम,
ये अल्फ़ाज़ तुम्हारें ना होते
जो हम आज लिख रहें हैं,
आँखों से आँसू युंही न छलकते,
तुझको ही पुकारूँ,
ग़र मिल जाते तुम
तो फ़िर किसपे हम मरते
Shanky❤Salty
सच कहना बहुत आसान होता जा रहा है
सच सुनना बहुत ही कठिन होता जा रहा है
Shanky❤Salty
मकसद उनका सुंदर सुशील बहु घर लाना नहीं होता
बल्कि नोटों से भरी सुटकेस, गहने घर लाना ही होता है
पाल पोस कर वो बेटे नहीं बकरे तैयार करते है
जिन्हें वो शादी के नाम पर बेच देते है
Shanky❤Salty
मेरी एक दोस्त है,
नाम है उसका रिया
है तो मेरी सबसे अच्छी दोस्त
लेकिन Attitude है उसके
अंदर बहोत।
फिर भी जैसी भी है,
अच्छी है मेरी दोस्त।
चलो चलते है दुसरे दोस्त पर
नाम है उसका Samar
वो है मेरे क्लास का मोनीटर
सब पर रोब जमाता है,
आता है कुछ भी नहीं फिर भी,
अपने आप को smart समझता है
जब क्लास में टीजर नहीं हो
वो भी Attitude दीखता है।
लेकिन फिर भी,
मेरा सच्च दोस्त कहलाता है।
अब आता है तीसरा मित्र
उसका नाम है Shanky
मैं उसे चिढ़ाती हूँ snaky-snaky-snaky
जब भी उससे बातें करू
मुझे परेशान करता है,
है मेरा सबसे प्यारा दोस्त।
दीदी दीदी बुलाता है।
~ Imrana!
Thanks For Reading
A Lovely poem written by my Cute-cum-Funny Imrana Didi✨❤
Please give your views in the comment box about this poem.
Shanky❤Salty
बैठा हूँ भीड़ में ही
पर रूठी है भीड़ मुझसे
किरदार हज़ारों हैं
पर ख़ामोशी नहीं मुझमें
बस मौन हूँ मैं
हस हस कर ज़िन्दगी काट रहे हैं वो
आखिर कब तक हम
भीड़ में जियेगें
यात्रा तो अकेले ही करनी है
बेशक अंतिम यात्रा में भीड़ तो होगी
पर केवल शमशान तक ही
उसके आगे की यात्रा में
क्या वो भीड़ साथ निभाएगी???
Modified by:- Ziddy Nidhi
Shanky❤Salty
When Feelings Turn Into Words
And
Words Turn Into Books
Then Your Happiness Turn Into Immense Happiness
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Shanky❤Salty
धन्यवाद सदाशिव शंभू
रूपये, पैसे, धन, दौलत, दिमाग खर्च कर के वो नहीं मिल सकता है जो आपने महाशिवरात्रि की रात्रि में दिया है। धन्यवाद सदाशिव शंभू धन्यवाद🙏💕
चारों प्रहर में पुजा हुई आपकी
दुध से, दही से, धी से, मधु से
विल्वप्रत्र से, जल से, चंदन से
पर शंभो यह चिज, वस्तु
आपके शिवलिंग स्वरूप में टिक न सकी
पुष्प मुरझा गए, दुध, दही, जल तो बह गए
जो भी अर्पण की सब उतर गया शंभू
बस आप थे, हैं और सदा रहेंगे
ठीक वैसे ही हम भी है शंभू
गाड़ी में बैठ गए तो खुद को गाड़ी नहीं मानते हैं
घर में रहते हैं तो खुद को घर नहीं मानते हैं
जग को देखा था अब तक शंभो
पर आपने तो उसे ही दिखा दिया जिससे सारा जग है
सुख-दुख सपना है केवल शंभू ही अपना है
ना तो अन्न लिया ना लिया जल
पर शंभू ने जो दिया है उसे शब्दों में बयां करना संभव नहीं है
तृप्त कर अनहद नाद दिया है
✨धन्यवाद सदाशिव शंभू धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद सदाशिव शंभू✨
Shanky❤Salty
देखा है मैंने
भाँग पीने से
नशा चढ़ता है
ठीक उसी प्रकार
तेरा नाम मेरे अंतः में बसता है
पर तेरी सौगंध खा कहता हूँ मैं
भोले बाबा के नाम से ही सारी ज़िंदगी सुधरता है
https://drive.google.com/file/d/18XiGiZGHuchPbKAms6dcw08QAzRvAP_Y/view?usp=drivesdk
Shanky❤Salty
शिवरात्रि सोने का नहीं
जागने का दिन है
अपने आत्मज्ञान को
जागाने का दिन है
अपने शिव स्वरूप में
विश्रांति पाने की रात्रि है
उपवास करने का दिन है
पर भूखे नहीं मरना है
शरीर से कुछ भी
न खाओ-पीयो
पर अपनी आत्मा को
राम रस-शिव रस से
तृप्त कर दो
सुंदर श्रृष्टि को देखते हो
पर यह श्रृष्टि जिससे है
उसको क्यों नहीं देखते हो
मेहंदी के पत्ते भी खुद को
हरा ही समझते है
उन्हें भी अपनी लाली का
अंदाज़ा नहीं है
तुम भी
चीज, वस्तु, रूपये, पैसे में
खुशियाँ ढूढ़ते हो
तुम्हें भी अपनी शक्तियों का
अंदाज़ा नहीं है
कब तक खुद को
खुशियों और ग़म की
जंजीरों से बाँधें रखोगे
खुद को शरीर समझ कर
कब तक जुल्म ढहाओगे
हिंदू मुसलमान समझ कर
कब तक झोपड़ियों में रहोगे
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र, सिया, सुन्नी समझ कर
कब तक खुद को ठगोगे
गोरे काले भी तो समझते हो ना
आखिर कब तक
राजा हो या रंक असली औकात
तो शमशान में दिख ही जाती है
इस महाशिवरात्रि शिवजी पर दूध, घी, जल, बेलपत्र, फूल, फल चढ़ा कर पुजा करो या ना करो
पर अपने आत्म स्वरूप से उस आत्म शिव की पूजा जरूर से जरूर करना।
भोले बाबा कहते हो उन्हें
तो वो कहीं हिमालय पर, गुफाओं में, मंदिरों में, मस्जिदों में तुम्हें मिलें या ना मिलें मुझे पता नहीं है। पर तुम्हारे भीतर वो तुम को जरूर से जरूर मिलेगें।
बस करबद्ध प्रार्थना है सबसे इस महाशिवरात्रि अपने अंतःकरण में अपने भीतर अपने आप से मिल कर देखों। मेरा वादा है आप सबसे फ़िर कुछ भी देखने को बाकी नहीं रह जाएगा।
नाहं वसामि वैकुण्ठे योगिनां हृदये न च
मद्भक्ता यत्र गायन्ति तत्र तिष्ठामि नारद।।
Modified by:- A Wonderful Writer Radha Agarwal
Shanky❤Salty
जिस्म की आग मिटते ही
जब गलती का एहसास होता है
तब खुदा का दिया हुआ तोहफा
कचड़े के ढ़ेर में फ़ेका हुआ होता है
Modified by:- Ziddy Nidhi
Shanky❤Salty
अमृत
है तलाश सबको अमृत की
ऐसी चीज़ जिसे खा-पीकर
अमर हो जाना है
पर कमबख़्त उन्हें कैसे समझाऊँ मैं
कि दुनिया में ऐसी कोई चीज़ ही नहीं
जो तुम्हें मार सके
तुम तो सदा ही अमर-चैतन्य हो
बस ज़रूरत है तो तुम्हें उस आत्मज्ञान रूपी अमृत की
शुरू करो जश्न कि तैयारी…..आ रही है महाशिवरात्रि
Modified by:- A Wonderful Writer Radha Agarwal
Shanky❤Salty
वो कहते है ना..
“मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती है,
जो ना समझे तो पानी है !!”
यार मोती और पानी की बात हीं छोड़ो
ग़र हकीकत में वो समझते इतना
तो आँखों में आँसू ही ना होते।
Modified by:- A Wonderful Writer Radha Agarwal
Shanky❤Salty
क्यों हर दफ़ा मेरी हरकतों को
नापते तौलते रहते हो?
यार! तुम तो दोस्त हो, कोई बनिया थोड़ी हो
Shanky❤Salty
सफाई वहाँ पर दी जाती है,
जहाँ पर गंदगी हो
पर जहाँ बेवजह प्रश्न चिन्ह हो,
वहाँ पर मौन ही काफी है
Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- Ziddy Nidhi
Shanky❤Salty
चीज़, वस्तु, रुपए, पैसे गिर जाए तो हम उसे दुबारा उठा सकते है
लेकिन अगर हमारा चरित्र गिर जाए तो उसे हम कभी दुबारा उठा नहीं पाएँगे
अटल जी के चरणों में ये पंक्तियाँ समर्पित है
Shanky❤Salty
“गीता”
यह तो माँ है, माँ!
शरीर रूपी माँ नहीं
आत्म रूपी माँ है
ज्ञान रूपी माँ है
थके, हारे, गिरे हुए को उठाती है
बिछड़ों को मिलाती है
भयभीत को निर्भय,
निर्भय को नि:शंक
नि:शंक को निर्द्वन्द्व
बनाकर
नारायण से मिला के
जीते जी मुक्ति का साक्षात्कार कराती है
मेरी माँ “गीता”
ऐसा पढ़ा है मैंने,,
श्री कृष्ण के मुख से निकली है “गीता”
श्री विष्णु का ह्रदय है “गीता”
परन्तु, वास्तव में
“गीता” तो किसी मजहब, पंथ, समुदाय, जाती, धर्म, विषेश का नहीं है
बल्कि यह तो जीवन जीने की कला है
जिस तरह रोता हुआ बच्चा
माँ की गोद में आकर चुप हो जाता है
वैसे ही “गीता” माँ को पढ़ कर
हर बच्चा, बुढ़ा, जावन अपने आप को निश्चित कर सकता है
578 भाषाओं में “गीता” का अनुवाद को चुका है जिसका भी मन है पढ़ने को वो
किसी भी भाषा में “गीता” को पढ़ सकता है
मैं आज “गीता जयंती” पर शुभकामनाएं क्या दुंगा आप सब को…….बस करबद्ध प्रार्थना है 24 घंटे में से मात्र 24 ससेकेंड “गीता” रूपी माँ के गोद में बिताए। मैं तो इतना विश्वास से कह सकता हूँ कि विश्व में “गीता” के समान कोई दूसरा ग्रंथ नहीं है
Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- Ziddy Nidhi
Shanky❤Salty
हाँ मैं लड़की हूँ!
मेरे चरित्र पर उँगली उठाए जाते हैं
आँखों से मेरे कपड़े भी उतारे जाते हैं
मैं जंगल में जितना जानवरों से नहीं डरती
उतना तो रोड़ पर घुमते मानव रूपी दरिन्दों से हूँ डरती
मेरे सीने को देख
कभी किसी ने आम कहा,
तो किसी ने संतरा कहा,
किसी ने उसे छुना चाहा,
तो किसी ने उसे नोचना चाहा,
सड़ जाते मेरे ये दो फल
तो अच्छा होता
हर किसी को चाहिए होता है यह फल
सोशल मीडिया में अपने मेसेजस चेक करो
तो जितने भी अंजान मेसेज हैं
उन सब को उतसुकता है
मेरे जिस्म का नाप जानने की
कितने बड़े है मेरे फल?
उम्र क्या है मेरी?
साथ चलोगी तुम मेरे?
मेरे साथ सोउगी?
मैं तुम्हें खुश कर दूंगा
कितना लोगी?
कितने यार है तेरे?
हर पल चिंतित रहती हूँ मैं
हाँ मैं लड़की हूँ!
किसे अपनी व्यथा सुनाऊँ?
अपने दोस्तों से कहती हूँ
तो उन्हें मुझसे ज्यादा
इस तरह के मेसेजस और कमेंटस आतें हैं
चौदह साल का लड़का भी पीछे पड़ा है
साठ साल का बुढ़ा भी साथ सोने के लिए मर रहा है
साथ काम करने वाला बंदा भी मौके के फिराक में बैठा पड़ा है
हाँ मैं लड़की हूँ!
माना कि गलती मेरी थी
छोटे कपड़े मैंने पहने थे
पर उनका क्या
जिन्होंने हिजाब पहनना था?
तुमने तो अपनी आग में नवजातों को भी नहीं छोड़ा था
कहूँ तो क्या कहूँ मैं
लिखूँ तो क्या लिखूँ मैं
स्तन ही तो था
जिससे दुध निकलता था
ऐसा दुध
जिसे न तो गरम करना पड़े और न ठंडा
जैसा है वैसा ही अमृत तुल्य है
उस स्तन से निकल दुध को पीकर तुम बड़े हुए थे
और आज उस स्तन को ही नोचने पर आदम हुए हो?
हाँ मैं लड़की हूँ!
नहीं, नहीं
मैं तो खिलौना हूँ
मेरे जिस्म को नोचना दरिंदो का काम
मेरी आत्मा के मसलना अपनों का काम
एक महिला को स्तन कैंसर हुआ था
उन्होंने राम जी को धन्यवाद देते हुए
“शर्म के दो पहाड़” कविता लिख दी थी
कहा था उन्होनें “अब तुम पहाड़ पर उंगलियाँ नहीं चढ़ा पाओगे,
जिस पहाड़ से दूध की धार बहती थी
अब वहाँ से मवाद बहतें हैं,
अब पहाड़ के जगह समतल मैदान बचें हैं।”
दरिंदों ने दर्द इतना दिया की अब वे दर्द में भी खुश है।
हाँ मैं लड़की हूँ!
Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- Ziddy Nidhi
Shanky❤Salty
हैलो हरिणा दीदी,🤗
आज आपका जन्मदिन है। 😍
लेकिन ना तो मैं आपको आज गिफ्ट दे पाऊँगा।😔
और ना ही आप मुझे पार्टी दे पाएंगे।😒
लेकिन फिर भी 15 दिन पहले से ही
आपके जन्मदिन के लिए मैं उत्साहित था। 🥳
क्या करूँ ? क्या करूँ ? के चक्कर में कुछ भी नहीं कर पाया। 😑😣
लेकिन कोई नहीं दीदी जल्दी ही आप
सात समंदर पार आओगे
फिर बहुत सारा गिफ्ट्स दुंगा😇
और पार्टी भी आपसे लूंगा।🥰
आप तक पहुँचने का सबसे अच्छा और
एक ही जरिया है,
आपकी लिखी किताब “जीवन के शब्द“
पता नहीं क्या लिखूँ मैं आज दीदी,
ना कोई राज है,
और ना ही कोई ख़्वाब है
बस एक चाहत है🙏
आप जहां भी रहें 🤗
चेहरे पर मुस्कान बना रहे 😁
जरुरी नहीं की हम रोज ही बात किया करें 🥺
बस जितना भी बात करें आपसे
वो यादें हमेशा ताजा रहें 🤩
और जल्दी से आप
इस साल 5बुक पब्लिश करें 🥳
ताकि उसे मैं अपने बुक सेल्फ में जगह दे सकुं
“ख़लील जिब्रान” ने कहा था ना दीदी
“साथ होने के लिए हमेशा पास खड़े होने की ज़रूरत नहीं होती।“
बस राम जी से एक दुसरे के लिए प्रार्थना ही काफी है🙏
खैर ! जो भी हो मेरी बक-बक तो रुकेगी नहीं🙈
इसलिय हरिणा दीदी आपके जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं 🥳
बस मस्कुराते रहे🤗
सारी अलए-बलाए दूर खुद-ब-खुद हो जाएगीं 🙏
Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- Ziddy Nidhi
Shanky❤Salty
When I write,
I always feel your presence
With your fragrance
In my breath
Don’t know why I smile
With some tears
Seriously, I don’t know
This is our memories or your love
Shanky❤Salty
The Flowers of Faith
Who Grew on the Tree of Love,
Broke Several Times in Anger,
Lost Between Leaves of Issues,
Trample Down Under Misunderstandings.
Still…
Don’t Know How??
Habitually a New Flower Every Time Bloomed…
September 04, 2021
Shanky❤Salty
A wonderful poem written by my cute-cum-funny princess Imrana.
Please give your views in the comment box about this poem.
Shanky❤Salty
पुस्तक स्त्री-मन की समीक्षा।
स्त्रीमन एक कविता संग्रह है, जो स्त्रीयों के विचारों को दर्शा रही है। इसमें सभी उम्र और वर्ग की औरतों की सोच को ध्यान में रखा गया है।
इस किताब की यह बात अच्छी है की इसमें औरतों की सभी तरह की भावनाओं को प्रस्तुत करने की कोशिश की गयी है जैसे चिंता, बंधन, प्रेम, दुखः, महत्वकांक्षा, जोश और समाजिक सोच का उनपर असर। कुछ कविताएँ तो ऐसी भी हैं जिनको पढ़ कर सब दृश्य
चलचित्र की तरह आंखों के सामने चलता अनुभव होता है। ऐसी कुछ कविताओं में मेरी पसंदीदा हैं- स्त्री-मन, वैश्या और बोझ। पर इस पुस्तक में मुझे सबसे अच्छी वो कुछ कविताएँ लगीं जो किसी भी महिला को जोश से भर देने के लिए काफी हैं, जैसे- तू चलती रह, नारी हूँ आज की हूँ, वो योधा है। इस पुस्तक में माँ और बच्चे के रिश्ते पर भी कुछ एक कविताएँ हैं। और बहुत सारी ऐसी कविताएँ भी हैं औरतों के घुटन और सामाजिक और पारिवारिक बंधन को दर्शा रहीं हैं जैसे- कभी बेचारी, रूह मेरी, चमकता आकाश, असमानता। कुछ कविताएँ प्रेम विरह पर भी हैं जिनमें मुझे सबसे अच्छी लगी- मैं अजीज नहीं।
मेरी तरफ से यह एक बेहद असाधारण एंव बेहतरीन कविता संग्रह है जो अपने पुस्तक शीर्षक को बहुत अच्छे तरीके से सार्थक करती है।
इसलिए मैं अपनी रेटिंग इस पुस्तक के लिए 5 star देना चाहूँगा।
उम्मीद है मेरी तरह बाकी पाठकों को भी यह किताब पसंद आयेंगी और मेरी यह समीक्षा उन्हें सही मार्गदर्शन देंगीं।
और सभी से अनुरोध भी करता हूँ कि किताब को एक बार जरूर पढ़ें।
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First of all, I bow my gratitude to God, who has inspired me to write, I thanks to my mother “Pramila Sharan” and father “Shatrughan Sharan“. Because without his grace I would not exist.
I am grateful to those writers-readers and critic bloggers, who helped me in my writing.
I also thank Radha Agarwal Ji and Nidhi Gupta “Jiddy”. I would like to thank those who helped me and did proof reading of it and made my words beautiful.
The help that Sachin Gururani did in making the cover page of my book I thanks them wholeheartedly.
Apart from this to all those who have helped me directly or indirectly.
This book is a Journey of Old Age Home to Orphanage Home in a poetic manner.
This book is written for the mature reader. It’s purpose is not to hurt anyone’s feelings. It is written in the favor of every person, society, gender, creed, nation or religion. These are the author’s own views. Hope that by reading this book, you will try to understand and appreciate the author’s point of view. It is merely an attempt to portray social reality. The aim of the book is to promote peace, non-violence, tolerance, friendship, unity, prosperity, happiness and integrity.
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Shanky❤Salty
देश आजाद हुए तो सदियाँ बीत गयीं
पर क्या हम आजाद हो पाए हैं?
हाँ
हम की बात कर रहा हूँ मैं
हमें ये मिले तो हमें खुशी होगी
हमें वो मिले तो हमारा दुख मिट जाएगा
हमारी खुशियां तो उस चीज-वस्तु मैं कैद हैं
फिर भी हम स्वयं को आजाद कहते है ना?
कितने ही जन्म ले कर हम मिट गए
फिर भी सुख के पीछे हम भाग रहे हैं
और दुख हमारे पीछे भाग रहा है
ज़रा दो वक्त ठहर के तो देखो
मेरी बातें मान के देखो न
अपने आप को पहचान के देखो न
सीमित दायरे में स्वयं को ना बाँधों
एक दफा मुक्त कर के तो देखो
जो कभी बँधा नहीं है
उसे तुम चीज-वस्तु, राग-द्वेष, भय-क्रोध में बाँध रहे हो
जरा भीतर तो देखो
तुम्हें स्वयं कि आजादी का पता चल जाएगा
कुछ ज्यादा बोल गया ना मैं, खैर छोड़ों
देश के स्वंत्रता दिवस की आपको हार्दिक बधाई🎉🎊
Shanky❤Salty
भूत की गोद में सो कर
हर कोई भविष्य की सोच सकता है
लेकिन भविष्य कोई बना नहीं सकता है
Shanky❤Salty
वो खड़ी है दरवाजे पे
ले जाने को तुम्हें
मृत्यु रुप धरे
ग़र तुम डर गए उस वक्त
तो तुमने वो आनंद नहीं पाया
भले ही क्यों ना तुमनें परमानन्द को पाया
Shanky❤Salty
Biological Clock of Human Body
The internal mechanisms that schedule periodic bodily functions and activities is know as Biological clock or Circadian Rhythm.
3am to 5am-(The life force is especially in the lungs)
Those who wants their body is healthy and active then This is the best time for drinking some lukewarm water, walking in the open air and doing pranayama. People who get up in Brahmamuhurta are intelligent and enthusiastic and those who stay asleep, life becomes dull.
5am to 7am – (The life force is in the large intestine)
This is the time for defecation and the bath should be done. Those who defecate after 7 o’clock in the morning have many diseases.
7am to 9am – (The life force is in the stomach)
At this time we can take only milk or fruit juice or any beverage items
9am to 11am – (The life force is in the pancreas and spleen)
This time is suitable for food. Drink lukewarm water (according to convenience) sips in between meals.
11am to 1pm – (The life force is in the Heart)
There is a law in our culture to do mid-evening around 12 noon from 11 to 1 pm. During this time Food forbidden. This time is known as Sandhya Kaal. This time is best for reading, writing, singing or doing spiritual things.
1pm to 3pm– (The life force is in the small intestine)
About 2 hours after the meal should drink water according to thirst. Eating or sleeping at this time hinders the absorption of nutritious food and juices and the body becomes sick and weak.
3pm to 5pm – (The life force is in the bladder)
If you drink water 2-4 hours before this time, there will be a tendency to pass urine at this time. And you’ll never suffer from kidney or urine disease.
5pm to 7pm – (The life force is in the kidney)
Light food should be taken at this time. Do not eat for 10 minutes before sunset to 10 minutes after (in the evening). Milk can be drunk three hours after meals in the evening
7pm to 9pm – (The life force is in the brain)
At this time the brain is especially active. Therefore, except in the morning, the lesson read in this period is remembered quickly.
9pm to 11pm – (The life force is in the spinal cord)
This time provides maximum relaxation. The awakening of this time exhausts the body and the intellect.
11pm to 1am – (The life force is in the gall bladder)
The awakening of this time produces bile disorders, insomnia, eye diseases and brings early old age. New cells are formed during this time.
1am to 3am – (The life force is in the liver)
The awakening of this time spoils the liver (liver) and the digestive system.
Rishis and Ayurvedacharyas have said that it is forbidden to eat food without feeling hungry. Therefore, keep the quantity of food in the morning and evening in such a way that during the time mentioned above, one feels hungry freely.
Shanky❤Salty
बिन बुलाए आ ही जाती है वो
हमें पता नहीं उसके वक्त का
पर पता है उसे सही वक्त का
हजारों मिन्नतें कर लो
लाख जतन कर लो
वो आएगी
ना समेटने का वक्त देगी
ना पुछने का वक्त देगी
बस कर्मों का हिसाब देगी
क्यों ना तु धन लाख कमाया है
सुना है देश-विदेश का वैद्य तु बुलाया है
पर हकीकत में कुछ भी काम ना आया है
जब दरवाजे पर दस्तक उसका आया है
हाँ वही
सही समझे
मौत
Shanky❤Salty
1. Yaado K Panno Se: कुछ बाते कुछ किस्से मेरे यादों के पन्नों से
In this book I have written about some of my experiences. Some, such feelings have been written which are completely empty. Some past has also been written, some society’s character and face too. This is a hindi poetry book.
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2. Read Then Think: It’s not only a Book but it’s my Feeling
This is an English motivational quotes collection book. In this book I have written only as much as I have lived life and embraced death. That too by smiling and drinking the poison of pain.
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3. Unmanned Ground Vehicle Using a GSM Network
This book presents a Global System for
Mobile Telecommunication (GSM) network based system which can be used to remotely send streams of 4 bit data for control of USVs. Furthermore, this book describes the usage of the Dual Tone Multi-Frequency (DTMF) function of the phone, and builds a microcontroller based circuit to control the vehicle to demonstrate wireless data communication.
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4. Sach Ya Sajish ? / सच या साजिश ?: संस्कृती पर प्रहार
This Hindi book is written for the mature reader. It’s purpose is not to hurt anyone’s feelings. Neither is it in favor or opposition of any person, society, gender, creed, nation or religion. These are the author’s own views. Hope that by reading this book, you will try to understand and appreciate the author’s point of view. It is merely an attempt to portray social reality. The aim of the book is to promote peace, non-violence, tolerance, friendship, unity, prosperity, happiness and integrity.
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5. Truth or Conspiracy: Untold Story by Indian Media
This book is a translation of Sach Ya Sajish? Book. In this book you may read about many untold story by Indian Media & what conspiracy is being hatched against Indian culture.
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6. Kaun Hai Ram / कौन हैं राम
Whenever you will read this book, you will feel a divine power.
Yes, the divinity and power of Lord Rama.
Your Soul will rejoice. You will feel energetic and enthusiastic. Your heart will be filled with extreme pleasure. There’s a possibility that you may shed tears. I am confident that you will have a serene experience, an experience indescribable in words.
Let’s see what is your experience.
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Shanky❤Salty
आँखें हमारी है
तो इसे हम
दुसरों की बुराई देखने के लिए
क्यों इस्तेमाल करते हैं?
जुबान हमारी है
तो इसे हम
दुसरों की चुगली करने के लिए
क्यों इस्तेमाल करते हैं?
कान हमारा है
तो इसे हम
दुसरों की निंदा करने के लिए
क्यों इस्तेमाल करते हैं?
दिमाग हमारा है
तो इसे हम
दुसरों का अहित करने के लिए
क्यों इस्तेमाल करते हैं?
ये जो अपने शरीर को तुम अपना मान बैठे हो ना
उसे तुम अपने स्वयं के लिए,
अपने राष्ट्र हित के लिए,
अपने समाज हित के लिए
क्यों नहीं इस्तेमाल करते हो?
कहा था कबीरा ने
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय
वक्त है संभल जाओ, नहीं तो अंत में रोना ही पड़ेगा
Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- Ziddy Nidhi
Shanky❤Salty
गरीब है जनाब
पेट के भूख की कीमत जानते हैं
इसलिए तो
रोटी के टुकड़े कर सब में बाँटते हैं
क्योंकि सुना है हमने
पेट भरते ही
इंसान अपनी औकात भूल जाते हैं
Shanky❤Salty
मास्क हम लगाएंगे नहीं
“वैक्सीन” ?
अरे ये मैंने किसका नाम ले लिया
सुना है इसको लगाने से
नपुंसकता आती है?
यार एैसे भ्रामक और बेहुदी
अफवाह हम फैलाएगें
और दोष की अंगुली
सरकार पर उठाएगें
अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है
महंगाई बढ़ रही है
पेट्रोल-डीजल की तो
बात ही छोड़ो जनाब
दो साल से
मुफ्त अनाज तो ले ही रहें है
मुफ्त वैक्सीन भी ले ही लेगें
दफ्तरों में भी कोरोना का नाम ले
कामचोरी भी कर लेगें
दो पैसे के टैक्स बचाने में
हम तो माहिर है जनाब
आठ-दस बच्चे पैदा कर
पंचर की दुकान खोल
देश के संसाधनों को खत्म कर
सरकार को गाली देने
का काम हम बखूबी करेगें
पर अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट कर
हम कोरोना की
तीसरी लहर का स्वागत के करेगें
यक़ीनन मौतें कम थी
कोरोना की दुसरी लहर में
कोई नहीं मौत के आकड़े
हर रोज घर में गिनना
अपने मतों से बहुमत
दे कर सरकार बनवाना
फिर उसी सरकार को
पुर्ण रूप से गलत ठहरा देना
हमें बखूबी जो आता है
Written by:- Ashish Kumar
My words are incomplete without support of Ziddy Nidhi
Shanky❤Salty
कबीर दास या कबीर खान
हिंदू बोलो या मुसलमान
जात ना पूछो मेरे मालिक की जनाब
बस कबीर को जान लीजिए ना
फिर ना ही मैं रहा, ना ही तू रहा
का आत्मा दीप भीतर जलते देख लीजिए ना
वो कहते हैं ना
कोई नहीं है अपना
ये जग है तो एक सपना
जो भी जीवन में आएगा
कुछ-न-कुछ हुनर सिखा ही जाएगा
बस फर्क इतना है
कि हम क्या उनसे सीख जाएंगे
यक़ीनन ज़िंदगी है
तो चलना है बढ़ना है
पर भीड़ को लेकर
या भीड़ में रह कर
अपने आप का साक्षात्कार कर
ये फैसला हमको करना है।
चलती चाकी देखकर सो कबीरा दिया रोय
दुइ पाटन के बीच में आके साबुत बचा ना कोय
चलती चक्की देख के, हँसा कमाल ठठाय।
कीले से जो लग रहा, ताहि काल न खाय
ये दो दोहे है, एक कबीर के तो दुजे कमाल के। ज़िंदगी कि वास्तविकता है इन दोहे में अपनी आत्मचेतना को जगाने के लिए। इस कबीर जंयती पर मैं क्या श्रद्धांजलि अर्पित करूँ उन्हें। उनके दोहे और उनके विचारों से मैं तो उन्हें भावंजलि ही अर्पित कर सकता हूँ।
Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- Dr. Sakshi Pal
Shanky❤Salty
चेहरे सब कुछ बयां कर देते है
कभी-कभी लफ़्ज़ों की ज़रूरत नहीं होती है
Shanky❤Salty
सही समझे
मृत्यु
हाँ मैं मृत्यु के बारे में ही लिख रहा हूँ
वो मृत्यु जो मुझे मार नहीं सकती है
पर हाँ आपको ज़रूर मार सकती है
ग़र आप स्वयं को जीवन समझते हैं तो
मृत्यु उसे ही स्वीकारता है
जो जन्म को स्वीकारता है
ना तो मेरा जन्म हुआ है
ना ही मेरी मृत्यु हो सकती है
ये शरीर का जन्म होता है
तो मृत्यु भी उसी की हो सकती है
हमारी नहीं, कभी नहीं
स्वयं नाथ जी भी हमें नहीं मार सकते हैं
यक़ीनन वो सर्वसमर्थ हैं
पर हमें मारने में कभी भी नहीं
अपनी उर्जा को पहचानों
वो कहते हैं ना अज्ञानता का जीवन किसी मृत्यु से कम नहीं है
महेंदी के पत्ते में ही उसकी लाली छिपी होती है
एक बीज में ही जन्म और मृत्यु छिपा है
मृत्यु एक वस्त्र बदलने की प्रक्रिया है
बस और कुछ नहीं
अर्थ स्पष्ट है मेरे शीर्षक का
इस जीवन की यात्रा
अंतिम होनी चाहिए
कोई कितना भी बुलाए
लौट के नहीं आना है
यह जीवन अनमोल है
व्यर्थ ना गवाओ
मोक्ष की उस स्थिति को जान लो
मर्जी तुम्हारी है
सुख-दुख कि चक्की में पिसना है
या उस चक्की के कील से लग कर
और अपनी यात्रा को अंतिम करना है
अब अलविदा कहता हूँ
कुछ पल के लिए
जो इस आत्मज्ञान से निकला वो तो डूब गया
और जो इस आत्मज्ञान में डूबा वो तो हो गया पार…!!
Shanky❤Salty
ये रिश्ता बड़ा मजबूत है
बेश़क हमने ही चुना है
जमाने ने जड़ें जरूर काट दी हैं
पर मजबूती से दोस्तों ने थामा ही है
कुछ नए मिलें हैं
तो कुछ पुराने बाकी हैं
शब्दों का मेल है
दोस्त मेरे सच में अनमोल हैं
बारिश का मौसम आ चुका है
तुम भीगना ज्यादा मत इसमें
पर गलतफहमियों की धुल ग़र जमीं हो
तो उसे धो जरूर देना मेरे यार
वो कहतें है ना
यादें बहुत आती है
पर वो वक्त नहीं आ पता है
यकीनन हम झगड़ते बहुत थे
पर दुआओं में भी हम ही थे
वक्त की धुंध में बहुत कुछ छुप जाता है
पर आँखों से ओझल नहीं हो पता है
नासमझ जरूर हूँ
पर समझाना सिर्फ तुम्हीं को आता है
सुख हो या दुख हो
कुछ ने सीढ़ीयों सा इस्तेमाल किया
पर कुछ अभी भी दोस्ती का फ़र्ज़ निभा रहें
हर परेशानीयों का उपाए है उनके पास
दोस्त हैं तो ज़िन्दगी मकबुल है
ना जिस्म की बात होती है
ना ही रूह की होती है
बस ज़िन्दगी को खुल कर जीने की इबादत होती है
ना खुदा ने बनाया है
ना खुद हमने बनाया है
दरसल ये रिश्ता खुद-ब-खुद बन आया है
भावनाओं का जो मेल हो पाया है
निस्वार्थ ही ये रिश्ते निभ रहे हैं
और निभते रहेगें
चाहत कुछ भी नहीं है
बस जहाँ भी रहें
अपनी मौज में रहें
यही दुआ है उनकी
चार धाम की यात्रा
साथ कर पाय या ना कर पाए
पर हमारी अंतिम यात्रा में
वो शामिल हो जाएं
ये ही आखिर ख्वाहिश है हमारी
Shanky❤Salty
जामाने को कठोर कहते हो
माँ के कोमल ह्रदय को छोड़
उस जमाने में फसे रहते हो
Shanky❤Salty
बच्चें माँ-बाप के साथ
अब नहीं रहतें…..
बल्कि अब माँ-बाप
बच्चों के साथ रहतें हैं
Shanky❤Salty
अकेलापन जैसा कुछ भी नहीं होता है
ग़र अकेलेपन को तुम महसूस करतें हो तो
यकीनन तुमनें खुद का भी साथ छोड़ा ही दिया होगा
Shanky❤Salty
तुझे देखने के लिये ही
मंदिरों में भीड़ लगती है
हमनें तो तुझे
हृदय मंदिर में ही देख लिया है ।
तुझे पाने के लिए लोग काबा गये
हमनें तो तुझे इंसानों में ही देख लिया है ।
कहाँ खोजूं मैं तुझे कहाँ तू नहीं है
वो ज़गह ही नहीं है जहाँ तू नहीं है
खाने वाला भी तू खिलाने वाला भी तू
बरसाने वाला भी तू भीगनें वाला भी तू
सुनने वाला भी तू सुनाने वाला भी तू
जीवन देने वाला भी तू लेने वाला भी तू
ओ सुनने वाले ज़रा मुझ पर यूँ रहम अदा फ़रमा दो
इस काया को मिट्टी में मिला कर मुझे खुद में मिला दो…!!
Shanky❤Salty
हाथ की लकीरों पर उन्हें ही भरोसा होता है
जिन्हें खुद पर भरोसा नहीं होता है
Shanky❤Salty
ये जिंदगी
कुछ रेलगाड़ी सी हो गई है
कि तुम अभी कुछ वक्त -साल
अपनी ही सीट पर बैठे रहो,
तुम बाहर तो देखो
पर तुम बाहर मत निकलो
क्योंकि बाहर करोना जो है,
तुम खाओ, सो, उठो
और फिर खा कर फिर से सो जाओ,
बस जिंदगी रेलगाड़ी सी हो गई है
सब बैठें हैं अपनी-अपनी सीटों पे,
पर एक दुजे से अनजान हैं,
तुम इंतज़ार करो रेल रूकने का
वरना चार जन भी नहीं मिलेंगे
तुम्हारे जनाजे को उठाने के लिए,
बिलख-बिलख रोएगी तुम्हारी जोड़ी
पर जंगल की लकड़ी भी नसीब नहीं होगी
तुम्हें पंच तत्व में विलीन करने को,
तुम घबराओ नहीं
जल्द ही रुक जाएगी ये रेलगाड़ी
ग़र सब्र के साथ तुम बैठोगे अपनी सीटों पे
हाँ टिकट लेना ना भुलना
राम नाम का
नहीं तो कटने में देर ना लगेगी
Shanky❤Salty
जो हुआ, सो हुआ
अब बस किसी से बदला मत लेना
अगर हो सके तो खुद में थोड़ा बदलाव लाना
May 10, 2021
Shanky❤Salty
गाँठ
चाहे मन में हो
या तन में हो
हकीकत में वो जीने नहीं देते हैं
वक्त है खोल दो गांठ
और खुल कर जी लो
कोई नहीं चाहता
डूबना
पर ध्यान से जो निकला
वो डूब गया
और जो डूबा
वो सब कुछ पा गया…!!
May 6, 2021
Shanky❤Salty
दुनिया अच्छी नहीं लगेगी
ग़र पीछा छुड़ा अपमान से
भागोगे
पीछे मान के
तो हक़ीक़त में
दुनिया अच्छी नहीं लगेगी
मिला ग़र मान थोड़ा कम तो
मन में उदासी छा जाएगी
मिला ग़र अपमान थोड़ा भी तो
मन में क्रोध की जवाला भड़क जाएगी
यार कैसे समझाऊँ मैं
ये मान-अपमान जह़र की पुड़िया है
ग़र इतना समझ जाओगे तो
दुनिया अच्छी लगेगी
April 24, 2021
Shanky❤Salty
हर पन्ने पर ख़्वाब लिखा है
ज़ख़्मों की स्याही से हमनें
एक किताब लिखी है
ज़ालिम ये दुनिया, ज़ालिम ये ज़हान है
सुना था हमनें हर ज़गह
कितने रहमदिल हैं ये पता किया नहीं हमनें
कपड़े मैले ज़रूर हैं
पर दाग़ नहीं है इसमें…!!
April 21, 2021
Shanky❤Salty
पाया उसे जाता है राम
जो कहीं खोया है राम
ढूंढा उसे जाता है राम
जो भुलाया है राम
आप कहाँ से आओगे राम
आसमान से टपकोगे राम
या धरती फाड़ आओगे राम
कहीं से नहीं न राम
क्योंकि आप तो हर ज़गह विद्यमान हो राम
चींटी की पुकार हो राम
या मस्जिद कि अज़ान हो राम
आप सब सुनते हो राम
आप तो उर्जा रूप में राम
हर ज़गह हो राम
मैं मर भी नहीं सकता राम
न मैं जी सकता हूँ राम
बस आप में बस सकता हूँ मैं राम
शिव भी मैं ही हूँ राम
शक्ति भी मुझमें ही राम
भक्ति भी मुझमें ही है राम
रावण भी मुझमें ही है राम
मंदिर मूर्ति मस्जिद अज़ान राम
ये सब तो प्रतीक हैं मात्र हैं राम
परछाईं को कोई वास्तविक समझ ले राम
तो यह ना समझी है राम
फ़ोटो को अगर जीवित समझ ले राम
तो क्या करूँ मैं राम
हर किसी की आस्था का प्रणाम है राम
पर आगे भी तो बढ़ना होगा न राम
कब तक तस्वीरों में अटकेगें हम राम
यह संभव नहीं है राम
कि एक ही वक़्त पर हर कोई राम
मंदिर में आपकी पूजा कर सके राम
मस्जिद में बैठ आपको पुकार सके राम
पर यह तो संभव है राम
कि मन मंदिर में बैठ मानस पूजा कर सके राम
शिव रुप में हम शिव की पूजा करेंगे राम
राम रुप में हम राम रस पियेंगे राम
अल्लाह रुप में हम अल्लाह से मिलेंगे राम
हे चिदानंद रुप राम
क्या चढ़ाऊँ मैं तुमको राम
जो सास्वत है राम
उसे कैसे नश्वर अर्पण करूँ मैं राम
चार दीवार के अंदर बैठता हूँ मैं राम
तो चार दीवार ही दिखती है मुझको राम
बाजार में बैठता हूँ मैं राम
तो बाज़ार ही दिखता है मुझको राम
जब राम रुप में बैठता हूँ मैं राम
तो सब राम राम राम ही दिखता है मुझको राम
हद में तुझको ध्याया है राम
तो मानव ही रह गया हूँ मैं राम
बेहद जब तुझको ध्याया है राम
तो तेरा दूत बन कर ही रह गया हूँ मैं राम
अनहद हो कर जब तुझको ध्याया है राम
तो राम रूप में ही ख़ुद को पाया हूँ मैं राम
सब अपने हैं राम
सबके अपने हैं राम
देने में तो आप कंजूसी नहीं करते हो राम
फ़िर हम क्यूँ आपको जपने में कंजूसी कर देते हैं राम
मन नहीं लगता है आपमें हमारा राम
आपको हम ख़ुद से अलग समझते हैं राम
हे राम
अब इच्छा नहीं होती है राम
कि आपको मैं मानव रूप में पूजा करूँ राम
आपको तो आप रूप में ही हो कर पूजना है राम
अब आपको दूध, दही, जल नहीं चढ़ना है राम
आपको तो मन और बुद्धि चढ़ाना है राम
आपको पुष्प और विल्वपत्र क्या चढ़ाऊँ मैं राम
आपको तो सत्व, रज और तम चढ़ाना है राम
आपको क्या भोग लगाऊँ मैं राम
आपको तो प्यार से गले लगाना है राम
क्या दीपक जलाऊँ मैं राम
अब तो आँखों में वो उजाला लाना है राम
जिससे सब कुछ और सबमें राम ही राम दिखे राम
अब क्या कहूँ मैं राम
अब मुझे इससे अधिक कुछ भी नहीं आता है राम
अब मुझे आपको भजना भी नहीं है राम
ना मुख से जपना है राम
ना हाथों से जपना है राम
अब आप हमें भजो न राम
अब हम पायेंगे आपमें ही विश्रा-राम
राम-राम-राम-राम-राम-राम-राम-राम-राम-राम