
Shanky❤Salty
वो लड़की देखने नहीं
खामियाँ निकालने आतें हैं,
पल भर में ही
फुल सी गुड़िया में
लाखों नुक्स निकाल
अपनी औक़ात दिखा जातें हैं
Modified by:- Ziddy Nidhi
Originally written by:- Ashish Kumar
Shanky❤Salty
वो लड़की देखने नहीं
खामियाँ निकालने आतें हैं,
पल भर में ही
फुल सी गुड़िया में
लाखों नुक्स निकाल
अपनी औक़ात दिखा जातें हैं
Modified by:- Ziddy Nidhi
Originally written by:- Ashish Kumar
Shanky❤Salty
The Last Page of Life is a very good book.
If you want to read a heart of Woman, then I will highly recommend you this outstanding book because the topics are very real and you will surely get answers to your questions.
If you are down in your life, then go ahead with this book.
It’s a good book to read in a poetic way with some deep & truly divine quote.
If you haven’t read this then what did you read?
Must recommend to all just try one.
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The author of this book is Suma Reddy who is sensitive yet strong & simple yet elegant. A mother of 4 years old and a techie by profession.
Shanky❤Salty
पूरे साल महिलाओं को आहत करना
उसके होंठों को चुमने की कोशिश करना
स्तनों को घूर कर आँखों की तपिश मिटाना
चिकनी-चुपड़ी बातों में फसा बिस्तर तक
लेटाने का ख्वाब सजाना……
और बस एक दिन चंद कविताओं से
महिलाओं के जख्मों पर मरहम लगा
फिर अपनी औकात दिखाना है
सुना था कुत्ते हड्डीयों पर मरते हैं
पर देखा है कुछ हैवान मेरे जिस्म को
नोचने के लिए जीते हैं
खैर छोड़ों महिला दिवस की शुभकामनाएं
तुम सभी को हम लेट से देते हैं
Shanky❤Salty
ना चाहते हुए भी
वे छोड़ कर गए हमें
शायद उनकी मजबूरी थी
या कहूँ तो मेरे विधाता की मर्जी थी,
पकड़ उंगली चलना सिखाया था मुझको
डांटकर ज़िन्दगी में जीना सिखाया था मुझको
पढ़ा लिखा काबिल बनाया मुझको
पैरों पर खड़ा कर जिम्मेदार बनाया मुझको
सब कुछ सिखाकर ना जाने क्यों छोड़ गए वे मुझको,
किससे कहूँ और कैसे कहूँ और कहां कहूँ
अपने आँसू छुप छुपाए फिरते हैं हम
आपके बाग का फुल था मैं
मुरझाया मुरझाया फिरता हूँ मैं
काश तुम वापस आ जाते
या थोड़ी देर और ठहर जाते,
कैसे कहूँ पापा
तुम मुझे छोड़ कर ना जाते,
कागज पर हम स्याही चला देते हैं
आपके जाने के दर्द को हम कैद कर रख देते हैं
पेड़ की छांव हटते ही सुकून चला जाता है
पापा आपके जाने से
ये बच्चा तड़पता सह रह जाता है,
दिन थम सा गया है और रात का चाँद मानो जम सा गया है
घड़ी की सूई को भी पीछे घुमा कर देख लिया
पर पापा आपका साया मुझको नज़र ना आया
तन्हा ये मंज़र है ख्वाब अब सारे बंज़र है,
कहते हैं लोग
जो आया है वो तो जरूर जाएगा
वक्त के साथ सब बदल जाएगा
पर भला आपकी कमी कौन भर पाएगा,
भरे कंठ लिए जब भी पापा कहता हूँ
भारी दिल लिए अपने शब्दों के साथ आपको श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ
Published by ‘Anonymous’ on behalf of Shanky
Shanky❤Salty
Utpal Kalal investigative docu-film, based on Valentine’s Day exclusively streaming free on Youtube only for today. Enjoy & Enlighten..!
Shanky❤Salty
The 14th February & Beyond is an award winning documentary film by Utpal Kalal. Recently premiered at the 51st International Film Festival of India. IFFI Goa.
The first ever – and deepest look into Valentine’s Day.
This is a documentary film that exposes the strange face of this global love fest and its impact on the mental health of our society. The filmmaker explores the origins of this famous holiday, and how it’s been twisted as a result of consumerism and commerciality into a competition and self-esteem checklist. While disguised as a celebration of love, spanning days of gifts and adoration in some cultures, Valentines Day can actually often lead to some very dark memories, humiliation and rejection, and self-esteem crises for others. We reveal the shocking facts about the commercialisation of Valentine’s Day – the spending and traditions that have been overlooked until now; as well as bringing forth a comprehensive view of the subject through experts from various fields into this eye-opening narrative – that we all have an opinion on – no matter what!
Awards-
-Riverside International Film Festival, California, USA
Winner, Best Documentary Film, Audience Choice Award
-Jaipur International Film Festival, India
Winner, Best Film award (Documentary Feature)
Nominations-
– 51st International Film Festival of India (IFFI) (Indian Panorama)
-Indian Film Festival of Melbourne, IFFM, Australia
-San Diego Comic Con International Independent Film Festival, USA
-Millenium International Documentary Film Festival, Belgium
Official Selection, Youth Vision Competition
-Mumbai International Film Festival, India
Nomination, Best Documentary, Silver Conch Award
-UK Asian Film Festival, Middlesex, United Kingdom
-Indian Film Festival of Houston, Inc, Texas, USA
Shanky❤Salty
निस्वार्थ प्रेम यह एक पुस्तक है जिसे मैंने काव्यात्मक ढ़ंग से वृद्धाश्रम से अनाथआश्रम तक कि यात्रा को लिखा है।
आशा है आप सब को यह बहुत पसंद आया होगा
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Shanky❤Salty
अकड़ना कभी सिखाया नहीं इन्होंने
ना झुकना सिखाया कभी
सिखाया तो सिर्फ अपनी मौज में रहना
एक वाक्या याद आ रहा है
रात को वो आ ही गई थी
मुझको साथ ले जाने वाली ही थी
दवा ने भी अपना असर है छोड़ा था
दर्द ने जो साथ पकड़ा था
काफी दिनों के बाद मेरे दिल में दर्द उठा था
बाहर पेड़-पौधे बारिश में भीग रहे थे
इधर मैं पसीने से भीगा हुआ था
नींद तो ऐसी रुठी थी
दवा लेने के बाद भी मुझसे दूर बैठी थी
हर कोई श्री कृष्ण के जन्म की
तैयारियाँ कर रहा था
मैं लेट अपनी धड़कनों को गिन रहा था
पर माँ वो तुम ही थी ना
जिसने श्रीकृष्ण के मूर्ति की पूजा छोड़
“वासुदेवम् स्वं इति”
(वासुदेव तो हर जगह है)
मुझे गोद में सुलाया था मेरे दिल पर हाथ रख
“गोविंद हरे गोपाल हरे जय-जय प्रभु दिन दयाल हरे”
गाकर मेरे दर्द को दूर कर रहीं थीं
माँ तेरे थपकियों ने ही मुझको सुलाया था
कल तक चलना तो दूर
मुँह से आवाज तक नहीं ले पाथ रहा था
निस्वार्थ प्रेम (19)…..!!!!👉 यहाँ पढ़े
Shanky❤Salty
अरे ओ जनाब
यह कोई सपना नहीं है
माँ बाप सा कोई अपना नहीं है
महादेव जी का पड़याँ पड़ी थी
तेरी माँ ने पाने को तुझको
पर तूने …….
यार लगा के देखो ना
गले तुम एक बार
खुशियाँ मिलेगी तुझको अपरम्पार
मैं कैसे करूँ ना भरोसा उनका
जिन्होंने पाला तुमको है
और तूने उसे ही निकाला घर से हैं
यकीनन तुम जमाने के नजरों में
अच्छे रहो या ना रहो
पर अपने माँ-बाप के नजरों में
कभी बुरा बन के ना रहो
हजारों जिम्मेदारियों को त्याग देना
पर माँ-बाप छोड़ शहर के तरफ
पाँव मत बढ़ा देना
एक उमर तो बितने दो जनाब
खुद-ब-खुद एहसास हो जाएगा
माँ बाप की कही बातों का
निस्वार्थ प्रेम (18)…..!!!!👉 यहाँ पढ़े
Shanky❤Salty
ज़रा सोचो ना
वो घर कैसा होगा?
जिसकी आँगन सुनी होगी
रसोई में बरतन टकराने की
आवाज तक नहीं आएगी
देर से उठने पर डॉट नहीं पड़ेगी
आँचार बाजार से खरीद खाना होगा
यार बेजान सी लगेगीं वो घर
कल्पना मात्र से रूह काँप उठती है
शौक तो बाप की कमाई से पूरी होती है
खुद के पैसे से तो बस
जरूरतें ही पूरी हो सकती हैं
ताउम्र बचपन रह जाएगा
गर तू माँ-बाप संग ज़िन्दगी बिताएगा
वो कहते हैं ना
उमर का फासला है
या कहूँ तो
उमर का फैसला है
हर किसी ने अपनों पर
अपना अधिकार जमाया है
बड़े होकर हर चिड़िया ने
अपना रास्ता बनाया है
निस्वार्थ प्रेम (17)…..!!!!👉 यहाँ पढ़े
Shanky❤ Salty
हर हाल में जीना सिखाया है
कभी बोझ नहीं समझा है
हमें माँ-बाप ने
पर ना जाने क्यों हमें
माँ-बाप बोझ लगते हैं
बच्चे माँ-बाप के साथ
अब नहीं रहतें
बल्कि अब माँ-बाप
बच्चों के साथ रहते हैं
अपनी चाहतों को राख बनातें हैं
इच्छाओं को खाक करते हैं
वो और कोई नहीं
हमारे अपने माँ-बाप होते हैं
ज़रा-ज़रा सी बात पर वो साथ छोड़ देते हैं
वो मतलबी रिश्तेदार, दोस्त, साथी….
पर एक माँ-बाप ही हैं
जो शरीर छोड़ने के बाद भी साथ नहीं छोड़तें
धन लाख करोड़ तूने क्यों ना कमाया हो
पर माँ-बाप को भुला कर
सब कुछ तुने गवाया है
निस्वार्थ प्रेम (16)…..!!!!👉 यहाँ पढ़े
Shanky❤Salty
घर में सेवा माँ बाप कि कर के तो देखो
पीछे पीछे हरि फिरते दिखेंगे
वो माँ पुराने ख्यालातों कि लगती है
जिसने तुम्हें काबिल बनाने के लिए
अपने माँ बाप के दिए जेवर गिरवी रख दिये थे
क्यों अपने शब्दों से उनके सिने को छलनी करते हो
जड़ों को काटोगे तो फल कहां से होगे
पानी सींचों जड़ में
माँ बाप को गले लगा देखो
सारी अलाएं-बलाएं चलीं जाएगी
और हरि पीछे पीछे आ जाएगें
दवाओं में भी वो असर नहीं है
जो माँ बाप की दुआओं में है
जग की कितनी भी सवारी क्यों ना कर लो
बाप के घोड़े की सवारी कहीं नहीं मिलेगी
कितनी भी महंगे तकिये में क्यों ना सो लो
माँ के गोद जैसे सुख कहीं नहीं मिलेगा
सिखाते है माँ बाप मुझको
रखो ना गाँठ तुम मन में ना तन में
ग़र जीना है तुमको खुल के तो
ना मान दिया ना दिया कभी अपमान माँ-बाप ने
बस सिखाया है
जहर कि पुड़िया है ये मान-अपमान
हर हाल में मुस्कुराना सिखाया है
निस्वार्थ प्रेम (15)…..!!!!👉 यहाँ पढ़े
Shanky❤Salty
हे राम पता नहीं क्यों हम ऐसा करते जा रहे हैं
जिन्दगी जन्नत है उनकी
जिन्होंने माँ बाप के सिखाये रास्तों पे चला है
जिस तरह राम जी हमारा बुरा नहीं कर सकते है
ठीक उसी तरह माँ बाप हमारा बुरा नहीं कर सकते है
गुलाबों की तरह महक जाओगे
गर माँ बाप के संस्कारों को अपनाओगे
ये रिश्ता गजब है जनाब
तकलीफ तुम्हारे देह को होगी
पर दर्द माँ बाप को महसूस होगी
यार कृष्ण भी श्री कृष्ण तो माँ बाप से ही बने है
राम भी श्री राम माँ बाप से ही बने है।
तुम भी बन सकते हो
हम भी बन सकते हैं
महान
ग़र ख्याल रख लिया माँ बाप का तो
एहसानों वाला नहीं
प्यार वाला
माँ बाप के रहते
ना किसी ने परेशानी देखी
जब गुजरे माँ बाप तो
ना रहा चेहरे पर मुस्कान
ना देखा मुसीबतें
ना रहा……..
क्यों मंदिरों मस्जिदों में
ईश्वर, अल्लाह को खोजते हो
निस्वार्थ प्रेम (14)…..!!!!👉 यहाँ पढ़े
Shanky❤ Salty
ये हमारा
हंसना, गाना लिखना
खेलना, कूदना, सोना
सब उनसे ही तो है
माँ बाप साथ हो ना तो
बेफिक्री खुद-ब-खुद
साथ आ ही जाती है
वर्ना देखो उन्हें
जिनके सिर से माँ का आँचल हट जाता है
या पिता का साया हट जाता हो
क्या हाल हो जाती है उनकी
बस जिस्म रह जाता है
जरूरत पड़ने पर एक माँ भी
पिता का फर्ज निभाती है
और पिता भी माँ का
पता नहीं यह अलौकिक शक्ति कहाँ से आती है
बच्चे होते हुए हमें कद्र नहीं होती माँ बाप की
जब हम भी माँ बाप होते
तो बच्चे करते नहीं कद्र हमारी
ये सिलसिला चलता आ रहा है
सब कुछ मालूम होते भी
हम खुद को पतन के रास्ते ले जा रहे हैं
निस्वार्थ प्रेम (13)…..!!!!👉 यहाँ पढ़े
Shanky❤Salty
जामाने को कठोर कहते हो
माँ के कोमल हृदय को छोड़
उसे जमाने में फंसे रहते हो
माना की पिता की बात
नीम जैसी कड़वी है
पर यार सेहत के लिए तो वही अच्छी है
सिखाया था मेरे राम जी ने मुझको
हर चाहत के पीछे मिल दर्द बेहिसाब है
पर एक माँ बाप ही हैं
जो ग़र साथ हो ना तो वहाँ दर्द का नामो निशां नहीं है
ज़िन्दगी की जंग मौत से लड़ कर मैं पड़ा था बेड पे
गुरुग्राम कि अस्पताल में
जिंदा लाश बन के
वो पिता ही जो टूट चुके थे
लेकिन आँखों से आँसू छुटने नहीं दिया
हाल मेरा बेहाल देख मुझसे पूछा नहीं
डर था उन्हें, कहीं उनके आँसूओं को देख
मैं टूट ना जाऊँ
डाक्टर थक गए थे
मेरे हृदय की गति को सामान्य करने में
पर वो पिता ही थे
जिन्होंने मेरे हृदय पर हाथ रखते ही
उसे सामान्य कर दिया था
5 दिन से नींद मुझसे रूठी थी
माँ की थपकियों और लोरियों ने
मुझे सुकून का नींद दिलाया था
क्या कहूँ मैं जनाब
यार ये साँसे है तो उन्हीं की अमानत
निस्वार्थ प्रेम (12)…..!!!!👉 यहाँ पढ़े
Shanky❤Salty
कितनी आसानी से कह देते हैं हम
समझते नहीं है माँ बाप हमारे
पता नहीं हम ये बात समझ क्यों नहीं पाते हैं
बड़े क्या हो गए हम मानो पंख ही आ गए
चलना क्या सीख लिया
उनकी उंगली पकड़ कर उड़ना ही शुरू कर दिया हमनें
रास्ता दिखाया माँ बाप ने
और व्यवहार हमारा ऐसा
जैसे खुद ही बनाया रास्ता हमनें
किसी शख़्स ने बहुत खूब लिखा था
खुली आँखों से देखा सपना नहीं होता
माँ बाप से बढ़कर कोई अपना नहीं होता
निस्वार्थ प्रेम (11)…..!!!!👉 यहाँ पढ़े
Shanky❤Salty
वो बाप ही जनाब
जो भरे बाजार में अपनी पगड़ी उछलने ना देगा
पर अपने बच्चों की खुशी के खातिर ही
भरी महफ़िल में भी अपनी पगड़ी किसी के पैरों पे रख देगा
अपनी खुदगर्जी के लिए वो बच्चे
बाप को भी भरे बाजार में गलत कह देगा
जीवन के एक पड़ाव में
जरूरत होती है माँ-बाप को
हमारे एहसानों की नहीं हमारे प्यार की
जिसने हमें हर आभावों से दूर रख
काबिल बनाया
उन्हें ही हम आभावों में रख रहे हैं
अपने चार दिन के मोहब्बत के खातिर
हम तमाशा कर देते हैं उनका
जिसने हमारे जन्म से पहले ही
ताउम्र हमसे मोहब्बत की सौगंध खाई थी
निस्वार्थ प्रेम (10)…..!!!!👉 यहाँ पढ़े
Shanky❤Salty
जब माँ बाप साथ हो ना
तो किसी भी चीज कि परवाह नहीं होती
उनके होने से ही
हर दिन होली लगती है
हर रात दिपावली लगती है
और ना हो ग़र माँ बाप तो
पूछो उनसे
होली भी बेरंग सी लगती है
दिपावली भी अंधियारा सा लगता है
आँखों में आँसू
और मन भारी सा लगता है
क्या मंदिर मस्जिद भटका है वो
क्या स्वर्ग कि चाहत होगी राम जी उन्हें
माँ बाप मिले हैं जिन्हें
चरणों में ही माँ बाप के बैकुंठ होगी
पता नहीं राम जी
वो औलाद कैसी है
जो सफलता की शिखर पर पहुंच कर पूछता है
माँ बाप से तूने किया ही क्या है मेरे लिये
बस राम जी
यही कारण है उसके पतन का
कहता है वो औलाद जो भी किया वो तो
फ़र्ज़ था पर कैसे समझाऊँ मैं उनको यार कम से कम माँ बाप ने
फ़र्ज़ तो पूरा कर दिया
पर तुमने क्या किया यक़ीनन दुनिया में बहुत सी चीजें अच्छी है
पर सच कहता हूँत मैं
हमारे लिए तो हमारे माँ बाप ही सबसे अच्छे है
निस्वार्थ प्रेम (9)…..!!!!👉 यहाँ पढ़े
Shanky❤Salty
खुशियां ज़िन्दगी में कम होती जा रही है
दो रोटी के लिए हम माँ बाप से जो अलग होते जा रहे है
माँ बाप के प्यार जैसे प्यारा और कुछ नहीं लगता है
माँ बाप के चेहरे में खुशियां आसानी से दिख जाती हैं
पर ज़ख्मों का दाग दिख नहीं पाता है
अपने संस्कारों से
हमारी हिफाज़त करने का संकल्प जो लिया है उन्होंने
अपनी जान से भी ज्यादा हमको चाहा है
हम सबने सत्यवान और सावित्री कि कहानी सुनी ही होगी
की यमराज से भी अपने पति की प्रारण ले आती है
पर यह तो माँ बाप है जो मृत्यु तो बहुत दूर कि बात है
यह तो संकट को भी पास भटकने ना दें
ऐसा अद्भुत प्रेम है इनका
पिता हमारी खामोशियों को पहचानते हैं
माँ हमारे आँसूओं को आँचल में पिरोती हैं
बिन कहें ही हालातों को हमारे अनुकूल कर देते है
निस्वार्थ प्रेम (8)…..!!!!👉 यहाँ पढ़े
Shanky❤Salty
जरूरतें अपनी भुला कर
हसरतें मेरी पूरा करते थे
वो और कोई नहीं मेरे मेरे पिता थे
मेरी चीखों को मेरे आँसूओ को
वो मुस्कान में बदलती थी
आज जब वो बूढ़ी हो गई है
तो ना जाने क्यों
हमें उसके जरूरतें
कि चीख-पुकार कानों तक नहीं रेंगती है
यक़ीनन बेटा अब बड़ा हो गया है
पैरों पर खड़ा हो गया है जमाने की चकाचौंध में
वो अपने माँ बाप को भूल गया है
अरसा बीत गया होगा
माँ की गोद में सोए हुए
पर कोई बात नहीं
जब माँ सदा के लिए सोएगी ना
तब हमें उसके गोद की कमी खलेगी
एक अनुभव लिखता हूं मैं
करीब नौ-दस घंटे मैं जंग लड़ रहा था
हाँ वही मृत्यु से दुआओं का दौर चल रहा था मेरे अपनों का
जंग करीब करीब जीत चुका था
खबर भी फैल गई थी जंग में जीत हो गई है
लोग अपने अपने घर चल दिए थे
कुछ लोगों ने खाना खा लिया था
तो कुछ सो चुके थे
पर कुछ ही देर में बाजी पलट चुकीं थी
मृत्यु ने प्रहार शुरू कर दिया था
सफेद चादर से मैं लिपटा था
पल भर में ही खून के फव्वारों से वो लाल हो गया
हार चुका था मैं
शायद मर चुका था मैं
जिंदगी की जंग को चीखता रहा मैं चिल्लाता रहा मैं
पर मृत्यु ने अपनी पकड़ नहीं छोड़ी
मेरे शरीर से मेरे प्राणों को खींच कर
अलग करने ही वाली थी कि तभी
ईश्वर के दूत आए
हाँ माँ पापा आए
माँ मुझको देख हैरान तो हो गई थी
पर मृत्यु उन्हें देख परेशान हो गई थी
पापा ने तुरंत ज़िंदगी के कागज पर
दस्तखत कर जीत का आदेश लिखा
फिर क्या मृत्यु को इजाजत ही नहीं मिली
और खाली हाथ उसे वहाँ से लौटना पड़ा
कहाँ ना मैंने बहुत पहले
जिनके सिर पर माँ-बाप का हाथ होता है
वहाँ पर मृत्यु को भी इज्जात लेनी पड़ती है
निस्वार्थ प्रेम (7)…..!!!!👉 यहाँ पढ़े
Shanky❤Salty
देखा है मैंने
साँसे रुक जाती है ना उनकी
सुकून की नींद उड़ जाती है हमारी
पिता कि साया हटते ही
बच्चे खुद-ब-खुद बड़े हो जाते है
माँ के गुजरते ही
बच्चे तकिये में मुँह छुपा रोते रह जाते है
जमीन के टुकड़े के लिए
हम माँ बाप के दिल के
हाजारों टुकड़े कर देते है
गरीबी सताती जरूर थी
पर हमारा पेट भर
वो खुद भूखा रहती थी तो
वो और कोई नहीं हमारी माँ ही थी
हम कैसे खुश रहे
इस सोच में ही तो
माँ बाप सारी जिंदगी गुजारते हैं
धन लाख करोड़ कमाया है
माँ बाप को खुद से दूर कर तूने
असली पूंजी गवायाँ है
खाया है मैंने
माँ के एक हाथ से थप्पड़
तो दूजे से घी वाली रोटी
याद है मुझे वो रात भी
जब खुद की नींद उड़ा कर
गहरी नींद में सुलाती थी
खुद गीले में सो कर
मुझको सूखे में सुलाती थी
निस्वार्थ प्रेम (6)…..!!!!👉 यहाँ पढ़े
Shanky❤Salty
माँ की ममतामयी आँखों को,
भूलकर भी गीला ना करना
और
माँ की ममता का
पिता की क्षमता का
अंदाजा लगाना असंभव है
उंगली पकड़ कर
सर उठा कर चलाना सिखाया है
पिता ने
अदब से
नज़रें झुका कर चलना सिखाया है
माँ ने
सब सिखाया है
माँ ने
हौसला भरा है
पिता ने
यश और कीर्ति दिलाया है
पिता ने
माधुर्य और वात्सल्य दिलाया है
माँ ने
कर्ज लेना कभी नहीं सिखाया आपने
पर ना जाने क्यों
हमें आपने कर्जदार बना दिया है
जिसे इस जन्म में तो पूरा करना संभव ही नहीं है
जब तक साँसे है
तब तक कर ले ना
प्यार उनको
निस्वार्थ प्रेम (5)…..!!!!👉 यहाँ पढ़े
Shanky❤ Salty
निकल रहा था मैं वृद्धाआश्रम से
गुजरते देखा मैंने एक औरत को
वृद्धाआश्रम के बगल से
शुक्रिया अदा कर रही थी वह ईश्वर को
रहा न गया मुझसे पूछ बैठा मैं “आप कौन हो”
मुस्करा वह कह गई “एक बाँझ हैं”
गूगल के द्वारा पता चला है
भारत में कुल 728 वृद्धा आश्रम हैं
और 2 करोड़ अनाथआलय हैं
वो कहते हैं न
कर्म का फल सबको भोगना ही पड़ता है…!!
खैर छोड़ो तुम्हारी जो मर्जी हो
करना बस हाथ जोड़ कहता हूँ
सिर्फ एक बार
सिर्फ एक बार
हर दुआ में उसकी दुआ है
जिसके सिर पर माँ की छाया है
समझो ना वहीं पर खुदा का साया है
काँटों को फूल बनाया है
पिता ने हर मुश्किल राह को आसान जो बनाया है
सोकर स्वयं गीले में, सुलाया तुझको सूखे में
निस्वार्थ प्रेम (4)…..!!!!👉 यहाँ पढ़े
Shanky❤Salty
मैं बहुत कुछ कहना चाहता हूँ हृदय की पीड़ा है
जब सुनता हूँ बलात्कार हुआ,
किशोराअवस्था में बच्ची गर्भवती हो गई,
17 साल की बच्ची का गर्भपात हुआ,
इश्क कर बच्चे भाग गए….
अब आगे क्या कहूँ मेरे आँसू ही जानते हैं
शायद माँ-बाप ने अच्छे संस्कार नहीं दिये होंगे इसलिए
ऐसा हुआ होगा यह कह हम ही ऊँगली उठाते हैं
अच्छा छोड़ो ये सब बातें
ग़र तुम्हें एक साथ आँखों से सच देखना है
और कानों से झूठ सुनना है
तो किसी वृद्धा आश्रम जा कर वहाँ रहने वाले
किसी से भी उनकी ख़ैरियत पूछ कर देखो
तुम खुद-ब-खुद समझ जाओगे
मैं कहना क्या चाहता हूँ और लिखना क्या चाहता हूँ
खैर छोड़ो
तुम बड़े हो गए हो
तुम्हारे पास वक्त कहाँ
सच में
अब तुम बड़े हो गए हो
वक्त कहाँ है, बुढ़ापा आने में
निस्वार्थ प्रेम (3)…..!!!!👉 यहाँ पढ़े
Shanky❤Salty
मेरे इस सवाल का जवाब किसी के पास
नहीं होगा पर मेरी पंक्तियों को पढ़ हर किसी के
आँखों से आँसू छलक ही जाएगा
यार वो कितना भी पत्थर दिल क्यों ना हो
वो एक ना एक पल पिघल ही जाएगा
हमें जीवनसाथी तो हजारों मिल जाएंगे
परन्तु क्या माँ-बाप दुसरे मिल पाएँगे ???
अब बेसरमों कि तरह हाँ मत कह देना
हाथ दिल पल रख मैं कहता हूँ
एक बार प्यार से माँ-बाप को गले लगा के तो देखो
प्रेम दिवस उनके साथ मना के तो देखो
सच कहता हूँ तुम निःशब्ध हो जाओगे
जब माँ-बाप के हृदय से तुम्हारे लिए
करुणा, माधुर्य, वात्सल्य छलकेगा न
तब तुम्हारे रूह से आवाज आएगी
हो गए आज सारे तीर्थ चारों धाम
घर में ही कुंभ है माँ-बाप की सेवा ही शाही स्नान है
मान लो मेरी बात
बाकी तो आप जानते ही हो
क्योंकि सुना है आप समझदार हो
यही दिव्य प्रेम है
मेरे शिव जी ने भी कहा है:-
धन्या माता पिता धन्यो गोत्रं धन्यं कुलोदभवः
धन्या च वसुधा देवि यत्र स्याद् गुरुभक्तता
जिसके अंदर गुरुभक्ति हो
उसकी माता धन्य है, उसके पिता धन्य है,
उसका वंश धन्य है उसके वंश में जन्म लेनेवाले धन्य हैं,
समग्र धरती माता धन्य है
वैसे प्रथम गुरु कौन होता है हम सबको पता ही है
तो कर लो न गुरुभक्ति उत्पन्न
निस्वार्थ प्रेम (2)…..!!!!👉 यहाँ पढ़े
Shanky❤Salty
बचपन में बच्चों कि तबियत बिगड़ती थी
तो माँ-बाप कि धड़कनें बढ़ती थीं
आज माँ-बाप कि तबियत बिगड़ी है
तो बच्चे जायदात के लिए झगड़ते हैं
हम प्रेम दिवस मनायेंगें
माँ-बाप को भूल प्रेमी संग जिन्दगी बितायेंगे
सच कहूँ तो, रूह को भूल जिस्म से इश्क़ कर दिखायेंगे
पता नहीं माँ-बाप ने कैसे संस्कार हैं हमको दिये
बड़े होते ही इतने बतमीज़ बन गए जिनकी कमाई से अन्न है खाया
आज उनको ही दो वक्त की रोटी के लिए है तरसाया
गूगल पर माँ-बाप की बहुत अच्छी और प्यारी कविताएँ
मिल जाती हैं मुझको, पर पता नहीं क्यों मैं निःशब्ध हो जाता हूँ
वृद्धा आश्रम की चौखट पर आ कर
कर माँ-बाप का तिरस्कार वो मेरे राम जी के सामने आशीर्वाद हैं माँगते
अब किन शब्दों में समझाऊँ में उनको
ईश्वर ही हमारे माँ-बाप बनकर हैं आते
अपने संस्कारों से जिसने हमें है पाला आज हमने अपनी हरकतों से जीते जी माँ-बाप का अंतिम संस्कार है कर डाला
भरे कंठ लिए एक सवाल है गर माँ-बाप से मोहब्बत है
तो वृद्धा आश्रम क्यों खुले हैं ????
निस्वार्थ प्रेम (1)…..!!!!👉 यहाँ पढ़े
Shanky❤Salty
हर रिश्ते में स्वार्थ देखा है हमनें
एक माँ-बाप ही हैं जिन्हें निस्वार्थ देखा है
वो बचपन में ही खुशियों के रास्ते खोल देते हैं
हम बड़े हो कर उनके लिए ना जाने क्यों
वृद्धा आश्रम के रास्ते खोल देते हैं
पढ़ा-लिखा कर हमको काबिल बना देते हैं
पर हम कभी उनके दर्द को पढ़ नहीं पाते हैं
अपने अरमानों का गला घोट
जिन्होनें हमे इंसान है बनाया
हमनें अपनी इंसानियत को मार
माँ-बाप की आँखों से आँसू बहाया है
जिन्होंने हमको उंगली पकड़ चलना सिखाया है
हमने उनको हाथ पकड़ घर से बेघर कर दिखाया
अपनी ख़ुशबू दे हमको जिन्होंने फूल बनाया है
हमने तो काँटे दे उनको रुलाया है
जिसने काँधे पे बैठा हमें पूरा जहाँ घुमाया है
उसे सहारा देने पे हमें शर्म आया है
हमारी छोटी सी खरोंच पर
उसने मरहम लगाया है
हमने अपने शब्दों से ही
उनके दिल में जख़्म बनाया है
माँ-बाप ने हमें सुंदर घर बना कर दिया
हमनें भी उनको बेघर कर अपनी औकात दिखा दिया….(आगे जारी है)
Shanky❤Salty
गद्देदार बिस्तर पर सो कर
रजाई और कंबल ओढ़ कर
ठंड हमारी जाती नहीं
हर रोज़ किस्मत को कोश कर
अपनी आलस छोड़़ते नहीं
सड़कों पर गत्ते पर सो कर
चादर सी शौल ओढ़ कर
वो ठंड से हार मानते नहीं
हर रोज़ ज़िंदगी से जुझ कर
संघर्ष छोड़ते नहीं
Shanky❤Salty
मेरी एक और नई किताब जिसमें 400 से अधिक कविता और कोट्स का संग्रह है इस पुस्तक में जिसे एक छोटी सी बात और उसमें बड़ी सी बात के रूप में लिखने की कोशिश किया है। आशा है आपको पसंद आएगी।
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Shanky❤Salty
गीता केवल एक ग्रंथ या पुस्तक नहीं है अपितु जीवन जीने की कला है।
गीता ऐसा अद्भुत ग्रंथ है की थके, हारे, गिरे हुए को उठाता है, बिछड़े को मिलाता है, भयभीत को निर्भय, निर्भय को नि:शंक, नि:शंक को निर्द्वन्द्व बनाकर उस एक से मिला के जीवन का उद्देश्य समझाता है।
गीता में अठारह अध्याय है जो हमारे जीवन के विकास के सर्वोपरी है।
1. अर्जुन का विषाद योग:- जब अर्जुन ने युद्ध के मैदान में अपने गुरु, मामा, पुत्र, पौत्र, ससुर, ताऊ, चाचा और मित्रो को देखा तो शोक करने लगे और मैं युद्ध नहीं करूँगा यह कह कर अपना धर्म का त्याग कर रथ के पीछले भाग में बैठ गए।
2. सांख्य योग:- श्री कृष्ण महाराज ने अर्जुन को ज्ञान योग के द्वारा समझाया की शोक करने योग्य मनुष्यों के लिए शोक करता है और वे
पण्डतों के जैसे वचनों से कहतें हैं कि “ना तो कभी ऐसा था कि मैं किसी काल में नहीं था, और ना ऐसा कभी था कि तू नहीं या फिर ये राजाजन नहीं थे और ना ऐसा है कि इससे आगे हम सब नहीं रहेंगे, तूझे भय नहीं करना चाहिए क्योंकि क्षत्रिय के लिए धर्मयुक्त युद्ध से बढ़कर दसूरा कोई कल्याणकार कतर्व्य नहीं है।”
3. कर्मयोग:- स्पष्ट शब्दों में ऋषिकेश महाराज ने समझाया है कौन से कर्म करने योग्य है और कौन से कर्म नहीं करने योग्य। और सबसे महत्वपूर्ण यह की कोई भी मनुष्य किसी काल में क्षण भर भी बिना काम किये नहीं रहता।
शास्त्रविहित कर्म कर, क्योंकि कर्म न करने की अपेक्षा कर्म करना श्रेठ है।
इसी तरह ज्ञानकर्मसंन्यासयोग, कर्मसंन्यासयोग’ आत्मसंयम योग, ज्ञान विज्ञान योग, अक्षरब्रह्म योग, राजविद्याराजगुह्ययोग, विभूतियोग, विश्वरूपदर्शन भक्तियोग, क्षेत्रक्षत्रविभागयोग, गुणत्रयविभागयोग, पुरूषोत्तमयोग, दैवासुरसंपद्विभागयोग, श्रद्धात्रयविभागयोग, मोक्षसंन्यासयोग में श्रीकृष्ण महाराज ने केवल और केवल जीवन को जीने की कला ही सिखाई।
विश्व की 578 भाषाओं में गीता का अनुवाद हो चुका है।
गीता किसी एक देश, जातियों, पंथों की नहीं है बल्कि तमाम मनुष्यों के कल्याण की अलौकिक सामग्री भरी हुई है।
भोग, मोक्ष, निर्लेपता, निर्भयता आदि तमाम दिव्य गुणों का विकास करनेवाला यह गीताग्रंथ विश्व में अद्वितीय है।
स्वामी विवेकानंद जी तो श्रीमद्भगवत गीता को “माँ” कहा करते थे।
मदनमोहन मालवीय जी श्रीमद्भगवत गीता को “आत्मा कि औषधि” कहा करते थे।
श्रीमद्भगवत गीता किसी धर्म, जाती, समुदाय, मजहब का पुस्तक नहीं है अपितु यह संपूर्ण मानव जाती के लिए है।
श्रीमद्भगवत गीता वह ग्रंथ है जो हमें सिखाती है “सुख टिक नहीं सकता और दुःख मिट नहीं सकता”
मुझे लगता है कि गीता को हाथ में रखकर कसमें खाने से कुछ नहीं होगा अपितु गीता को हाथ में रखकर पढ़ना होगा।
गीता हमें युद्ध सिखाती है अपने दुश्मनों से और प्रेम करना सिखाती है अपनों से। लेकिन हम ही अपने दुश्मन है और हम ही अपने मित्र है। कोई बाहरी हमें आकर नुकसान नहीं पहुंचा सकता है जितना हम स्वंय को अपने विचारों से और अपनी वासनाओं से पहुंचाते है।
इसलिए युद्ध तो जरूरी है लेकिन स्वयं से। जब तक खुद के रावण को नहीं जलाओगे तब तक राम से नहीं मिल पाओगे।
कहते हैं लोग नहीं है वक्त इसलिए पढ़ नहीं पाते हैं गीता को
सच कहता हूँ वक्त नहीं है इसलिए तुम पढ़ा करो गीता को
गीता जयंती दिसंबर 3, 2022
Shanky❤ Salty
गजब कि दुनिया है यार
इश्क नाम ले
जज्बातों से खेल कर वह
कितने ही मर्दों के साथ क्यों न सोए
वो अबला ही कहलाएगी
और
ईमान से
चंद रुपयों के खातिर वह
कितने ही मर्दों के साथ क्यों न सोए
वो वैश्या ही कहलाएगी
Shanky❤Salty
Main Problem of People
Is Over-Thinking,
Because We Think More
But Doesn’t Work, Act Accordingly
That’s Why We are Always Sad.
Shanky❤Salty
हमें खुशियाँ चाहिए ना
घर में, ऑफिस में, दुकान में रोड पर हर जगह
हमें खुशियाँ चाहिए ना
बच्चों से, बड़ों से, पत्नी से, पति से, माँ-बाप से हर किसी से
हमें खुशियाँ चाहिए ना
हर पल, हर क्षण हम खुशियों के पीछे भाग रहे हैं
पर क्या खुशियाँ हमें मिल रही हैं?
शायद नहीं, क्योंकि पढ़ा हैं मैंनें और अनुभव किया हैं
हर खुशी के पीछे ग़म की कतारें हीं है
कमरे क्या है बन्द दीवारे ही है
हक़ीक़त में जिसे हम अपना समझ रहे हैं
और खुशियाँ चाह रहे हैं उनसे
वहीं हमारे दुखों का कारण बन रहें हैं
वास्तविकता में जो हमारे अपने हैं
उन्हें हमने मंदिरों तक सीमित कर दिया है
उनके कहे वचनों (भगवद्गीता) को घर में किसी ऊँचे स्थान पर रख दिया हैं
कभी कभार तो हम भीखमंगा बन कर उनसे खुशियाँ माँगते है
पर दरसल वह खुशियाँ हमारे दुखों का कारण बनती है
राम जी तो अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को तैयार है
लेकिन हमारी हालत कुछ ऐसी है
जैसे सुनार की दुकान पर जाकर कोई चप्पल माँगता हो
Shanky❤Salty
नर्क की आग से भी
बद्तर जुल्म हुए
उस मासूम के साथ
वैश्यावृत्ति कि आग में
धकेल दिया था
घर वालों ने कहा था
शहर कमाने के लिए
बिटिया को भेजा था
दरसल पैसे के लिए
बिटिया को बेच दिया था
Shanky❤Salty
बहुत कुछ कहना चाहती हूँ
खयालों की मोटरी बाँध चलती हूँ
ह्रदय में एक आस लिए जीती हूँ
यूँ हीं नहीं चलती हूँ
अक्सर थक कर
दिवारों का सहारा ले कर
बैठ जाती हूँ
रोना तो चाहती हूँ
पर घूंट कर रह जाती हूँ
साँसें तो चलती है
पर लगता है ज़िन्दगी थम सी गईं है
बस ह्रदय में एक आस है
पर हकीकत में कोई भी नहीं पास है
ग़म के आँसू सुख चुके हैं
मन की प्यास भी शायद बुझ चुकी हैं
मंज़िल तक तो जाना है
पर रास्ते कब खत्म होगें पता नहीं
थक तो गई हूँ
पर जताना नहीं चाहती
कोई समझने को तैयार नहीं
जब कहती हूँ कुछ
तो हर कोई कह जाता है
हाँ मालुम है मुझको सब कुछ
पर मालूम होना ही सबसे बड़ा ना मालुम होना है
कोमल सा दिल था
जिसकी कोमलता को खत्म कर
कठोर कर दिया गया
विशवास के डोर में बाँध कर
फाँसी का फंदा दिखा दिया
प्यार दिया या दिया दर्द पता नहीं
पर दिया कुछ तुने यह पता है
शायद वह है अनुभव
अब जादा फरमाइश नहीं है
बस जो होता है
शांति से सह जाती हूँ
ना तो हूँ मैं राधा
ना चाहत है मोहन की
हूँ मैं एक इंसान
बस हर किसी से इंसानियत की
उम्मीद लगाए बैठती हूँ
Shanky❤ Salty
गद्दार भी अपने ही होतें है
और वफ़ादार भी अपने ही होतें है
भला गैरों से उम्मीद कैसा
Shanky❤Salty
रुठे को दिन रात मनाते हो
जो अपना है, उससे दिन रात भिख मांगते हो
Shanky❤Salty
वक्त बुरा है
कहने वालों
ज़रा अपने कर्मों पर भी ध्यान दे दो
Shanky❤Salty
शब्दों में अर्थ ढ़ुढ़ना सही है
पर अर्थ को अनर्थ करना
रिश्ते को व्यर्थ करने सा है
Shanky❤Salty
दुसरों का हक़ छिनने वालों का कभी पेट नहीं भरता
खुद के हक़ का बाँटने वाले का दिल कभी नहीं भरता
Shanky❤Salty
मुस्कुराना
हर ग़म को
दबाने की तरकीब है
Shanky❤Salty
वफ़ादार कुत्ते ही अच्छे लगते हैं
इंसान वफ़ादारी करें तो
इस्तेमाल में लाएं जाते हैं
Shanky❤Salty
मर तो रोज ही रहें हैं हम
और एक दिन मरना भी तय ही है
ह्रदयाघात से तड़प कर मरेंगे हम?
या युंही सोए_सोए मर जाएंगे?
रोड के किनारे लावारिस मौत होगी?
या चिंता से चिता नसीब होगी?
ज़िन्दगी एैसी हो गई है
मानो लकड़ी को दीमक ने घेर रखा हो
बोलने से दिक्कत होती थी
अब मेरे मौन से दिक्कत है
लगता है दिक्कत का मूल कारण ही मैं हूँ,
भीड़ से थक कर अकेले बैठा था
वो भी हज़म ना हुआ उन्हें
तानों की बाढ़ सी ला दी जीवन में
भीड़ को खोया या ना खोया मैनें
पर खुद को जरूर खो दिया
सुरत अच्छी हो तो लोग जिस्म नोचते हैं
सिरत अच्छी हो तो लोग रूह नोचते हैं
सवालों में उलझा कर उत्पीड़न करते हैं
मेरे लिखने का भी मतलब निकलेगें
हकीकत में तड़प कर मुझको मौत ही मिलेगा
आत्महत्या नहीं अक्सर हत्या होती है
जो किसी काग़ज़ पर लिखी नहीं होती है
यातनाएं दी तो दीं
लेकिन “हमें क्या तुम्हें जो ठीक लगे वह करो” का तमाचा भी जड़ जाती है
नींद की गोलियाँ भी क्या असर करेगी भला
जब बद्दुआओं में मेरे नाम की गालियाँ का असर हो
मुझे सुनने के लिए मेरे शब्द नहीं
तुम्हारे वक्त कम पड़ जाएंगे
नसीहतों कि पोटली बहुत है मेरे पास
लेकिन साथ चलने वाली छड़ी नहीं है मेरे पास
आत्महत्या नहीं हत्या होती हैं
तनाव होता नहीं ,दिया जाता है
Shanky❤Salty
जंगल लोगों का घर हो रहा है
घर लोगों का जंगल हो रहा है
Shanky❤Salty
जिन रिश्तों में गवाही होगी
निश्चित है उन रिश्तों में तबाही होगी
Shanky❤Salty
एक दिन और गुज़र गया
अपने घर जाने को मैं,
क्या खाया ? क्या कमाया? क्या जोड़ा?
इन्हीं चक्करों में मेरा
एक दिन और गुज़र गया,
मुट्ठी से रेत की तरह वक्त बित गया
अज्ञान की चादर ओढ़ मैंने ज्ञान की ख्वाबें सजाई
पल भर भी न मैंने जपा राम को ना रहिम को
यूंही करते करते मेरा
एक दिन और गुज़र गया
अपने घर जाने को मैं और करीब हुआ
Shanky❤Salty
दलीलें अदालतों में ही अच्छी लगती है
इश्क़ में हमारा कह देना
और आपका विश्वास कर लेना ही अच्छा लगता है
Shanky❤Salty
हमारी ये हस्ती आपसे है राम,
आपके होने से ही
ज़िन्दगी हमारी मस्ती में है राम,
है वफ़ा मुझको आपसे राम
इसलिए तो आप हमारे हो राम
और हम आपके राम,
भला वो हमारा कैसे होगा राम
जिसने भरी महफ़िल में किया है बेवफाई आपसे राम
Shanky❤Salty
दीपावली
सफाई का, उजाले का पर्व
खुशियां मनाने का ,अंधकार पर विजय का पर्व
घर-द्वार साफ करते हैं
लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए
ग़र इस दीपावली कर ले हम मन की सफाई
तो लक्ष्मी जी महालक्ष्मी जी के रूप में सदैव विराजमान रहेगी
हर दीपावली
वर्मा जी के घर से
एक किलो काजू कतली का तोहफा आता है
गुप्ता जी के घर से
एक किलो सोन पापड़ी का भी तोहफा आता है
बदले में हम भी वर्मा जी, गुप्ता जी को
उतने का ही कुछ-न-कुछ तोहफा दें ही आतें है
ताकि समाज में इज़्ज़त बनीं रहें
पर इस बीच वो चौराहे वाला अनाथ राजू बेचारा मायूस रहे जाता है
दीयें बनाने वाले की गुड़िया फुलझड़ी नहीं जला पाती है
विडंबना इतनी है की
त्यौहार केवल सम्पन्न व्यक्ति अपने आप तक ही सीमित रखता है
खुशियां बाँट तें तो हैं हम पर केवल अपने स्तर तक के लोगों तक ही
मान प्रतिष्ठा जहाँ मिलें वहीं जातें हैं
खुशियां मिलती जरूर होगी दीपावली की
पर आनंद नहीं मिल पाएंगा कभी
दीन-दुखियों के चेहरे पर मुस्कान ले आओ ना
दुसरों का हक़ छीनने से घटता है
खुद का हक़ बाँटने से दिन दुगनी रात चौगुनी बढ़ता है
हो सके तो इस बार
मिठाईयाँ उन्हें भी खिलाओ जिनके पास खाने को नहीं है
दो दीये उनके घर भी जलाओ जिनके घर के दीये बुझ रहें हैं
मन की थोड़ी बहुत भी सफाई कर लो ना
दरिद्र नारायण की सेवा कर लो ना
ह्रदय मंदिर में एक दीपक खुद के लिए भी जला लो ना
अहंकार को मिटा कर ज्ञान का दीप जला लो
हर पल हर क्षण दीपावली मनाने की ये तरकीब अपना लो
Shanky❤Salty
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Shanky❤Salty
जागरण
पुरी रात जागना
या अपने आत्मशिव में जागना
बलि
बकरे की, या किसी चिज वस्तु की
या अपने अहमं का बलि देना है
विदाई
क्या माँ हम सबसे विदा लेती है?
मेरी नज़रों में असंभव सा लगता है
हाँ, हम विदा ले सकते हैं
हम जुदा कर सकते हैं अपने मन और बुद्धि को माँ से
लेकिन माँ हमेशा मेरे साथ है और रहेगी
इसके तनिक भी संदेह नहीं है
कुपुत्र का होना संभव है लेकिन कहीं भी कुमाता नहीं होती
राम ने सब कुछ त्याग कर शांति का मार्ग बताया है
पर क्या तनिक भी त्याग है हम में है?
ग़र भुल से कही कुछ त्याग भी दिया
तो सरेआम ढ़िढोरा पीटने की बिमारी भी है
जब तक चित में त्याग नहीं होगा
तब तक चित में शांति नहीं होगी
क्योंकि शांति वही होती है जहां कुछ ना होता है
चाहे वो बाजार हो या हो मन
मेरे राम ने शस्त्र से पहले
शास्त्र उठाया था
तब जाकर शस्त्र का उन्होंने
सही ज्ञान पाया था
युं हीं नहीं राम ने
श्रीराम का ख़िताब पाया था
Shanky❤Salty
बहुत कुछ कहना चाहती हूँ
खयालों की मोटरी बाँध चलती हूँ
ह्रदय में एक आस लिए जीती हूँ
यूँ हीं नहीं चलती हूँ
अक्सर थक कर
दिवारों का सहारा ले कर
बैठ जाती हूँ रोना तो चाहती हूँ
पर घूंट कर रह जाती हूँ
साँसें तो चलती है
पर लगता है
ज़िन्दगी थम सी गईं है
बस ह्रदय में एक आस है
पर हकीकत में कोई भी नहीं पास है ग़म के आँसू सुख चुके हैं
मन की प्यास भी
शायद बुझ चुकी हैं
मंज़िल तक तो जाना है
पर रास्ते कब खत्म होगें पता नहीं थक तो गई हूँ
पर जताना नहीं चाहती
कोई समझने को तैयार नहीं
जब कहती हूँ कुछ
तो हर कोई कह जाता है
हाँ मालुम है मुझको सब कुछ
पर मालूम होना ही
सबसे बड़ा ना मालुम होना है कोमल सा दिल था
जिसकी कोमलता को खत्म कर
कठोर कर दिया गया
विसवास के डोर में बाँध कर
फाँसी का फंदा दिखा दिया प्यार दिया या दिया दर्द पता नहीं
पर दिया कुछ तुने यह पता है
शायद वह है अनुभव
अब जादा फरमाइश नहीं है
बस जो होता है
शांति से सह जाती हूँ ना तो हूँ मैं राधा
ना चाहत है मोहन की
हूँ मैं एक इंसान
बस हर किसी से इंसानियत की
उम्मीद लगाए बैठती हूँ
Shanky❤Salty
दिल उदास रहता है
क्योंकि दिल में चाहत होती है
जहाँ चाहत होती है
वहाँ मेहनत नहीं होती है
और जहां मेहनत नहीं होती है
वहां सच में किस्मत फुटी होती है
Shanky❤Salty
स्त्री के छोटे वस्त्र पर उंगली वही उठाते हैं
जो उस स्त्री को अपनी माँ-बहन-बेटी-पत्नी समझते हैं
वर्ना परायों को तो स्त्री निर्वस्त्र ही अच्छी लगती है
Shanky❤Salty
दर्द लिखूँ या लिखूँ मैं अपनी हालात
बेचैनी लिखूँ या लिखूँ मैं वो कसक,
आँखों के काले आँसूं बहे थे
जब तुम मुझे छोड़ गए थे
हाँ तुम्हारे नाम का काजल लगाया था
वो बह गए थे तुम्हारे जाने की खबर से
काँच की चुड़ियाँ जो पहनी थी वो तोड़ दी गई थी
हकीकत में मुझे काँच की तरह तोड़ दिया गया था,
तेरे जाते ही
जलते दीये को राम जी ने बुझा दिया था
मेरा सुहाग उजाड़ दिया था
विधवा नाम मुझको दिया गया
माँग से सिंदूर पोछ दिया गया
जो तेरे नाम के नाम मैं लगाया करती थी,
मैं रोती नहीं क्योंकि आँसू तो सूख गए मेरे
तुम मुझसे रूठे थे या किस्मत मेरी फूटी थी
पता नहीं
पता तो बस इतना है
जीवन मेरा बस अब अकेला है
जीवन साथी ने साथ सदा के लिए छोड़ा है,
दो चिड़ियाँ दिखाई थी तुमनें
और कहा था यह हम दोनों हैं
पर देखो ना वो दोनो तो आज भी साथ है
पर तुम क्यों नहीं हो मेरे साथ
कहाँ उड़ गए तुम?
मेरी नींद तुम उड़ा ले गए
जब से तुम सदा के लिए सोए,
आज भी मुझे याद है
जब से सुहागन हुई थी मैं
कहते थे लोग
निखर गई हूँ मैं
पर तुम्हारे जाते ही बिखर गई हूँ मैं
छन-छन पायल की आवाज से
घर गूंजा करते थे
अब मेरी चीखों की आवाज से
मेरा मन गूंजा करता है
तुम्हारी जान थी ना मैं
आज बेजान हो गई हूँ मैं,
तुम्हारा होना
और तुम्हारा होने में होना
बस दिल को तसल्ली देने वाला है
विधवा हूँ मैं
तिरस्कार की घूंट पीती हूँ मैं
श्रृंगार के नाम पर सिहर जाती हूँ मैं
सहारा नहीं मिलता बस सलाह ही मिलती है
अछुत सा व्यवहार होता है
शुभ कर्मों से हटाया जाता है
विधवा कह कर बुलाया जाता है
कोई झांकने तक नहीं आता है
ना दवा देता है ना देता है जहर
बस ताने ही मिलें हैं
बस तड़पता छोड़ जाता है
तेरे जाते ही घर का चुल्हा बुझ गया था
पर ह्रदय में आग लग गई थी
कहते हैं लोग
मैं तुम्हें खा गई हूँ
रात लम्बी होती है
पर हकीकत तो यह है
मेरी ज़िन्दगी अब विरान हो गई है
मरूस्थल-सी हो गई है
बस काँटें ही रह गए है
फूल तोड़ ले गया कोई
जात मेरी विधवा हो गई,
बैठ चौखट पर तुम्हारा
इंतजार करूँ मैं प्रियतम
आओगे ना तुम अब कभी
पर आए है मेरे आसूं तुम्हारी याद में
ले गए खुशियां तुम मेरी
ले जाते तुम भी मुझको
सती सी जलती मैं भी
चिता के साथ तुम्हारी
ज़िंदगी में नज़रें लग गए मेरी
हँसती खेलती ज़िन्दगी लुट गई मेरी
सूरज की लाली देख मुस्कुराती थी मैं
आँखें अब भी लाल ही रहती हैं मेरी पर मुस्कुराती नहीं हूँ मैं
वो तो बस कहने की बात थी
सात जन्मों के लिए मैं तुम्हारी थी
हकीकत में तो मैं असहाय थी
मेघ भी बरसे
सूरज भी चमके
पर तुम्हारी तुलसी सूखी ही रह गई
तेरे जाने के बाद
तुम्हारे बाग की फूल थी मैं
जो बिखरी पड़ी है
समाज के कुछ कुत्ते नज़र डालते है
तन का सुख देने की बात करते हैं
मेरे मन को कचोटतें हैं
लोग कहते थे
दुख बाँटने से कम होता है
पर मेरा दुख तो एक बहाना है
दरसल उन्हें मेरे साथ बिस्तर पर सोना है
ह्रदय बहुत रोता है मेरा
हाथों में तुम्हारे नाम की मेहेंदी लगाई थी मैंने
मेहेंदी की लाली चली गई
और तुम भी हाथों की लकीरों से चले गए,
इश्क़ मुकम्मल ना हो तो लोग रोते हैं
मरने की बात करते हैं
ज़रा मुझको भी बतलाओ ना
मैं करूँ तो क्या करूँ
ह्रदय तो है पर धड़कन नहीं है
जिस्म तो है पर जान नहीं है
दर्द तो इतना हैं की शब्द नहीं है बयां करने को
भला कोई क्या समझे मेरे दर्द को
मेरी पंक्तियों को वाह वाह कर चले जाएगें
मार्मिक लिख देगें
पर पढ़ न पाएगा दर्द मेरा कोई,
हे कालों के महाकाल
बगीया मेरी उजड़ गई
आज कंठ मेरा फिर से भर गया
समाज की नजरों में
राधा को कृष्ण न मिले
फिर भी कृष्ण राधा के ही कहलाए
दुख मेरा भी पच जाए
यह ज्ञान आप मुझको जल्दी दिलाए
ह्रदय की धड़कन बहुत बढ़ गई थी इसे लिखते
एक पल के लिए मैं इस स्थिति में खो गया था
शब्दों में बयां करना संभव नहीं है
बस मेरे रोम सिहर गए थे पल भर के लिए
गलतीयों के लिए माफी चाहते हैं
Modified by:- Preetii Sharma & Ziddy Nidhi
Originally written by:- Ashish Kumar
Shanky❤Salty
मैं काली हूँ, मैं काला हूँ
कह लोग अक्सर दुखी हो जातें हैं
वो काली है, वो काला है
कह लोग अक्सर मजाक उड़ाया करते हैं
हर किसी को गोरा होना है
हर किसी को साफ होना है
हमेशा गोरे-काले को तराजू मैं तौला करतें हैं
और अहमियत गोरे-साफ रंग को देते हैं
बहुत ही अच्छी बात है
पर एक सवाल है
मन में जो कालिख जमीं है
उसका क्या?
उसे कब साफ करेंगे?
उसके साथ सहानुभूति क्यों?
यहाँ पर आकर चुप क्यों हो जाते हो
ग़र भेदभाव करते हो तो अच्छे से करो ना
उसका मापदंड क्यों बदल देते हो
तन को रुप देना तुम्हारे वस में है नहीं
मन को रुप देना तुम्हारे ही वस में है पर वह तुमसे होता नहीं
मन की कालिख मिटती नहीं है
और चले है तन को गोरा करने
देख चरित्र तुम्हारा गिरगिट भी मुस्कुराता है
ना जाने यह दोगलापन तुम्हारे अंदर कहाँ से आता है
समझने की जगह जहाँ तुम समझौता करते हो
अक्सर मेरे शब्द वहाँ कठोर हो जातें हैं
Shanky❤Salty
15 अगस्त 1947 हमें आजादी मिली थी
और हर साल हम आजादी का पर्व मनाते है
हर घर तिरंगा अभियान हो रहा है
ना जाने कब हर मन तिरंगा होगा
अंग्रेजों से तो आजादी मिल गई
सब खुशीयां मना रहें हैं
ना जाने कब हमें
बलात्कार से आजादी मिलेगी
गरीबी के जकड़न से आजाद होगें
भ्रष्टाचार कि दिमक कब हटेगी
दुख और चिंता के गर्भ से कब आजाद होगें
तिरंगा लहराता है हमारा
बड़ा सुंदर लगता है देश हमारा
ग़र हो उस तिरंगे पे बैठी सोने की चिड़िया
तो क्या खूब होगा नज़ारा
देश सोने की चिड़िया तो है
पर अफ़सोस हम उस चिड़िया को पींजड़ो में कैद रखे हैं
ना जाने कब वो आजाद होगी
हर वक़्त हर पल सरकारों पर उंगली उठाते है
पर क्या हम कभी खुद पर उंगली उठाते हैं
शायद नहीं
क्योंकि हम अपने पर दोष क्यों देखेंगे
वैसे भी बुराईयां दुसरों में दिखती है
खुद में देखने का हिम्मत नहीं है
हम अपने कर्तव्यों का निर्वहन पुरी निष्ठा से शायद ही करते हो
पढ़ाई करते वक्त फाकीबाजी
काम करते वक्त कामचोरी करते हैं
जैसे तैसे नौकरी पाते हैं
फिर अपने कुर्सी पर जम कर केवल पगार पाते हैं
और वक्त-बे-वक्त बस उंगलियाँ उठाते रहते हैं
सच कहूं ग़र मैं
तो मेरी नज़रों में
अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही से न करना
देश के साथ गद्दारी है
ग़र सही से पढ़ेगें नहीं तो देश के प्रति क्या सेवा करेंगे
काम में कामचोरी देश के प्रति चोरी
क्या देश का किसान समृद्ध है?
क्या देश का जवान प्रसन्न है?
कह दो ना नहीं है
कब तक यह नौटंकी होगी?
एक दिन का आजादी का पर्व मनाना
और
पुरे वर्ष देश को छती पहूँचाना
वह भी अपने कर्मों से
मेरी नज़रों में यह 15 अगस्त केवल अंग्रेजों से आजादी का पर्व है
दरसल हम सब अभी भी दुख, चिंता, भ्रष्टाचार, गरीबी, व्यभिचार
बलात्कार, शोषण, घृणा, जलन इन सब चिंजों से आज़ाद नहीं हुए है
और ना जाने कब होगें
ह्रदय दुखता है मेरा यह सब देखके इसलिए ना चाहते हुए भी सच को लिख देता हूँ एक उम्मीद लिए कि कास हम सुधर जाए।
खैर छोड़ो हर बार कि तरह आप सभी को भी इस स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
बड़ी ही मेहनत से इस देश को आजादी मिली है….ज़रा सी मेहनत हम भी कर अपने ह्रदय को राग-द्वेष से आजाद कर सच्चे अमृत महोत्सव का संकल्प पुरा कर सकते है।
Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- Ziddy Nidhi
Shanky❤Salty
यक़ीनन धागे कच्चे हैं
पर रिश्ते बेहद ही मजबूत हैं,
क्योंकि बंधन यह तो
प्रेम और वात्सल्य से,
रक्षा करने के संकल्प से बांधने
का पर्व है रक्षाबंधन,
बहन भाई को, भाई-बहन को
बाप-बेटे को, बेटे बाप को
भाई-भाई को, पड़ोसी-पड़ोसी को
वृक्ष को, प्रकृति को, समाज को
हर कोई हर किसी को
रेशम के धागे बाँधें या ना बाँधें
पर रक्षा करने का संकल्प से जरूर बांधें
क्योंकि जरूरी है समाज को और प्रकृति को
प्रेम और वात्सल्य की
जो जहर मन में भरा है उसे खत्म कर के ही
पर्व मनाना है
खुद के बहन के लिए दुपट्टा हो
और दुसरो की बहन बिना दुपट्टा के हो
यह मुखौटा कब तक…?
यह रक्षाबंधन कुछ बेहद करना है
रक्षा करना ही है तो सबका करना है
Shanky❤Salty
वो कहते है ना..
“मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती है,
जो ना समझे तो पानी है !!”
यार मोती और पानी की बात हीं छोड़ो
ग़र हकीकत में वो समझते इतना
तो आँखों में आँसू ही ना होते।
Written by:- Ashish Kumar
Voiceover by:- Saaera Siddiqui
Shanky❤Salty
सुना है,
बिल्ली दूध का जला
छाछ भी फूँक-फूँक
कर पीती है,
मतलब यही ना
एक बार चोट खाने
पर ज़्यादा संभालकर
चलना चाहिए…!
पर हम तो शायद
उस बिल्ली से भी गए गुजरें हैं
लाख ठोकर खाकर भी नहीं सुधरते हैं
हर पल उन खुशियों से खेलते हैं
जहां ग़म की कतारें हो
बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू, गुटखा
छल, कपट, प्रपंच, धोखा
यही सब में अपने आप को लगाए हुए हैं
सुनने में और कहने में बहुत अच्छा लगता है
पर अमल करने में……
खैर छोड़ो कुछ नहीं……!!!!
Shanky❤Salty
किन्नर….!
ईश्वर का प्रसाद हूँ मैं
पर लोगों के लिए एक अभिशाप हूँ मैं
माँ बाप का अंश हूँ मैं
पर तिरिस्कार का वंश हूँ मैं
ना महिला ना पुरुष
हाँ किन्नर हूँ मैं
जब जब खुशियां आती हैं
तब तब तालियाँ बजाई जाती हैं
पर मेरे तालियों से लोगों के मुँह बन जाता है
ना जानें क्यों पराया सा व्यवहार होता है,
हूँ तो आखिर इंसान ही ना मैं
लड़कियों सा मन है मेरा
लड़कों सा तन है मेरा
बसते हैं ह्रदय में राम हैं मेरे
फिर भी हर पल हर क्षण तिरस्कार की घूंट ही पीती मैं
तिल तिल कर जीती हूँ मैं
चंद रुपयों के बदले हम आशीर्वाद हैं देतें,
दरसल बात रुपये की नहीं है
बात तो पापी पेट की है
गर मिला होता सम्मान समाज में
या मिला होता सामन अधिकार समाज में
तो शायद आज चंद रुपयों के खातिर अपमान का घूंट ना पीती मैं,
छक्के, बीच वाले, हिजड़े के नाम से ना जानी जाती मैं
ग़र घर में खुशियाँ आती हैं
बिन बुलाए हम चले आते हैं
ना जात देखते हैं ना देखते हैं धर्म
बस तालियां बजा कर अपने मौला से उनकी खुशियों किटी दुआएँ करते हैं
यक़ीनन बद्दुआएं मिलती है मुझको ,पर देती हर पल दुआएँ ही हूँ मैं
आशीष हर किसी को चाहिए हमारी
पर कोई माँ हमें कोख से जन्म देना नहीं चाहती है
कहते है लोग, हूँ मैं विकलांग शरीर से
पर शायद मुझसे घृणा कर अपनी सोच तुम विकलांग कर रहे हो
खैर छोड़ो,,,
ना नर हूँ ना नारी
हूँ मैं संसार में शायद सबसे प्यारी
हाँ मैं किन्नर हूँ…..!!!!!
मालिक
मोहे अगले जन्म ना औरत करना ना मर्द करना
करना मोहे किन्नर ही,
मन में ना तो छल है ना है कपट
है तो बस प्रेम तोहे से पिया
Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- Ziddy Nidhi
Shanky❤Salty
संत सताये तीनों जाए तेज़, बल और वंश
ऐसे-ऐसे कई गये, रावण, कौरव, कंस
मुहम्मद इक़बाल मसऊदी की
कुछ पंक्तियाँ याद आ रही हैं
यूनाँ मिस्र रोम सब मिट गए जहां से
बाकी मग़र है अब तक, नामो निशां हमारा
कुछ बात तो है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सिदयों रहा है दुश्मन दौर-ए-जहां हमारा
जड़ों को काट कर हम फल की उम्मीद कर रहें हैं
संतों, महापुरुषों को सता कर विश्व शांति कि उम्मीद कर रहें है
स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालयों कि डिग्री है ना तुम्हारे पास
फिर क्यों नहीं देश में अमन, चैन, शांति कायम कर पा रहें हो?
छोड़ो हटाओ
खुद को शांत क्यों नहीं कर पा रहें हो
ज़रा-ज़रा सी बात पर तनाव, क्रोध, हिंसा, चिड़चिड़ापन
आखिर क्यों
बहुत पढ़े हो तुम सब ना इसिलिए तो यह हाल है
घर में बात होती नहीं है अपनों से
और सोशलमीडिया पर हज़ारों फॉलोवर्स बना अपनापन दिखा रहें है
कोई पशु से प्रेम कर रहा है तो कोई पौधों से तो कोई चीज़ वस्तुओं से
पर हर पल हर छण मानवता कि हत्या हो रही है
मानवीय मूल्यों का गला घोटा जा रहा है
हम एक दुसरों से प्रेम कब करेंगे
बस स्वार्थ है और स्वार्थ है
ह्रदय में पीड़ा होती है
जब भी संतों का तिरिस्कार देखता हूँ तो
फिर से कहता हूँ
जड़ों को काट कर हम फल की उम्मीद कर रहें हैं
संतों पर अत्याचार कर हम विश्व शांति कि उम्मीद कर रहे हैं
पर एक सवाल जरूर उठता होगा कि आखिर है क्या
इन बाबाजी के पास जो ये विश्व शांति और मानव मात्र के हितैषी है
तो जवाब सिर्फ एक ही है
ज्ञान ज्ञान ज्ञान और सिर्फ ज्ञान
वो भी गीता का ज्ञान
जिससे वो हर एक के भीतर अनहद नाद जगा सकते हैं
पर हम तो जड़ों को काट कर फल की उम्मीद कर रहें हैं
बुराई और दोष हमें बहुत जल्दी दिख जाती है
पर उनका निस्वार्थ सेवा कभी दिख नहीं पाता है
विकास के पथ पर हम नहीं विनाश के पथ पर बढ़ रहें है
मन में जहर है इसलिए तो समाज में भी वही घोल रहें है
ह्रदय में प्रेम नहीं है इसलिए प्रेम की चाहत रखतें है
ग़र है तुम्हारे अंदर करूणा, प्रेम, ममता, माधुर्य तो ज़रा बाँट कर दिखलाओ
पर सच में तुम तो जड़ों को काट कर फल की उम्मीद कर रहें हो
खैर छोड़ों मर्जी तुम्हारी हैं
जैसा करोगे वैसा ही भरोगे
वर्ष 2021 में एक पुस्तक लिखी थी “सच या साजिश ?: संस्कृती पर प्रहार” हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों में। वह भी मात्र ₹१-२ के मुल्य पर आशा करता हूँ आप सब पढ़ेंगे और अपना विचार जरूर रखेंगे।
To Read English Version of book click here
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Shanky❤Salty
जहां चाह हैं
वही राह हैं
पर जब तक चाह होगी
तब तक राह रहेगी
मंजिल कभी ना मिलेगी
रहीम साहब कि बात याद आती हैं
चाह गई चिंता मिटी,
मनुआ बेपरवाह।
जिनको कछु नहि चाहिये,
वे साहन के साह
जब चाहत मिटेगी तभी हमें मंजिल मिलेगी
वैसे भी सभी दुखों का द्वारा चाहत ही हैं
Shanky❤Salty
एक सृष्टि है
सुंदर-सी प्यारी-सी बेहद खुबसूरत-सी,
जब उस सृष्टि को बाँटा गया
तो बहुत से ग्रह, नक्षत्र, तारे, सितारे हो गए,
उसमें हमारी पृथ्वी हो गई
अब उसे भी महाद्वीपों में बाँट दिया,
महाद्वीपों को देशों में विभाजित कर दिया
देशों को राज्यों में बाँटा गया
राज्यों का जिला में बटवारा हुआ
जिला का अंचल में विभाजन हो गया,
अंचल से प्रखण्ड में
प्रखण्ड से गाँव, गाँव से मुह्ह्ल्ले, कसबे कर के बाँटता गया….
खैर छोड़ों,,,,
यहाँ तक तो थोड़ा ठीक था
जब जन्म हुआ
तो कहाँ जन्म हुआ?
मतलब किस घर में, किस कुल में ,किस धर्म में, किस जात में,
हिन्दू ,मुस्लिम ,सिक्ख, ईसाई कह कर खुद को बाँटें
फिर हिन्दू में भी ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र मे बाँटें
मुस्लिम होकर भी शिया ,सुन्नी में खुद को बाँटें,
चलो कोई नहीं,,,,
घर में भी माँ, बाप, भाई, बहन, सगे-संबंधी में भी बटवारा
जमीन का टुकड़ा भी बाँटा
पैसे का बटंवारा किया
यह सोच कर कि बाँटने के बाद वह मेरा होगा
पर हकीकत तो सामने तब आई
जब मृत्यु दरवाजे पे आई
और मुस्कुरा कर कही
“चलो वक्त हो गया है तुम्हारा ,जो है तुम्हारा सब बाँधो और साथ ले चलो”
दो पल रूक देखा मैंने
आखिर बचा ही क्या है मेरा
शुरुआत से अंत तक तो सिर्फ बाँटा ही बाँटा है
भला बाँटने से कोई भी चीज बढ़ती थोड़ी है….?
फिर क्या था
सब कुछ छोड़ जाना पड़ा
रंग तो बेशुमार हैं
और उन बेशुमार रंगों में
रंग सात हैं इंद्रधनुष के
पर हकीक़त तो यह है कि
उस सात रंगों में भी
रंग एक ही है
रंग-ए-सफ़ेद इश्क़ का…
मेरे मौला का…
Shanky❤Salty
One more book is done by your blessings & kind support.
First of all, I offer my gratitude by bowing to God. Who inspired me to write. I thank my parents. The existence of this book would have been difficult without his blessings. I am grateful to those writers readers and critic bloggers who helped me to excel in my writing. I would also like to thank Preeti Sharma ji and Radha Agarwal ji. I would like to express my sincere thanks to Sachin Gururani for the help he has given in making the cover of my book. To all those who helped me and did its proof reading and to all those who increased the respect of my creation with their thoughts. Also, a heartfelt thank you to all those who helped me write this book.
In this book I have written my journey. Yes, the final journey has shown the reality of death.
Yes, death!! that death which is known to all, but don’t know when it will come but it won’t kill us. I have written this book like satire in the form of lines after studying & understanding Shrimad Bhagwat Geeta, reading the voices of saints and great men.
What we call the final journey? In fact, is completely different from the point of view of spirituality. We keep the truth under the mask and call the lie as truth. The truth has been written just by removing the veil of that lie.
Hope you all read this book and take your life towards truth.
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Shanky❤ Salty
देखो न राम
कभी सम्मान न मिला राम
आपकी अयोध्या जी में राम
हमारी माँ सीता जी को राम
जनक जी ने कन्या दान किया था राम
शीश झुकाकर दान लिया था दशरथ जी ने राम
फ़िर क्यूँ न मिला हमारी माँ सीता जी को सम्मान राम
षड्यंत्रों का शिकार हो वनवास को गई माँ हमारी राम
अग्नि परीक्षा तक देनी पड़ी हमारी माँ को राम
फिर भी चैन ना मिला आपके अयोध्या वासियों को राम
क्या से क्या कह गए आपको राम
बन कर राजा रामचंद्र जी आप राम
त्यागा हमारी माँ को राम
रखा प्रजा का सम्मान राजा रामचंद्र जी ने राम
हृदय हमारा रो रहा है राम
बन रहा है भव्य मंदिर रामलला का राम
दिलवा दो न सम्मान हमारी माँ को राम
अपने अयोध्या जी में राम
जो प्रेम किया था हमारे प्यारे राम जी ने हमारी माँ से राम
वह दिखला दो राम
सच कहूं राम
कभी सम्मान न मिला राम
आपकी अयोध्या जी में राम
हमारी माँ सीता जी को राम
“कौन है राम” पुरी पुस्तक पढ़ने के लिए यहाँ 👉 क्लिक करें
Shanky❤Salty
“मोक्ष”
हम सभी को यह लगता है की “मोक्ष” मृत्यु के बाद ही होता है,
पर मेरी नज़रों में “मोक्ष” तो जीते जी ही हो सकता है,
शायद “मोक्ष” वह स्थिति है
जिसमें कोई भी खुशियाँ हमें खुश कर नहीं सकती है
और कोई भी ग़म हमें शोक में डुबो नहीं सकता है
बस हर पल आनंद ही आनंद
हर क्षण उसी एक की ही अनुभूति होना ही “मोक्ष” है,
“मोक्ष” एक ज्ञान है,
जिस शरीर को हम अपना समझते है क्या वह सदा टिक सकता है…?
बस एक झटके में मिट्टी में मिल जाएगा, आग में राख हो जाएगा,
इसलिए शरीर के मरने से पहले अपने अहम को मार देना चाहिए,
अपने अहंकार को राख कर देना चाहिए
बस यही “मोक्ष” है मेरी नज़रों में
आपकी नज़रों में क्या है “मोक्ष” ?
Written by:- Ashish Kumar
Shanky❤Salty
श्रीमद् भगवद्गीता
मूल श्लोकः
ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः।
मनःषष्ठानीन्द्रियाणि प्रकृतिस्थानि कर्षति।।15.7।।
(अध्याय १५,श्लोक ७)
श्रीकृष्ण ने कहा है ये श्रीमद्भागवत में
ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः
मेरा ही वंश है सभी जीवों में।
मस्जिद के अजान में कृष्ण ही है ना?
मंदिर के आरती में भी कृष्ण ही है ना?
उस ब्राह्मण पंडित में भी कृष्ण ही है ना?
उस चमार जूता सिलने वाले में भी कृष्ण ही है ना?
ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः
अजान कानों में चुभती थी।
मंदिर के घंटों से सिर दर्द होता था।
पंडित ठग लगता था।
चमार से घृणा होती थी।
पडोसी से परेशानी होती थी।
ऊँचे जाति से जलन होती थी।
नीची जाति से परेशानी होती थी।
मन में दो की भावना थी।
सच कहूं, तो गीता की पंक्तियाँ ना पता थी।
खैर छोड़ो, मैंने बतला दिया ना।
अब कृष्ण ही कृष्ण देखो।
भरोसा है ना? कृष्ण पर? श्रीमद्भागवत पे?
ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः
ना करो राग, ना करो द्वेष, ना करो घृणा
गाड़ी में बैठ गए तो गाड़ी नहीं ना हो गए?
गाड़ी पुरानी होती है तो कबाड़ में चली जाती है
शरीर भी पुराना होगा तो शमशान चला जाएगा।
डरते क्यों हो?
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।।२३।।४
आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं
न आग उसे जला सकती है
न पानी उसे भिगो सकता है
न हवा उसे सुखा सकती है
सब ने कहा है। मेरे कृष्ण ने कहा – बस भरोसा कर जीवन में अपनाना होगा
वो साहिब मेरा एक है, कृष्ण के सिवा है ही क्या दुसरा?
लिखने वाला भी वही है, और पढ़ने वाला भी वही है
है ना?
निसंदेह बोलो हाँ 😊
Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- My Lovely Rekha Aunty
Shanky❤Salty
मेरी लिखने का उद्देश्य किसी की भी भावनाओं को चोट पहुँचाना नहीं होता है पर मेरे लिखे व्यंग्य, पंक्तियों से बहुत से लोगों के बीच गलतफहमियां उत्पन्न हो रही है इसलिए अबसे मैं सिर्फ और सिर्फ अपनी डायरी में ही लिखुँगा और किताबों में ही मेरी लेखनी मिलेगी। और कहीं भी नहीं।
यह एक अकेला अब थक गया है
कोई भी साथी ने हाथ न बढ़या है
बस ताने और दो बातों ने मेरे दिल को बहुत जख्मी किया है
जितना वक्त मुझे सुनाने में लगाते हो
ग़र उसका कुछ वक्त मुझे ज़रा सा सुनने में लगा देते ना
तो शायद यह फैसला हम कभी ना लेते
यक़ीनन मैं बिना लिखें नहीं रह सकता हूँ
पर अब तुम्हें बिना मुझको पढ़ें रहना ही होगा
वैसे भी जिसे तुम शैंकी समझ रहे हो ना
उसकी आयु कुछ पल कि ही है
अंतिम यात्रा के साथ सब कुछ थम जाएगा
पढ़ूंगा सबको पर कहूंगा कुछ नहीं
बाँध मुट्ठी मैं आया था खोल मुट्ठी मैं जाऊंगा
बस अब मुस्कुरा कर मैं आप सबो को हाथ जोड़ क्षमा चाहता हूँ
और अलविदा कहता हूँ
Shanky❤Salty
हाल क्या पुछते हो जनाब
बेहाल है या खुशहाल है
ग़र पता नहीं
तो यार क्यों पता नहीं
खै़र छोड़ों
हम है राम जी के और राम जी हमारे
इतना ध्यान रखा करो
ग़र हो तुम भी राम जी के
तो साथ मेरे रहा करो
वर्ना तुम मेरा राम राम स्वीकार करो
Shanky❤Salty
आज सुबह जल्दी उठा था मैं
नहा-धोकर रामजी की पुजा कर बैठ अख़बार पढ़ रहा था
कि तभी एक फोन आया और कुछ काम से बाहर जाना हुआ मेरा
काम खत्म कर घर आ ही रहा था की
रास्ते पर शनि मंदिर पर नज़र पड़ गईं,
सोचा, चलो हो आते हैं
सालों बाद आज शानि मंदिर में प्रवेश कर ही रहा था की तभी
बाहर मुझे कुछ भिखारी दिखे,
बड़े ही मासुमियत से कहे रहे थे वे
“कुछ दे दो मालिक भगवान भला करेगें आपका“
इतने में ही किसी सज्जन व्यक्ति ने तड़ाक से कह दिया
“मेहनत-वेहनत करो यार ,क्या भीखा माँगते रहते हो“
और इतना कह अंदर मंदिर चल दिए,
मैं भी पीछे-पीछे गया उनके,
उनको देख मैं दंग रह गया
हाथ फैला कर कह रहे थे शनि महाराज से
“बिटिया की शादी नहीं हो रही है ज़रा कुछ करो महाराज,
बेटा का नौकरी जल्दी हो जाए शनि महाराज कृपा करो,
मेरे धंधे में बरकत दो महाराज बरकत दो“
इतना कह हाथ जोड़ लिए और शनि महराज के पाँव पर गिर गए
फिर उठ कहते है
“ऊँ शनैश्चराय नमः ऊँ शनैश्चराय नमः ऊँ शनैश्चराय नमः“
फिर प्रणाम कर मंदिर से बाहर आयें
और भिखारियों को दो-दो रूपये के सिक्के देकर मेहनत करने की नसीहत दे चलते बने,
यह देख मैं हसता हुआ मंदिर के अंदर गया तो देखा
शनि महाराज जी भी मुस्कुरा रहे थे और शायद कह रहें हों
धन्य हो, हे मानव ! तुम-री लीला
तुमनें इतनी जल्दी रंग बदला
की गिरगिट भी तुझको देख अपनी हरकत भुला
Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- Ziddy Nidhi
Shanky❤Salty
समाज की बुराईयां हर किसी को दिख जाती हैं
पर कम्बख्त उसे दूर करने के बजाए
उसी सामाज में बैठ, उसी समाज की बुराई करते हैं
वो कहते हैं ना,,,,,
मौला-मौला लाख पुकारे पर मौला हाथ ना आए,
पानी-पानी रटतें-रटतें प्यास ही मर जाए,
एक चिंगारी लब पर रख लो लब फौरन जल जाए,,,,,,
ग़र चाहते हैं हम हकीकत में बदलाव
तो खुद से शुरूआत हम क्यों न करते हैं?
काम न करने वाला मुरख बस बुराईयां ही ढूंढता रह जाता है
Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- Ziddy Nidhi
Shanky❤Salty
वक्त बदल गया है,
कहने वालों….ज़रा तो शर्म करो
कम्बख्ख़त तुम्हारा ईमान बदल गया है,
कभी तो क़बूल करो
Shanky❤Salty
अख़बारों पर ख़बरें छपती हैं
पर हालतें नहीं छपती हैं
अख़बार बेचने वालों की……
खुश-खबरी छपी,
गमों की ख़बरें भी छपीं,
और फिर दो रूपये में अख़बार बिकी
या फिर ज़िन्दगी बिकी
अख़बार बेचने वालों की……
Modified by:- Nidhi Gupta
Originally written by:- Ashish Kumar
Shanky❤Salty
सभी को खुशीयां ही चाहिए
चाहिए ना किसी को भी ग़म
हम भागत फिरे है खुशीयों के पीछे
ग़म भी भागत फिरे है हमरे पीछे
दुनिया में एैसा कोई नहीं होगा जिसे दुख चाहिए
पर हक़ीक़त यहा है कि
दुनिया में एैसा कोई नहीं होगा जो सुखी होगा
Shanky❤Salty
रिश्तों में ग़र मुनाफा ढ़ुढ़ोगे
तो एक दिन नुकसान का भी बोझ उठाना पड़ेगा
Shanky❤Salty
मृत्यु को सबका पता मालूम है
बस आपको पता होना चाहिए
कि आपकी मृत्यु हो नहीं सकती
Shanky❤Salty
लोग समझते है कि
ग़र पास पैसा हो तो सबकुछ पास होता है
पर वास्तविकता यह नहीं है
जब तक पास पैसा होगा आपके पास कुछ नहीं होगा
आपके हाथों से पैसे जाएगें
तब ही चीज़, वस्तुएँ पास आएंगीं
पैसे देकर ही हम कुछ हासिल कर सकते है
पैसे पास रखकर हमें सिर्फ ग़म कि कतारें ही मिलेगी
बिना पैसे दिये विद्या नहीं मिल सकती स्कूलों में
बिना पैसे दिये अन्न नहीं मिल सकता है
फिर भी लोग सोचते है
पैसे होंगे तब हम सुखी होगें
दरसल हालात ऐसे है
कि रोशनी होते हुए भी हम आँखें बंद कर लेते है
और कहते है अंधियारा है
Published by ‘Anonymous’ on behalf of Shanky
Shanky❤Salty
जब इश्क़ की बात होगी
तब नौ महीने कि इब़ादत सबसे पहले होगी
Shanky❤Salty
परिस्थिति अनुकूल हो तो सब आजु-बाजू ही नज़र आते है
पर जब परिस्थिति विकट हो तो निकट नज़र कोई नहीं आता है
परेशान था मैं, कुछ अनुकूल ना था
हाँ मेरा व्यवहार भी कुछ पल के लिए प्रतिकूल था
कमरे कि बिखरी चीजों में तुम्हें खोजता था
यकिनन मेरे पैर अब लड़खडाते है
आँखों से भी कम नजर आता है
धड़कनों का तो तुम्हें पता ही है
लिखना तो छूट रहा है अब
हर किसी से मेरा रिश्ता टूट रहा है अब
ऊंगली मुझको नहीं उठानी है
वक्त, हालात और तुम पर
हाँ गलती मेरी ही है और गलत भी मैं ही हूँ
लगाम मेरी नहीं थी ज़ुबां पर
इसलिए तो हर कोई ख़फ़ा है मुझ पर
क्या लेकर आया था मैं
और लेकर क्या जाऊँगा मैं
चार दिन की ही है ज़िन्दगी
ना तो भीड़ साथ जाएगी
और ना ही तुम
ठीक है मेरी आवाज अच्छी थी
मेरी कुछ हरकतेें अच्छी थी
हाँ यार वो सब था
पर अब नहीं
खैर छोड़ों ये सब बातें
स्वास्थ्य तो जा ही रहा है
साथ ही धन दौलत भी
अब तो मैं चलता हूँ
हो सके तो तुम आ जाना
ग़र नहीं
तो अंतिम यात्रा कि ख़बर मिल ही जाएगी
हाथ जोड़कर ही कहता हूँ
साँसें है तब तक ही साथ रहो ना
साँस रूकते ही मैं यादें बन तुम्हारे साथ रह लूंगा ना
Modified by:- Preetii Sharma
Originally written by:- Ashish Kumar
Shanky❤Salty
Invest money gives a return.
But invest time with Imrana
Gives me unachievable memory
Shanky❤Salty
दो दोस्त मिलते हैं तो क्या होता है?
चुगली होती है तीसरे की 😆
पर जब दो लेखक मिलते है तो सिर्फ
किताबों कि ही बात होती है
चाहे वो मंजुर नियाज़ी साहब की हो
या हो कबीर जी की बातें
नालंदा विश्वविद्यालय की बातें हो
या हो मगध विश्वविद्यालय की बातें
राम जी की भी बातें और अल्लाह की बातें भी
केदारनाथ की बातें और अमरकंटक के नर्मदा की भी बातें……
बातें है खत्म कहाँ होती है……?
जब निकलती है तो बहुत दुर तक जाती,
उम्र में तो हम माँ बेटे जैसे हैं
हकीकत में खून का रिश्ता नहीं,
पर हाँ हैं तो हम दोनों ही उसी ब्रह्म के संतान…….
कहतीं तो वो मुझको बेटा है
और मैं उन्हें आण्टी
कुछ लोग कहते हैं वो आण्टी नहीं माँ जैसी लगती हैं
तो कुछ कहते किसी जन्म की माँ जरूर होगीं वो मेरी,
पर जो भी हों, हैं तो मेरी सबसे प्यारी आण्टी जी,
हर रिश्ते में स्वार्थ देखा
पर यहाँ सिर्फ निस्वार्थ और निश्छल प्रेम ही छलकता देखा है,
दोनों के उम्र में इतना फर्क है और मिले भी पहली बार हैं
पर अपनापन सा महसूस होता है
पता ही न चला वक्त कब बित गया,
कुछ मिठाईयाँ और चॉकलेट ही लेकर गया
और आपने भी कुछ पैसे दिये
पर वह सब तो वक्त के साथ खत्म हो जाएगा
लेकिन आपका वात्सल्य और माधुर्य प्रेम
तो मेरे साथ आशीर्वाद बन कर भी हमेशा रहेगा
चाय तो जल्दी पीता नहीं था
पर आपके साथ चाय पर चर्चा भी हो गई
पेट भरा था फिर भी
आपके साथ खाना खाने की किस्मत राम जी ने लिख ही दिया था…….
बात तो हुई हरिणा दीदी के बारे में, मधुसूदन अंकल, कुमूद दीदी,
निधि दीदी, प्रीति, वर्मा अंकल, पदमा-राजेश आण्टी की बातें
राम जी की भी बातें, हरि नारायण की भी बातें हुई
शंकर से नर्मदा का कंकर तक
मृत्यु से मोक्ष तक
जीवन से जीवन जीने की कला तक
बस माँ भवानी की कृपा हम दोनों पर बनी रहें
सच में आपसे मिलकर जितनी खुशी हुई
उतनी खुशी और कभी किसी से भी मिलकर नहीं हुई थी
आप स्वस्थ रहे और हमेशा लिखते रहें
Modified by:- Nidhi Gupta & Preetii Sharma
Originally written by:- Ashish Kumar
Shanky❤Salty
दिल भारी है
मन सवाली।
दुनिया ये अजीब है
बातें सबकी जाली।
Let’s Connect on Instagram
Shanky❤Salty
हनुमान चालीसा हर किसी को पढ़ना है
किसी को घर में
तो किसी को रोड़ पर
तो किसी को मस्जिदों के सामने
तो किसी को मंदिरों में
इसके घर के बाहर
तो उसके घर के बाहर
बड़ी बड़ी रैलियाँ निकालनी है
पर किसी को भी
हनुमान जी की तरह
वाणी में विनय नहीं रखना है
ह्रदय में धैर्य नहीं रखना है
सदाचार रख नहीं सकते
ब्रह्माचर्य का तो नामों निशान नहींं है
है तो है
बस
चित में राग और द्वैष
खैर छोड़ो
हनुमान चालीसा हर किसी को पढ़ना है
Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- Ziddy Nidhi
Shanky❤Salty
मंदिर गए थे कुछ लोग
हाँ भीख माँगने ही
देखा था मैंने उन्हें
माना कि हाथ में कटोरा ना था
पर नियत में भीख ही थी
अमर होने कि भीख माँग रहे थे
यह देख राम जी मुस्कुरा रहे थे
और मुस्कुराए भी तो क्यों नहीं
राम जी ने ही तो द्वापर युग में
कृष्ण रूप में आकर मानव मात्र के लिए
जब गीता का ज्ञान दिया अर्जुन को
तो उन्होंने स्पष्ट कहा था
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥
अर्थ है:
आत्मा को
न शस्त्र काट सकते हैं,
न आग उसे जला सकती है।
न पानी उसे भिगो सकता है,
न हवा उसे सूखा सकती है।
स्पष्ट है, तुम तो हमेशा से ही अमर हो फ़िर भी कटोरा लेकर भीख क्यों? अज्ञान से या नासमझी से या मुर्खता से?
जब माँग रहे हो राम जी से तो राम जी को माँगो ना। यह चिटपुटिया चीजें क्यों माँगोंगे?
हाथ पर गीता रख कसमें नहीं खानी चाहिए। हाथ में गीता लेकर उसको पढ़ना चाहिए।
गाड़ी में बैठ गए तो गाड़ी नहीं बन जायेंगे। घर में बैठ गए तो घर नहीं बन जायेंगे।
मेहेंदी का पत्ता दिखता हरा है पर वास्तविक में तो लाल है।
कब पहचानोगे अपनी लाली को??? अपनी यात्रा को सच में अंतिम कर लो नहीं तो जिसे अंतिम यात्रा कहते हो ना दरसल हकीकत में वो अंतिम होती नहीं।
Modified by:- Preeti Sharma
Inspired by:- Sonali
Originally written by:- Ashish Kumar
Shanky❤Salty
Hello my lovely Readers & Writers,
Hope you are not fine😁
If you are fine then
I’m sure you all forgot me😅
Btw, come to the point.
I’m planning for my 11th book named as
“My Last Journey”
Totally based on death.
How we welcome
A newborn body
To
The last farewell of a body.
Because without your support
My words are incomplete.
So I request you to all
Please give your valuable
Suggestion about the topic in this form
👇
Or Give your suggestion in the comment box
Shanky❤Salty
Poison Is No Longer
Found In The Market
They Are Easily Available
In The Mind Of The People
Shanky❤Salty
What are you seeing
In the mirror ??
Beauty is not there
In the mirror,
It’s hidden
In the eyes of beholder
Shanky❤Salty
“समाज क्या कहेगा”
यह शब्द इंसान के भीतर इंसानियत को
ज़िंदा रखने में बहुत मदद करता है
Shanky❤Salty
शरीर की गंदगी तो हर सुबह धो ही देते हो
मन की गंदगी कौन सी सुबह धो रहे हो
Published by Anonymous on behalf of Shanky_Salty
Shanky❤Salty
तुम मिलो या ना मिलो
पर तुझे पाया है तो पाया है मैंने,
ना तो इश्क़ की बात करेंगे
और ना ही इबादत की,
हम बात करेंगे तो
सिर्फ और सिर्फ तेरी ही बातें
ग़र मिल जाते तुम
तो फ़िदा ना होते हम,
ये अल्फ़ाज़ तुम्हारें ना होते
जो हम आज लिख रहें हैं,
आँखों से आँसू युंही न छलकते,
तुझको ही पुकारूँ,
ग़र मिल जाते तुम
तो फ़िर किसपे हम मरते
Shanky❤Salty
सच कहना बहुत आसान होता जा रहा है
सच सुनना बहुत ही कठिन होता जा रहा है
Shanky❤Salty
होलिका में लकड़ी जलेगी
फेरे लेतें फिरोगें
पर हमारा अहम कब जलेगा….?
राम जी के लिए मन का मनका कब फिरेगा…?
पापिन, अविद्या कब मिटेगी….?
अहंकार को राख होते कब देखेंगे….?
होली में लाल हो या हो पीली
हम उसी रंग में रंग जाते हैं
वो कहते हैं
लाल ना रंगु ना रंगु पीली
पीया मोहे अपने ही रंग में रंग दो ना
रंग दो ना….
सच में राम जी
ज्ञान के रंग में रंग दो ना
ऐसा रंग में रंग दो जिससे
सब कुछ राम राम राम राम ही दिखे
नहीं देखना है मुझको
जात, धर्म, मजहब, रंग भेद की मूरत
ऐसा रंग दो कि वो रंग कभी उतरे ना
यह होली आपके साथ होली राम जी
आपके साथ हो’ली’ राम जी
Shanky❤Salty
मकसद उनका सुंदर सुशील बहु घर लाना नहीं होता
बल्कि नोटों से भरी सुटकेस, गहने घर लाना ही होता है
पाल पोस कर वो बेटे नहीं बकरे तैयार करते है
जिन्हें वो शादी के नाम पर बेच देते है
Shanky❤Salty
मेरी एक दोस्त है,
नाम है उसका रिया
है तो मेरी सबसे अच्छी दोस्त
लेकिन Attitude है उसके
अंदर बहोत।
फिर भी जैसी भी है,
अच्छी है मेरी दोस्त।
चलो चलते है दुसरे दोस्त पर
नाम है उसका Samar
वो है मेरे क्लास का मोनीटर
सब पर रोब जमाता है,
आता है कुछ भी नहीं फिर भी,
अपने आप को smart समझता है
जब क्लास में टीजर नहीं हो
वो भी Attitude दीखता है।
लेकिन फिर भी,
मेरा सच्च दोस्त कहलाता है।
अब आता है तीसरा मित्र
उसका नाम है Shanky
मैं उसे चिढ़ाती हूँ snaky-snaky-snaky
जब भी उससे बातें करू
मुझे परेशान करता है,
है मेरा सबसे प्यारा दोस्त।
दीदी दीदी बुलाता है।
~ Imrana!
Thanks For Reading
A Lovely poem written by my Cute-cum-Funny Imrana Didi✨❤
Please give your views in the comment box about this poem.
Shanky❤Salty
बैठा हूँ भीड़ में ही
पर रूठी है भीड़ मुझसे
किरदार हज़ारों हैं
पर ख़ामोशी नहीं मुझमें
बस मौन हूँ मैं
हस हस कर ज़िन्दगी काट रहे हैं वो
आखिर कब तक हम
भीड़ में जियेगें
यात्रा तो अकेले ही करनी है
बेशक अंतिम यात्रा में भीड़ तो होगी
पर केवल शमशान तक ही
उसके आगे की यात्रा में
क्या वो भीड़ साथ निभाएगी???
Modified by:- Ziddy Nidhi
Shanky❤Salty
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Shanky❤Salty
धन्यवाद सदाशिव शंभू
रूपये, पैसे, धन, दौलत, दिमाग खर्च कर के वो नहीं मिल सकता है जो आपने महाशिवरात्रि की रात्रि में दिया है। धन्यवाद सदाशिव शंभू धन्यवाद🙏💕
चारों प्रहर में पुजा हुई आपकी
दुध से, दही से, धी से, मधु से
विल्वप्रत्र से, जल से, चंदन से
पर शंभो यह चिज, वस्तु
आपके शिवलिंग स्वरूप में टिक न सकी
पुष्प मुरझा गए, दुध, दही, जल तो बह गए
जो भी अर्पण की सब उतर गया शंभू
बस आप थे, हैं और सदा रहेंगे
ठीक वैसे ही हम भी है शंभू
गाड़ी में बैठ गए तो खुद को गाड़ी नहीं मानते हैं
घर में रहते हैं तो खुद को घर नहीं मानते हैं
जग को देखा था अब तक शंभो
पर आपने तो उसे ही दिखा दिया जिससे सारा जग है
सुख-दुख सपना है केवल शंभू ही अपना है
ना तो अन्न लिया ना लिया जल
पर शंभू ने जो दिया है उसे शब्दों में बयां करना संभव नहीं है
तृप्त कर अनहद नाद दिया है
✨धन्यवाद सदाशिव शंभू धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद सदाशिव शंभू✨
Shanky❤Salty
देखा है मैंने
भाँग पीने से
नशा चढ़ता है
ठीक उसी प्रकार
तेरा नाम मेरे अंतः में बसता है
पर तेरी सौगंध खा कहता हूँ मैं
भोले बाबा के नाम से ही सारी ज़िंदगी सुधरता है
https://drive.google.com/file/d/18XiGiZGHuchPbKAms6dcw08QAzRvAP_Y/view?usp=drivesdk
Shanky❤Salty
शिवरात्रि सोने का नहीं
जागने का दिन है
अपने आत्मज्ञान को
जागाने का दिन है
अपने शिव स्वरूप में
विश्रांति पाने की रात्रि है
उपवास करने का दिन है
पर भूखे नहीं मरना है
शरीर से कुछ भी
न खाओ-पीयो
पर अपनी आत्मा को
राम रस-शिव रस से
तृप्त कर दो
सुंदर श्रृष्टि को देखते हो
पर यह श्रृष्टि जिससे है
उसको क्यों नहीं देखते हो
मेहंदी के पत्ते भी खुद को
हरा ही समझते है
उन्हें भी अपनी लाली का
अंदाज़ा नहीं है
तुम भी
चीज, वस्तु, रूपये, पैसे में
खुशियाँ ढूढ़ते हो
तुम्हें भी अपनी शक्तियों का
अंदाज़ा नहीं है
कब तक खुद को
खुशियों और ग़म की
जंजीरों से बाँधें रखोगे
खुद को शरीर समझ कर
कब तक जुल्म ढहाओगे
हिंदू मुसलमान समझ कर
कब तक झोपड़ियों में रहोगे
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र, सिया, सुन्नी समझ कर
कब तक खुद को ठगोगे
गोरे काले भी तो समझते हो ना
आखिर कब तक
राजा हो या रंक असली औकात
तो शमशान में दिख ही जाती है
इस महाशिवरात्रि शिवजी पर दूध, घी, जल, बेलपत्र, फूल, फल चढ़ा कर पुजा करो या ना करो
पर अपने आत्म स्वरूप से उस आत्म शिव की पूजा जरूर से जरूर करना।
भोले बाबा कहते हो उन्हें
तो वो कहीं हिमालय पर, गुफाओं में, मंदिरों में, मस्जिदों में तुम्हें मिलें या ना मिलें मुझे पता नहीं है। पर तुम्हारे भीतर वो तुम को जरूर से जरूर मिलेगें।
बस करबद्ध प्रार्थना है सबसे इस महाशिवरात्रि अपने अंतःकरण में अपने भीतर अपने आप से मिल कर देखों। मेरा वादा है आप सबसे फ़िर कुछ भी देखने को बाकी नहीं रह जाएगा।
नाहं वसामि वैकुण्ठे योगिनां हृदये न च
मद्भक्ता यत्र गायन्ति तत्र तिष्ठामि नारद।।
Modified by:- A Wonderful Writer Radha Agarwal