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अमृत…….!!!!

February 20, 2022

Shanky❤Salty

अमृत

है तलाश सबको अमृत की
ऐसी चीज़ जिसे खा-पीकर
अमर हो जाना है

पर कमबख़्त उन्हें कैसे समझाऊँ मैं
कि दुनिया में ऐसी कोई चीज़ ही नहीं
जो तुम्हें मार सके
तुम तो सदा ही अमर-चैतन्य हो

बस ज़रूरत है तो तुम्हें उस आत्मज्ञान रूपी अमृत की


शुरू करो जश्न कि तैयारी…..आ रही है महाशिवरात्रि


Modified by:- A Wonderful Writer Radha Agarwal

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आँसू या मोती…….!!!!

February 18, 2022

Shanky❤Salty

वो कहते है ना..
“मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती है,
जो ना समझे तो पानी है !!”

यार मोती और पानी की बात हीं छोड़ो
ग़र हकीकत में वो समझते इतना
तो आँखों में आँसू ही ना होते।


Modified by:- A Wonderful Writer Radha Agarwal

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वृद्धा आश्रम से अनाथ आश्रम तक…..!!!!

February 14, 2022

Shanky❤Salty

यह पुस्तक काव्यात्मक ढंग से
वृद्धाश्रम से अनाथालय तक की
यात्रा है
हर रिश्ते में
स्वार्थ देखा है हमनें
एक माँ – बाप ही हैं
जिन्हें निस्वार्थ देखा है
वो बचपन में ही
खुशियों के रास्ते
खोल देते हैं
हम बड़े हो कर
उनके लिए
ना जाने क्यों
वृद्धा आश्रम के रास्ते
खोल देते हैं
पढ़ा – लिखा कर
हमको क़ाबिल बना देते हैं
पर हम कभी
उनके दर्द को पढ़
नहीं पाते हैं
अपने अरमानों का
गला घोट
जिन्होनें हमे इंसान है बनाया
हमनें अपनी इंसानियत को मार
माँ – बाप की आँखों से
आँसू बहवाया है
जिन्होंने हमको
उंगली पकड़
चलना सिखाया है
हमने उनको हाथ पकड़
घर से बेघर कर दिखाया है
अपनी खूशबू दे हमको
जिन्होंने फूल बनाया है
हमने तो काँटे दे
उनको रुलाया है
जिसने काँधे पे बैठा हमें
पूरा जहाँ घुमाया है
उसे सहारा देने पे
हमें शर्म आया है
हमारी छोटी सी खरोंच पर
उसने मरहम लगाया है
हमने अपने शब्दों से ही
उनके दिल में जख्म बनाया है
बचपन में बच्चों कि
तबियत बिगड़ती थी तो
माँ – बाप कि धडकनें बढ़ती थीं
आज माँ – बाप कि
तबियत बिगड़ी है तो
बच्चे जायदात के लिए झगड़ते हैं
हम प्रेम दिवस मनायेंगें
माँ – बाप को भूल
प्रेमी संग ज़िन्दगी बितायेंगे
सच कहूँ तो
रूह को भूल
ज़िस्म से इश्क़ कर दिखायेंगे
पता नहीं
माँ – बाप ने कैसे संस्कार हैं
हमको दिये
बड़े होते ही
इतने बतमीज़ बन गए
जिनकी कमाई से
अन्न है खाया
आज उनको ही
दो वक्त की रोटी के लिए
है तरसाया
गूगल पर
माँ – बाप की
बहुत अच्छी और प्यारी
कविताएँ मिल जाती हैं मुझको
पर पता नहीं क्यों
मैं निःशब्ध हो जाता हूँ
वृद्धा आश्रम की चौखट पर आ कर
माँ – बाप का तिरस्कार वो कर
मेरे राम जी के सामने
आशीर्वाद हैं माँगते
अब किन शब्दों में
समझाऊँ मैं उनको
ईश्वर ही हमारे
माँ बाप बनकर हैं आते
अपने संस्कारों से
जिसने हमें है पाला
आज हमने अपनी हरकतों से
जीते जी माँ – बाप का
अंतिम संस्कार है कर डाला
भरे कंठ लिए
एक सवाल है
गर माँ – बाप से मोहब्बत है
तो वृद्धा आश्रम क्यों खुले हैं ?
एक सवाल है
गर माँ – बाप से मोहब्बत है
तो वृद्धा आश्रम क्यों खुले हैं ?

मेरे इस सवाल का जवाब
किसी के पास नहीं होगा
पर मेरी पंक्तियों को पढ़ हर
किसी के आँखों से
आँसू छलक ही जाएगा
यार वो कितना भी
पत्थर दिल क्यों ना हो
वो एक ना एक पल
पिघल ही जाएगा
हमें जीवनसाथी तो
हजारों मिल जाएंगे
परन्तु क्या माँ – बाप
दुसरे मिल पाएँगे ???
अब बेसरमों कि तरह
हाँ मत कह देना
हाथ दिल पल रख
मैं कहता हूँ
एक बार प्यार से
माँ – बाप को
गले लगा के तो देखो
प्रेम दिवस उनके साथ
मना के तो देखो
सच कहता हूँ
तुम निःशब्ध हो जाओगे
जब माँ बाप के हृदय से
तुम्हारे लिए
करुणा, माधुर्य, वात्सल्य
छलकेगा न
तब तुम्हारे रूह से
आवाज आएगी
“हो गए आज सारे तीर्थ चारों धाम”
“घर में ही कुंभ है”
“माँ – बाप की सेवा ही शाही स्नान है”
मान लो मेरी बात
यही दिव्य प्रेम है
बाकी तो आप जानते ही हो
क्योंकि सुना है
आप समझदार हो
मेरे शिव जी ने भी कहा है
“धन्या माता पिता धन्यो”
“गोत्रं धन्यं कुलोदभवः”
“धन्या च वसुधा देवि”
“यत्र स्याद् गुरुभक्तता”
जिसके अंदर
गुरुभक्ति हो
उसकी माता धन्य है,
उसके पिता धन्य है,
उसका वंश धन्य है
उसके वंश में
जन्म लेने वाले धन्य हैं,
समग्र धरती माता धन्य है
वैसे प्रथम गुरु कौन होता है
हम सबको पता ही है
तो कर लो न
गुरुभक्ति उत्पन्न
मैं बहुत कुछ कहना चाहता हूँ
हृदय की पीड़ा है
जब सुनता हूँ
बलात्कार हुआ,
किशोराअवस्था में
बच्ची गर्भवती हो गई,
17 साल की बच्ची का
गर्भपात हुआ,
इश्क कर बच्चे भाग गए
अब आगे क्या कहूँ
मेरे आँसू ही जानते हैं
शायद माँ – बाप ने
अच्छे संस्कार नहीं दिये होंगे
इसलिए एैसा हुआ होगा
यह कह हम ही ऊँगली उठाते है
अच्छा छोड़ो ये सब बातें
गर तुम्हें एक साथ
आँखों से सच देखना है
और कानों से झूठ सुनना है
तो किसी वृद्धा आश्रम जा कर
वहाँ रहने वाले
किसी से भी
उनकी ख़ैरियत पूछ कर देखो
तुम खुद – ब – खुद समझ जाओगे
मैं कहना क्या चाहता हूँ
और लिखना क्या चाहता हूँ
तुम्हारे पास वक़्त कहाँ
सच में
अब तुम बड़े हो गए हो
वक़्त कहाँ है
बुढ़ापा आने में
निकल रहा था मैं
वृद्धाआश्रम से
अचम्भित सा रह गया
गुजरते देखा मैंने
एक औरत को
वृद्धाआश्रम के बगल से
शुक्रिया अदा कर रही थी
वह ईश्वर को
रहा न गया मुझसे
पूछ बैठा मैं
“आप कौन हो”
मुस्करा वह कह गई
“एक बाँझ हूँ”
गूगल के द्वारा पता चला है
भारत में कुल 728 वृद्धा आश्रम हैं
और 2 करोड़ अनाथआलय हैं
वो कहते है न
कर्म का फल सबको
भोगना ही पड़ता है….!!!
खैर छोड़ो
तुम्हारी जो मर्जी हो करना
हाथ जोड़ कहता हूँ
बस सिर्फ एक बार
सिर्फ एक बार
हर दुआ में उसकी दुआ है
जिसके सिर पर
माँ की छाया है
समझो ना वहीं पर
खुदा का साया है
काँटों को फूल बनाया है
पिता ने
हर मुश्किल राह को
आसान जो बनाया है
सोकर स्वयं गीले में,
सुलाया तुझको सूखे में
माँ की
ममतामयी आँखों को,
भूलकर भी
गीला ना करना
माँ की
ममता का
और
पिता की
क्षमता का
अंदाजा लगाना
असंभव है
उंगली पकड़ कर
सर उठा कर
चलाना सिखाया है
पिता ने
अदब से
नज़रें झुका कर
चलना सिखाया है
माँ ने
सब सिखाया है
माँ ने
हौसला भरा है
पिता ने
यश और कीर्ति
दिलाया है
पिता ने
माधुर्य और वात्सल्य
दिलाया है
माँ ने
कर्ज लेना कभी नहीं
सिखाया है
आपने ना जाने क्यों
हमें अपने कर्जदार बना दिया है
जिसे इस जन्म में
तो पूरा करना
संभव ही नहीं है
जब तक साँसे है
तब तक
कर लो
ना प्यार उनको
देखा है मैंने
साँसे रुक जाती
है ना उनकी
तो सुकून की नींद
उड़ जाती है हमारी
पिता कि साया
हटते ही
खुद-ब-खुद
बड़े हो जाते है
माँ के गुजरते ही
बच्चे तकिये में
मुँह छुपा
रोते रह जाते है
जमीन के टुकड़े
के लिए बच्चे
माँ बाप के दिल के
हाजारो टुकड़े
कर देते है
गरीबी सताती जरूर थी
पर हमारा पेट भर
वो खुद भूखा रहती थी
वो और कोई नहीं
हमारी माँ ही थी
हम कैसे खुश रहे
इस सोच में ही
तो माँ बाप
सारी जिंदगी
गुजारते है
धन लाख करोड़
कमाया है
माँ बाप को
खुद से दूर कर
तूने असली पूंजी
गवायाँ है
खाया है मैंने
माँ के एक हाथों से
थप्पड़ तो
दूजे से घी वाली
रोटी याद है
मुझे वो रात भी
जब खुद की
नींद उड़ा कर
गहरी नींद में
सुलाती थी
खुद गीले में
सो कर मुझको
सूखे में सुलाती थी
जरूरतें अपनी भुला कर
हसरतें मेरी पूरा करते थे
वो और कोई नहीं
मेरे मेरे पिता थे
मेरे आँसूओं को
मेरी चीखों को
वो मुस्कान में
बदलती थी
आज जब वो
बूढ़ी हो गई है
तो ना जाने क्यों
हमें उसके जरूरतों
कि चीख – पुकार
कानों तक नहीं रेंगती है
यक़ीनन बेटा अब
बड़ा हो गया है
पैरों पर
खड़ा हो गया है
जमाने की चकाचौंध में
वो अपने माँ बाप को
भूल गया है
अरसा बीत गया होगा
माँ की गोद में सोए हुए
पर कोई बात नहीं
जब माँ सदा के लिए
सोएगी ना
तब हमें उसके गोद की
कमी खलेगी
एक अनुभव लिखता हूं
मैं करीब नौ दस घंटे
जंग लड़ रहा था
हाँ वही मृत्यु से
दुआओं का
दौर चल रहा था
मेरे अपनों का
जंग करीब करीब
जीत चुका था
खबर भी
फैल गई थी
जंग में जीत हो गई है…..
….लोग अपने अपने
घर चल दिए थे
कुछ लोगों ने
खाना खा लिया था
तो कुछ
सो चुके थे
पर…..
…कुछ ही देर में
बाजी पलट चुकी थी
मृत्यु ने
प्रहार शुरू कर दिया था
सफेद चादर से
मैं लिपटा था
पल भर में ही
खून के फव्वारों से
वो लाल हो गया
हार चुका था मैं
जिंदगी की जंग को
चीखता रहा मैं
चिल्लाता रहा मैं
पर मृत्यु ने
अपनी पकड़ नहीं छोड़ी
मेरे शरीर से
मेरे प्राणों को
खींच कर अलग
करने ही वाली थी
कि
तभी ईश्वर के दूत आए
हाँ माँ पापा आए
माँ मुझको देख
हैरान तो हो गई थी
पर मृत्यु उन्हें देख
परेशान हो गई थी
पापा ने
तुरंत जिंदगी के कागज पर
दस्तखत कर
जीत का आदेश लिखा
फिर क्या
मृत्यु को
इजाजत ही नहीं मिली
और खाली हाथ
उसे वहाँ से लौटना पड़ा
कहाँ था ना मैंने
बहुत पहले
जिनके सिर पर
महादेव का हाथ होता है
वहाँ पर
मृत्यु को भी
इज्जात लेनी पड़ती है
और स्पष्ट रूप से
देख भी लिया मैने
खुशियां ज़िन्दगी में
कम होती जा रही है
दो रोटी के लिए
हम माँ बाप से
जो अलग होते
जा रहे है
माँ बाप के
प्यार जैसे प्यारा
और कुछ नहीं
लगता है
माँ बाप के
चेहरे में
खुशियां आसानी से
दिख जाती हैं
पर जख्मों का दाग
दिख नहीं पाता है
अपने संस्कारों से
हमारी हिफाज़त
करने का संकल्प
जो लिया है उन्होंने
अपनी जान से
भी ज्यादा
हमको चाहा है
हम सबने
सत्यवान और सावित्री
कि कहानी सुनी ही होगी
की यमराज से भी
अपने पति की प्रारण
ले आती है
पर
यह तो माँ बाप है
जो मृत्यु तो
बहुत दूर कि बात है
यह तो संकट को भी
पास भटकने ना दे

ऐसा अद्भुत प्रेम है इनका
पिता हमारी
खामोशियों को
पहचानते हैं
माँ हमारे
आँसूओं को
आँचल में पिरोती है
बिन कहे ही
हालातों को
हमारे अनुकूल कर देते है
जब माँ बाप साथ हो ना
तो किसी भी चीज कि
परवाह नहीं होती
उनके होने से ही
हर दिन होली लगती है
हर रात दिपावली लगती है
और ना हो ग़र माँ बाप तो
पूछो उनसे
होली भी बेरंग सी लगती है
दिपावली भी
अंधियारा सा लगता है
आँखों में आँसू
और मन भारी सा लगता है
क्या मंदिर-मस्जिद
भटका है वो
क्या स्वर्ग कि
चाहत होगी राम जी उन्हें
माँ बाप मिले हैं जिन्हें
चरणों में ही माँ बाप के
बैकुंठ होगी
पता नहीं राम जी
वो औलाद कैसी है
जो सफलता की
शिखर पर पहुंच कर
पूछता है माँ बाप से
तूने किया ही क्या है मेरे लिये
बस राम जी
यही कारण है
उसके पतन का
कहता है
वो औलाद
जो भी किया
वो तो फ़र्ज़ था
पर कैसे समझाऊँ
मैं उनको
यार कम से कम
माँ बाप ने
फ़र्ज़ तो पूरा कर दिया
पर तुमने क्या किया
यकीनन दुनिया में
बहुत सी चीजें
अच्छी है
पर सच कहता हूँ मैं
हमारे लिए तो
हमारे माँ बाप ही
सबसे अच्छे है
वो बाप ही जनाब
जो भरें बाजार में
अपनी पगड़ी
उछलने ना देगा
पर अपने बच्चों की
खुशी के खातिर ही
भरी महफ़िल में भी
अपनी पगड़ी
किसी के पैरों पे
रख देगा
अपनी खुदगर्जी के लिए
वो बच्चे बाप को भी
भरे बाजार में गलत
कह देगा
जीवन के
एक पड़ाव में
जरूरत होती है
माँ – बाप को
हमारे एहसानों की नहीं
हमारे प्यार की
जिसने हमें
हर आभावों से
दूर रख
काबिल बनाया
उन्हें ही
हम आभावों में
रख रहे हैं
अपने चार दिन के
मोहब्बत के खातिर
हम तमाशा कर देते हैं उनका
जिसने हमारे
जन्म से पहले ही
ताउम्र हमसे
मोहब्बत की सौगंध खाई थी
कितनी आसानी से
कह देते हैं हम
समझते नहीं है
माँ बाप हमारे
पता नहीं हम
ये बात समझ
क्यों नहीं पाते हैं
बड़े क्या हो गए हम
मानों पंख ही आ गए
चलना क्या सीख लिया
उनकी उंगली पकड़ कर
उड़ना ही शुरू कर दिया
हमें रास्ता दिखाया
माँ बाप ने
और व्यवहार हमारा ऐसा
जैसे खुद ही बनाया रास्ता हमनें
किसी शख़्स ने
बहुत खूब लिखा था
खुली आँखों से
देखा सपना नहीं होता
माँ बाप से बढ़कर
कोई अपना नहीं होता
जामाने को
कठोर कहते हो
माँ के कोमल हृदय को
छोड़ उसे जमाने में
फंसे रहते हो
माना की
पिता की बात
नीम जैसी
कड़वी है
पर यार
सेहत के लिए तो
वही अच्छी है
सिखाया था
मेरे राम जी ने मुझको
हर चाहत के पीछे
मिला दर्द बेहिसाब है
पर एक माँ बाप ही है
जो ग़र साथ हो ना
तो वहाँ दर्द का
नामो निशां नहीं है
ये हमारा
हंसना,
गाना,
लिखना,
खेलना,
कूदना,
सोना
सब उनसे ही तो है
माँ बाप साथ हो ना तो
बेफिक्री खुद-ब-खुद
साथ आ ही जाती है
वर्ना देखो उन्हें
जिनके सिर से
माँ का आँचल
हट जाता है
या पिता का साया
हट जाता है
क्या हाल हो
जाती है उनकी
बस जिस्म रह जाता है
जरूरत पड़ने पर
एक माँ भी
पिता का फर्ज निभाती है
और
पिता भी माँ का
पता नहीं
यह अलौकिक शक्ति
कहाँ से आती है
बच्चे होते हुए
हमें कद्र नहीं होती
माँ बाप की
जब हम भी
माँ बाप होते तो
बच्चे करते नहीं
कद्र हमारी
ये सिलसिला चलता आ रहा है
सब कुछ मालूम होते हुए भी
हम खुद को
पतन के रास्ते
ले जा रहे हैं
हे राम
पता नहीं क्यों
हम ऐसा
करते जा रहे हैं
ज़िन्दगी जन्नत है उनकी
जिन्होंने माँ बाप के
सिखाये रास्तों पे चला है
जिस तरह
राम जी हमारा
बुरा नहीं कर सकते है
ठीक उसी तरह
माँ बाप हमारा
बुरा नहीं कर सकते है
गुलाबों की तरह
महक जाओगे
ग़र माँ बाप के
संस्कारों को
अपनाओगे
ये रिश्ता
गजब है जनाब
तकलीफ तुम्हारे
देह को होगी
पर दर्द माँ बाप को
महसूस होगी
यार कृष्ण भी
श्री कृष्ण तो
माँ बाप से ही
बने है
राम भी
श्री राम
माँ बाप से ही
बने है
तुम भी
बन सकते हो
हम भी
बन सकते हैं
महान
ग़र ख्याल रख लिया
माँ बाप का तो
एहसानों वाला नहीं
प्यार वाला
माँ बाप के रहते
ना किसी ने
परेशानी देखी
ना देखा मुसीबतें
जब गुजरें
माँ बाप तो
ना रहा
चेहरे पर मुस्कान
क्यों मंदिरों मस्जिदों में ईश्वर,
अल्लाह को खोजते हो
घर में सेवा
माँ बाप कि कर के
तो देखो
पीछे पीछे
हरि फिरते दिखेंगे
वो माँ
पुराने ख्यालातों
कि लगती है
जिसने तुम्हें
काबिल बनाने के लिए
अपने माँ बाप के
दिए जेवर गिरवी
रख दिये थे
क्यों अपने शब्दों से
उनके सिने को
छलनी करते हो
जड़ों को काटोगे
तो फल कहां से होगें
पानी सींचों जड़ में
माँ बाप को
गले लगा देखो
सारी अलाएं – बलाएं
चलीं जाएगी
और हरि पीछे पीछे
आ जाएगे
दवाओं में भी
वो असर नहीं है
जो माँ बाप की
दुआओं में है
जग की
कितनी भी
सवारी क्यों ना कर लो
बाप के
घोड़े की
सवारी कहीं नहीं मिलेगी
कितनी भी
महंगे तकिये में
क्यों ना सो लो
माँ के गोद जैसे
सुख कहीं नहीं मिलेगा
सिखाते है
माँ बाप मुझको
रखो ना गाँठ
तुम मन में
ना तन में
ग़र जीना है
तुमको खुल के
तो ना मान दिया
ना दिया कभी अपमान
माँ – बाप ने
बस सिखाया
है जहर कि पुड़िया
ये मान – अपमान
हर हाल में
मुस्कुराना सिखाया है
हर हाल में
जीना सिखाया है
कभी बोझ नहीं
समझा है
हमें माँ – बाप ने

पर ना जाने क्यों
हमें माँ – बाप
बोझ लगते हैं
बच्चे माँ – बाप के साथ
अब नहीं रहतें
बल्कि अब माँ – बाप
बच्चों के साथ रहते हैं
अपनी चाहतों को
राख बनातें हैं
इच्छाओं को
खाक करते हैं
वो और कोई नहीं
हमारे अपने
माँ – बाप होते हैं
ज़रा – जरा सी
बात पर वो
साथ छोड़ देते हैं वो
मतलब रिश्तेदार, दोस्त, साथी
पर एक माँ – बाप ही हैं
जो शरीर छोड़ने के बाद भी
साथ नहीं छोड़तें
धन लाख करोड़
तूने क्यों ना कमाया हो
पर माँ – बाप को भुला
तूने सब कुछ गवाया है
ज़रा सोचो ना
वो घर कैसा होगा ?
जिसकी आँगन सुनी होगी
रसोई में बरतन टकराने की
आवाज तक नहीं आएगी
देर से उठने पर
डॉट नहीं पड़ेगी
आँचार बाजार से
खरीद खाना होगा
यार बेजान – सी लगेगीं
वो घर
कल्पना मात्र से
रूह काँप उठती है
शौक तो बाप की
कमाई से पूरी होती है
खुद के पैसे से तो
बस जरूरतें ही
पूरी हो सकती हैं
ताउम्र बचपन
रह जाएगा
ग़र तू माँ – बाप संग
ज़िन्दगी बिताएगा
वो कहते हैं ना
उमर का फासला है
या कहूँ तो
उमर का फैसला है
हर किसी ने अपनों पर
अपना अधिकार जमाया है
बड़े होकर
हर चिड़िया ने
अपना रास्ता बनाया है
अरे ओ जनाब
यह कोई
सपना नहीं है
माँ बाप सा
कोई अपना नहीं है
महादेव जी की पइयाँ
पड़ी थी तेरी माँ ने
पाने को तुझको
पर तूने…….
यार
लगा के देखो ना गले
तुम एक बार
खुशियाँ मिलेगीं तुझको
अपरम्पार
मैं कैसे करूँ ना
भरोसा उनका
जिन्होंने पाला तुमको है
और तूने उसे ही
निकाला घर से है
यक़ीनन तुम
जमाने के नजरों में
अच्छे रहो या
ना रहो
पर अपने
माँ – बाप के नजरों में
कभी बुरा
बन के ना रहो
हजारों जिम्मेदारियों
को त्याग देना
पर माँ – बाप को
छोड़ शहर के तरफ
पाँव मत बढ़ा देना
एक उमर तो
बितने दो जनाब
खुद – ब – खुद
एहसास हो जाएगा
अकड़ना कभी
सिखाया नहीं इन्होंने
ना झुकना
सिखाया कभी
सिखाया तो सिर्फ
अपनी मौज में रहना
एक वाक्या
याद आ रहा है
रात को वो
आ ही गई थी
मुझको साथ
ले जाने वाली ही थी
दवा ने भी
अपना असर है छोड़ा था
दर्द ने जो
साथ पकड़ा था
काफी दिनों के बाद
मेरे दिल में दर्द उठा था
बाहर पेड़ – पौधे बारिश में
भीग रहे थे
इधर मैं पसीने से
भीगा हुआ था
नींद तो ऐसी रुठी थी
दवा लेने के बाद भी
मुझसे दूर बैठी थी
हर कोई श्री कृष्ण के
जन्म की तैयारियाँ कर रहा था
मैं लेट अपनी धड़कनों को
गिन रहा था
पर माँ वो तुम ही थी ना
जिसने श्रीकृष्ण के मूर्ति की
पूजा छोड़
“वासुदेवम् स्त्रं इति “
( वासुदेव तो हर जगह है )
मुझे गोद में सुलाया था
मेरे दिल पर हाथ रख
“गोविंद हरे गोपाल हरे”
“जय जय प्रभु दिन दयाल हरे”
गाकर मेरे दर्द को दूर कर रहीं थीं
माँ तेरे थपकियों ने ही
मुझको सुलाया था
कल तक चलना तो दूर
मुँह से आवाज तक नहीं ले पा रहा था
पर माँ
तेरे प्रेम और वात्सल्य में जादू था जादू
अगले ही दिन
मैं बैठ ये चार पंक्तियाँ लिख रहा था
वो कहते है ना
ये कैसा है जादू
समझ में ना आया
तेरे प्यार ने हमको
जीना सिखाया

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Divine Love

Rose Day

Think About Valentine Day

Prem Diwas

Gulab

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गिरने ना दो……!!!!

December 25, 2021

Shanky❤Salty

चीज़, वस्तु, रुपए, पैसे गिर जाए तो हम उसे दुबारा उठा सकते है
लेकिन अगर हमारा चरित्र गिर जाए तो उसे हम कभी दुबारा उठा नहीं पाएँगे


अटल जी के चरणों में ये पंक्तियाँ समर्पित है

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यह तो माँ है, माँ….!!!!

December 14, 2021

Shanky❤Salty

गीता
यह तो माँ है, माँ!
शरीर रूपी माँ नहीं
आत्म रूपी माँ है
ज्ञान रूपी माँ है


थके, हारे, गिरे हुए को उठाती है
बिछड़ों को मिलाती है
भयभीत को निर्भय,
निर्भय को नि:शंक
नि:शंक को निर्द्वन्द्व
बनाकर
नारायण से मिला के
जीते जी मुक्ति का साक्षात्कार कराती है
मेरी माँ “गीता”

ऐसा पढ़ा है मैंने,,
श्री कृष्ण के मुख से निकली है “गीता”
श्री विष्णु का ह्रदय है “गीता”


परन्तु, वास्तव में
“गीता” तो किसी मजहब, पंथ, समुदाय, जाती, धर्म, विषेश का नहीं है
बल्कि यह तो जीवन जीने की कला है
जिस तरह रोता हुआ बच्चा
माँ की गोद में आकर चुप हो जाता है
वैसे ही “गीता” माँ को पढ़ कर
हर बच्चा, बुढ़ा, जावन अपने आप को निश्चित कर सकता है


578 भाषाओं में “गीता” का अनुवाद को चुका है जिसका भी मन है पढ़ने को वो
किसी भी भाषा में “गीता” को पढ़ सकता है
मैं आज “गीता जयंती” पर शुभकामनाएं क्या दुंगा आप सब को…….बस करबद्ध प्रार्थना है 24 घंटे में से मात्र 24 ससेकेंड “गीता” रूपी माँ के गोद में बिताए। मैं तो इतना विश्वास से कह सकता हूँ कि विश्व में “गीता” के समान कोई दूसरा ग्रंथ नहीं है

Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- Ziddy Nidhi

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हाँ मैं लड़की हूँ…..!!!!!

December 11, 2021

Shanky❤Salty

हाँ मैं लड़की हूँ!

मेरे चरित्र पर उँगली उठाए जाते हैं
आँखों से मेरे कपड़े भी उतारे जाते हैं
मैं जंगल में जितना जानवरों से नहीं डरती
उतना तो रोड़ पर घुमते मानव रूपी दरिन्दों से हूँ डरती


मेरे सीने को देख
कभी किसी ने आम कहा,
तो किसी ने संतरा कहा,
किसी ने उसे छुना चाहा,
तो किसी ने उसे नोचना चाहा,
सड़ जाते मेरे ये दो फल
तो अच्छा होता
हर किसी को चाहिए होता है यह फल


सोशल मीडिया में अपने मेसेजस चेक करो
तो जितने भी अंजान मेसेज हैं
उन सब को उतसुकता है
मेरे जिस्म का नाप जानने की
कितने बड़े है मेरे फल?
उम्र क्या है मेरी?
साथ चलोगी तुम मेरे?
मेरे साथ सोउगी?
मैं तुम्हें खुश कर दूंगा
कितना लोगी?
कितने यार है तेरे?
हर पल चिंतित रहती हूँ मैं


हाँ मैं लड़की हूँ!


किसे अपनी व्यथा सुनाऊँ?
अपने दोस्तों से कहती हूँ
तो उन्हें मुझसे ज्यादा
इस तरह के मेसेजस और कमेंटस आतें हैं


चौदह साल का लड़का भी पीछे पड़ा है
साठ साल का बुढ़ा भी साथ सोने के लिए मर रहा है
साथ काम करने वाला बंदा भी मौके के फिराक में बैठा पड़ा है


हाँ मैं लड़की हूँ!


माना कि गलती मेरी थी
छोटे कपड़े मैंने पहने थे
पर उनका क्या
जिन्होंने हिजाब पहनना था?
तुमने तो अपनी आग में नवजातों को भी नहीं छोड़ा था


कहूँ तो क्या कहूँ मैं
लिखूँ तो क्या लिखूँ मैं
स्तन ही तो था
जिससे दुध निकलता था
ऐसा दुध
जिसे न तो गरम करना पड़े और न ठंडा
जैसा है वैसा ही अमृत तुल्य है
उस स्तन से निकल दुध को पीकर तुम बड़े हुए थे
और आज उस स्तन को ही नोचने पर आदम हुए हो?


हाँ मैं लड़की हूँ!


नहीं, नहीं
मैं तो खिलौना हूँ
मेरे जिस्म को नोचना दरिंदो का काम
मेरी आत्मा के मसलना अपनों का काम


एक महिला को स्तन कैंसर हुआ था
उन्होंने राम जी को धन्यवाद देते हुए
शर्म के दो पहाड़” कविता लिख दी थी
कहा था उन्होनें “अब तुम पहाड़ पर उंगलियाँ नहीं चढ़ा पाओगे,
जिस पहाड़ से दूध की धार बहती थी
अब वहाँ से मवाद बहतें हैं,
अब पहाड़ के जगह समतल मैदान बचें हैं।”


दरिंदों ने दर्द इतना दिया की अब वे दर्द में भी खुश है।


हाँ मैं लड़की हूँ!

Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- Ziddy Nidhi

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जन्मदिन मुबारक हो……!!!!

December 06, 2021

Shanky❤Salty

हैलो हरिणा दीदी,🤗
आज आपका जन्मदिन है। 😍
लेकिन ना तो मैं आपको आज गिफ्ट दे पाऊँगा।😔
और ना ही आप मुझे पार्टी दे पाएंगे।😒
लेकिन फिर भी 15 दिन पहले से ही
आपके जन्मदिन के लिए मैं उत्साहित था। 🥳
क्या करूँ ? क्या करूँ ? के चक्कर में कुछ भी नहीं कर पाया। 😑😣
लेकिन कोई नहीं दीदी जल्दी ही आप
सात समंदर पार आओगे
फिर बहुत सारा गिफ्ट्स दुंगा😇
और पार्टी भी आपसे लूंगा।🥰
आप तक पहुँचने का सबसे अच्छा और
एक ही जरिया है,
आपकी लिखी किताब “जीवन के शब्द

पता नहीं क्या लिखूँ मैं आज दीदी,
ना कोई राज है,
और ना ही कोई ख़्वाब है
बस एक चाहत है🙏
आप जहां भी रहें 🤗
चेहरे पर मुस्कान बना रहे 😁
जरुरी नहीं की हम रोज ही बात किया करें 🥺
बस जितना भी बात करें आपसे
वो यादें हमेशा ताजा रहें 🤩
और जल्दी से आप
इस साल 5बुक पब्लिश करें 🥳
ताकि उसे मैं अपने बुक सेल्फ में जगह दे सकुं
ख़लील जिब्रान” ने कहा था ना दीदी
साथ होने के लिए हमेशा पास खड़े होने की ज़रूरत नहीं होती।
बस राम जी से एक दुसरे के लिए प्रार्थना ही काफी है🙏
खैर ! जो भी हो मेरी बक-बक तो रुकेगी नहीं🙈
इसलिय हरिणा दीदी आपके जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं 🥳
बस मस्कुराते रहे🤗
सारी अलए-बलाए दूर खुद-ब-खुद हो जाएगीं 🙏

Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- Ziddy Nidhi

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स्त्री-मन……!!!!

स्त्री-मन

Shanky❤Salty

पुस्तक स्त्री-मन की समीक्षा।

स्त्रीमन एक कविता संग्रह है, जो स्त्रीयों के विचारों को दर्शा रही है। इसमें सभी उम्र और वर्ग की औरतों की सोच को ध्यान में रखा गया है।

इस किताब की यह बात अच्छी है की इसमें औरतों की सभी तरह की भावनाओं को प्रस्तुत करने की कोशिश की गयी है जैसे चिंता, बंधन, प्रेम, दुखः, महत्वकांक्षा, जोश और समाजिक सोच का उनपर असर। कुछ कविताएँ तो ऐसी भी हैं जिनको पढ़ कर सब दृश्य
चलचित्र की तरह आंखों के सामने चलता अनुभव होता है। ऐसी कुछ कविताओं में मेरी पसंदीदा हैं- स्त्री-मन, वैश्या और बोझ। पर इस पुस्तक में मुझे सबसे अच्छी वो कुछ कविताएँ लगीं जो किसी भी महिला को जोश से भर देने के लिए काफी हैं, जैसे- तू चलती रह, नारी हूँ आज की हूँ, वो योधा है। इस पुस्तक में माँ और बच्चे के रिश्ते पर भी कुछ एक कविताएँ हैं। और बहुत सारी ऐसी कविताएँ भी हैं औरतों के घुटन और सामाजिक और पारिवारिक बंधन को दर्शा रहीं हैं जैसे- कभी बेचारी, रूह मेरी, चमकता आकाश, असमानता। कुछ कविताएँ प्रेम विरह पर भी हैं जिनमें मुझे सबसे अच्छी लगी- मैं अजीज नहीं।

मेरी तरफ से यह एक बेहद असाधारण एंव बेहतरीन कविता संग्रह है जो अपने पुस्तक शीर्षक को बहुत अच्छे तरीके से सार्थक करती है।

इसलिए मैं अपनी रेटिंग इस पुस्तक के लिए 5 star देना चाहूँगा।

उम्मीद है मेरी तरह बाकी पाठकों को भी यह किताब पसंद आयेंगी और मेरी यह समीक्षा उन्हें सही मार्गदर्शन देंगीं।

और सभी से अनुरोध भी करता हूँ कि किताब को एक बार जरूर पढ़ें।

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Niswarth Prem / निस्वार्थ प्रेम

August 16, 2021

First of all, I bow my gratitude to God, who has inspired me to write, I thanks to my mother “Pramila Sharan” and father “Shatrughan Sharan“. Because without his grace I would not exist.

I am grateful to those writers-readers and critic bloggers, who helped me in my writing.

I also thank Radha Agarwal Ji and Nidhi Gupta “Jiddy”. I would like to thank those who helped me and did proof reading of it and made my words beautiful.

The help that Sachin Gururani did in making the cover page of my book I thanks them wholeheartedly.

Apart from this to all those who have helped me directly or indirectly.

This book is a Journey of Old Age Home to Orphanage Home in a poetic manner.

This book is written for the mature reader. It’s purpose is not to hurt anyone’s feelings. It is written in the favor of every person, society, gender, creed, nation or religion. These are the author’s own views. Hope that by reading this book, you will try to understand and appreciate the author’s point of view. It is merely an attempt to portray social reality. The aim of the book is to promote peace, non-violence, tolerance, friendship, unity, prosperity, happiness and integrity.

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आजादी…..!!!!

August 15, 2021

Shanky❤Salty

देश आजाद हुए तो सदियाँ बीत गयीं
पर क्या हम आजाद हो पाए हैं?

हाँ
हम की बात कर रहा हूँ मैं
हमें ये मिले तो हमें खुशी होगी
हमें वो मिले तो हमारा दुख मिट जाएगा

हमारी खुशियां तो उस चीज-वस्तु मैं कैद हैं

फिर भी हम स्वयं को आजाद कहते है ना?
कितने ही जन्म ले कर हम मिट गए
फिर भी सुख के पीछे हम भाग रहे हैं

और दुख हमारे पीछे भाग रहा है
ज़रा दो वक्त ठहर के तो देखो

मेरी बातें मान के देखो न
अपने आप को पहचान के देखो न

सीमित दायरे में स्वयं को ना बाँधों
एक दफा मुक्त कर के तो देखो
जो कभी बँधा नहीं है
उसे तुम चीज-वस्तु, राग-द्वेष, भय-क्रोध में बाँध रहे हो

जरा भीतर तो देखो
तुम्हें स्वयं कि आजादी का पता चल जाएगा

कुछ ज्यादा बोल गया ना मैं, खैर छोड़ों

देश के स्वंत्रता दिवस की आपको हार्दिक बधाई🎉🎊

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Biological Clock of Human Body

August 01, 2021

Shanky❤Salty

Biological Clock of Human Body

The internal mechanisms that schedule periodic bodily functions and activities is know as Biological clock or Circadian Rhythm.

3am to 5am-(The life force is especially in the lungs)

Those who wants their body is healthy and active then This is the best time for drinking some lukewarm water, walking in the open air and doing pranayama. People who get up in Brahmamuhurta are intelligent and enthusiastic and those who stay asleep, life becomes dull.

5am to 7am – (The life force is in the large intestine)

This is the time for defecation and the bath should be done. Those who defecate after 7 o’clock in the morning have many diseases.

7am to 9am – (The life force is in the stomach)

At this time we can take only milk or fruit juice or any beverage items

9am to 11am – (The life force is in the pancreas and spleen) 

This time is suitable for food. Drink lukewarm water (according to convenience) sips in between meals.

11am to 1pm – (The life force is in the Heart)

There is a law in our culture to do mid-evening around 12 noon from 11 to 1 pm. During this time Food forbidden. This time is known as Sandhya Kaal. This time is best for reading, writing, singing or doing spiritual things.

1pm to 3pm– (The life force is in the small intestine)

About 2 hours after the meal should drink water according to thirst. Eating or sleeping at this time hinders the absorption of nutritious food and juices and the body becomes sick and weak.

3pm to 5pm – (The life force is in the bladder)

If you drink water 2-4 hours before this time, there will be a tendency to pass urine at this time. And you’ll never suffer from kidney or urine disease.

5pm to 7pm – (The life force is in the kidney)

Light food should be taken at this time. Do not eat for 10 minutes before sunset to 10 minutes after (in the evening). Milk can be drunk three hours after meals in the evening

7pm to 9pm – (The life force is in the brain)

At this time the brain is especially active. Therefore, except in the morning, the lesson read in this period is remembered quickly.

9pm to 11pm – (The life force is in the spinal cord)

This time provides maximum relaxation. The awakening of this time exhausts the body and the intellect.

11pm to 1am – (The life force is in the gall bladder)

The awakening of this time produces bile disorders, insomnia, eye diseases and brings early old age. New cells are formed during this time.

1am to 3am – (The life force is in the liver)

The awakening of this time spoils the liver (liver) and the digestive system.

Rishis and Ayurvedacharyas have said that it is forbidden to eat food without feeling hungry. Therefore, keep the quantity of food in the morning and evening in such a way that during the time mentioned above, one feels hungry freely.

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बिन बुलाए…….!!!!

July 20, 2021

Shanky❤Salty
बिन बुलाए आ ही जाती है वो
हमें पता नहीं उसके वक्त का
पर पता है उसे सही वक्त का
हजारों मिन्नतें कर लो
लाख जतन कर लो
वो आएगी
ना समेटने का वक्त देगी
ना पुछने का वक्त देगी
बस कर्मों का हिसाब देगी
क्यों ना तु धन लाख कमाया है
सुना है देश-विदेश का वैद्य तु बुलाया है
पर हकीकत में कुछ भी काम ना आया है
जब दरवाजे पर दस्तक उसका आया है
हाँ वही
सही समझे
मौत

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My All Books…..!!!!

July 11, 2021

Shanky❤Salty

1. Yaado K Panno Se: कुछ बाते कुछ किस्से मेरे यादों के पन्नों से

In this book I have written about some of my experiences. Some, such feelings have been written which are completely empty. Some past has also been written, some society’s character and face too. This is a hindi poetry book.

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2. Read Then Think: It’s not only a Book but it’s my Feeling

This is an English motivational quotes collection book. In this book I have written only as much as I have lived life and embraced death. That too by smiling and drinking the poison of pain.

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3. Unmanned Ground Vehicle Using a GSM Network

This book presents a Global System for
Mobile Telecommunication (GSM) network based system which can be used to remotely send streams of 4 bit data for control of USVs. Furthermore, this book describes the usage of the Dual Tone Multi-Frequency (DTMF) function of the phone, and builds a microcontroller based circuit to control the vehicle to demonstrate wireless data communication.

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4. Sach Ya Sajish ? / सच या साजिश ?: संस्कृती पर प्रहार

This Hindi book is written for the mature reader. It’s purpose is not to hurt anyone’s feelings. Neither is it in favor or opposition of any person, society, gender, creed, nation or religion. These are the author’s own views. Hope that by reading this book, you will try to understand and appreciate the author’s point of view. It is merely an attempt to portray social reality. The aim of the book is to promote peace, non-violence, tolerance, friendship, unity, prosperity, happiness and integrity.

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5. Truth or Conspiracy: Untold Story by Indian Media

This book is a translation of Sach Ya Sajish? Book. In this book you may read about many untold story by Indian Media & what conspiracy is being hatched against Indian culture.

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6. Kaun Hai Ram / कौन हैं राम

Whenever you will read this book, you will feel a divine power.
Yes, the divinity and power of Lord Rama.
Your Soul will rejoice. You will feel energetic and enthusiastic. Your heart will be filled with extreme pleasure. There’s a possibility that you may shed tears. I am confident that you will have a serene experience, an experience indescribable in words.
Let’s see what is your experience.

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क्यों इस्तेमाल करते हैं?

July 4, 2021

Shanky❤Salty
आँखें हमारी है
तो इसे हम
दुसरों की बुराई देखने के लिए
क्यों इस्तेमाल करते हैं?

जुबान हमारी है
तो इसे हम
दुसरों की चुगली करने के लिए
क्यों इस्तेमाल करते हैं?

कान हमारा है
तो इसे हम
दुसरों की निंदा करने के लिए
क्यों इस्तेमाल करते हैं?

दिमाग हमारा है
तो इसे हम
दुसरों का अहित करने के लिए
क्यों इस्तेमाल करते हैं?

ये जो अपने शरीर को तुम अपना मान बैठे हो ना
उसे तुम अपने स्वयं के लिए,
अपने राष्ट्र हित के लिए,
अपने समाज हित के लिए
क्यों नहीं इस्तेमाल करते हो?

कहा था कबीरा ने
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय

वक्त है संभल जाओ, नहीं तो अंत में रोना ही पड़ेगा

Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- Ziddy Nidhi

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भूख…..!!!!!

June 30, 2021

Shanky❤Salty

गरीब है जनाब
पेट के भूख की कीमत जानते हैं

इसलिए तो
रोटी के टुकड़े कर सब में बाँटते हैं

क्योंकि सुना है हमने
पेट भरते ही
इंसान अपनी औकात भूल जाते हैं


Modified by:- A Wonderful Writer Radha Agarwal
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डेल्टा प्लस……!!!!

Shanky❤Salty

मास्क हम लगाएंगे नहीं
“वैक्सीन” ?
अरे ये मैंने किसका नाम ले लिया
सुना है इसको लगाने से
नपुंसकता आती है?
यार एैसे भ्रामक और बेहुदी
अफवाह हम फैलाएगें
और दोष की अंगुली
सरकार पर उठाएगें
अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है
महंगाई बढ़ रही है
पेट्रोल-डीजल की तो
बात ही छोड़ो जनाब
दो साल से
मुफ्त अनाज तो ले ही रहें है
मुफ्त वैक्सीन भी ले ही लेगें
दफ्तरों में भी कोरोना का नाम ले
कामचोरी भी कर लेगें
दो पैसे के टैक्स बचाने में
हम तो माहिर है जनाब
आठ-दस बच्चे पैदा कर
पंचर की दुकान खोल
देश के संसाधनों को खत्म कर
सरकार को गाली देने
का काम हम बखूबी करेगें
पर अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट कर
हम कोरोना की
तीसरी लहर का स्वागत के करेगें
यक़ीनन मौतें कम थी
कोरोना की दुसरी लहर में
कोई नहीं मौत के आकड़े
हर रोज घर में गिनना
अपने मतों से बहुमत
दे कर सरकार बनवाना
फिर उसी सरकार को
पुर्ण रूप से गलत ठहरा देना
हमें बखूबी जो आता है


Written by:- Ashish Kumar
My words are incomplete without support of Ziddy Nidhi

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नहीं मैं रहा…..नहीं तु रहा…..!!!!

June 24, 2021

Shanky❤Salty

कबीर दास या कबीर खान
हिंदू बोलो या मुसलमान

जात ना पूछो मेरे मालिक की जनाब
बस कबीर को जान लीजिए ना
फिर ना ही मैं रहा, ना ही तू रहा
का आत्मा दीप भीतर जलते देख लीजिए ना

वो कहते हैं ना
कोई नहीं है अपना
ये जग है तो एक सपना
जो भी जीवन में आएगा
कुछ-न-कुछ हुनर सिखा ही जाएगा
बस फर्क इतना है
कि हम क्या उनसे सीख जाएंगे
यक़ीनन ज़िंदगी है
तो चलना है बढ़ना है
पर भीड़ को लेकर
या भीड़ में रह कर
अपने आप का साक्षात्कार कर
ये फैसला हमको करना है।

चलती चाकी देखकर सो कबीरा दिया रोय
दुइ पाटन के बीच में आके साबुत बचा ना कोय

चलती चक्की देख के, हँसा कमाल ठठाय।
कीले से जो लग रहा, ताहि काल न खाय

ये दो दोहे है, एक कबीर के तो दुजे कमाल के। ज़िंदगी कि वास्तविकता है इन दोहे में अपनी आत्मचेतना को जगाने के लिए। इस कबीर जंयती पर मैं क्या श्रद्धांजलि अर्पित करूँ उन्हें। उनके दोहे और उनके विचारों से मैं तो उन्हें भावंजलि ही अर्पित कर सकता हूँ।


Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- Dr. Sakshi Pal

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यात्रा…..वो भी अंतिम……!!!!

June 17, 2021

Shanky❤Salty

सही समझे
मृत्यु
हाँ मैं मृत्यु के बारे में ही लिख रहा हूँ
वो मृत्यु जो मुझे मार नहीं सकती है
पर हाँ आपको ज़रूर मार सकती है
ग़र आप स्वयं को जीवन समझते हैं तो
मृत्यु उसे ही स्वीकारता है
जो जन्म को स्वीकारता है

ना तो मेरा जन्म हुआ है
ना ही मेरी मृत्यु हो सकती है
ये शरीर का जन्म होता है
तो मृत्यु भी उसी की हो सकती है
हमारी नहीं, कभी नहीं

स्वयं नाथ जी भी हमें नहीं मार सकते हैं
यक़ीनन वो सर्वसमर्थ हैं
पर हमें मारने में कभी भी नहीं
अपनी उर्जा को पहचानों
वो कहते हैं ना अज्ञानता का जीवन किसी मृत्यु से कम नहीं है

महेंदी के पत्ते में ही उसकी लाली छिपी होती है
एक बीज में ही जन्म और मृत्यु छिपा है
मृत्यु एक वस्त्र बदलने की प्रक्रिया है
बस और कुछ नहीं

अर्थ स्पष्ट है मेरे शीर्षक का
इस जीवन की यात्रा
अंतिम होनी चाहिए
कोई कितना भी बुलाए
लौट के नहीं आना है
यह जीवन अनमोल है
व्यर्थ ना गवाओ

मोक्ष की उस स्थिति को जान लो
मर्जी तुम्हारी है
सुख-दुख कि चक्की में पिसना है
या उस चक्की के कील से लग कर
और अपनी यात्रा को अंतिम करना है

अब अलविदा कहता हूँ
कुछ पल के लिए
जो इस आत्मज्ञान से निकला वो तो डूब गया
और जो इस आत्मज्ञान में डूबा वो तो हो गया पार…!!


Modified by:- A Wonderful Writer Radha Agarwal
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मजबूत रिश्ते…….!!!!

May 14, 2021

Shanky❤Salty

ये रिश्ता बड़ा मजबूत है
बेश़क हमने ही चुना है
जमाने ने जड़ें जरूर काट दी हैं
पर मजबूती से दोस्तों ने थामा ही है

कुछ नए मिलें हैं
तो कुछ पुराने बाकी हैं
शब्दों का मेल है
दोस्त मेरे सच में अनमोल हैं

बारिश का मौसम आ चुका है
तुम भीगना ज्यादा मत इसमें
पर गलतफहमियों की धुल ग़र जमीं हो
तो उसे धो जरूर देना मेरे यार

वो कहतें है ना
यादें बहुत आती है
पर वो वक्त नहीं आ पता है
यकीनन हम झगड़ते बहुत थे
पर दुआओं में भी हम ही थे

वक्त की धुंध में बहुत कुछ छुप जाता है
पर आँखों से ओझल नहीं हो पता है
नासमझ जरूर हूँ
पर समझाना सिर्फ तुम्हीं को आता है

सुख हो या दुख हो
कुछ ने सीढ़ीयों सा इस्तेमाल किया
पर कुछ अभी भी दोस्ती का फ़र्ज़ निभा रहें
हर परेशानीयों का उपाए है उनके पास

दोस्त हैं तो ज़िन्दगी मकबुल है
ना जिस्म की बात होती है
ना ही रूह की होती है
बस ज़िन्दगी को खुल कर जीने की इबादत होती है

ना खुदा ने बनाया है
ना खुद हमने बनाया है
दरसल ये रिश्ता खुद-ब-खुद बन आया है

भावनाओं का जो मेल हो पाया है
निस्वार्थ ही ये रिश्ते निभ रहे हैं
और निभते रहेगें

चाहत कुछ भी नहीं है
बस जहाँ भी रहें
अपनी मौज में रहें

यही दुआ है उनकी
चार धाम की यात्रा
साथ कर पाय या ना कर पाए
पर हमारी अंतिम यात्रा में
वो शामिल हो जाएं
ये ही आखिर ख्वाहिश है हमारी

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ख़्वाब लिखा है……!!!!

YourQuote.in

April 24, 2021

Shanky❤Salty

हर पन्ने पर ख़्वाब लिखा है
ज़ख़्मों की स्याही से हमनें
एक किताब लिखी है

ज़ालिम ये दुनिया, ज़ालिम ये ज़हान है
सुना था हमनें हर ज़गह

कितने रहमदिल हैं ये पता किया नहीं हमनें
कपड़े मैले ज़रूर हैं
पर दाग़ नहीं है इसमें…!!

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राम……!!!!!

कौन हैं राम

April 21, 2021

Shanky❤Salty

पाया उसे जाता है राम
जो कहीं खोया है राम
ढूंढा उसे जाता है राम
जो भुलाया है राम
आप कहाँ से आओगे राम
आसमान से टपकोगे राम
या धरती फाड़ आओगे राम
कहीं से नहीं न राम
क्योंकि आप तो हर ज़गह विद्यमान हो राम
चींटी की पुकार हो राम
या मस्जिद कि अज़ान हो राम
आप सब सुनते हो राम
आप तो उर्जा रूप में राम
हर ज़गह हो राम

मैं मर भी नहीं सकता राम
न मैं जी सकता हूँ राम
बस आप में बस सकता हूँ मैं राम
शिव भी मैं ही हूँ राम
शक्ति भी मुझमें ही राम
भक्ति भी मुझमें ही है राम
रावण भी मुझमें ही है राम
मंदिर मूर्ति मस्जिद अज़ान राम
ये सब तो प्रतीक हैं मात्र हैं राम

परछाईं को कोई वास्तविक समझ ले राम
तो यह ना समझी है राम
फ़ोटो को अगर जीवित समझ ले राम
तो क्या करूँ मैं राम
हर किसी की आस्था का प्रणाम है राम
पर आगे भी तो बढ़ना होगा न राम
कब तक तस्वीरों में अटकेगें हम राम
यह संभव नहीं है राम

कि एक ही वक़्त पर हर कोई राम
मंदिर में आपकी पूजा कर सके राम
मस्जिद में बैठ आपको पुकार सके राम
पर यह तो संभव है राम
कि मन मंदिर में बैठ मानस पूजा कर सके राम
शिव रुप में हम शिव की पूजा करेंगे राम
राम रुप में हम राम रस पियेंगे राम
अल्लाह रुप में हम अल्लाह से मिलेंगे राम
हे चिदानंद रुप राम
क्या चढ़ाऊँ मैं तुमको राम

जो सास्वत है राम
उसे कैसे नश्वर अर्पण करूँ मैं राम
चार दीवार के अंदर बैठता हूँ मैं राम
तो चार दीवार ही दिखती है मुझको राम
बाजार में बैठता हूँ मैं राम
तो बाज़ार ही दिखता है मुझको राम
जब राम रुप में बैठता हूँ मैं राम
तो सब राम राम राम ही दिखता है मुझको राम
हद में तुझको ध्याया है राम
तो मानव ही रह गया हूँ मैं राम

बेहद जब तुझको ध्याया है राम
तो तेरा दूत बन कर ही रह गया हूँ मैं राम
अनहद हो कर जब तुझको ध्याया है राम
तो राम रूप में ही ख़ुद को पाया हूँ मैं राम
सब अपने हैं राम
सबके अपने हैं राम
देने में तो आप कंजूसी नहीं करते हो राम
फ़िर हम क्यूँ आपको जपने में कंजूसी कर देते हैं राम
मन नहीं लगता है आपमें हमारा राम
आपको हम ख़ुद से अलग समझते हैं राम

हे राम
अब इच्छा नहीं होती है राम
कि आपको मैं मानव रूप में पूजा करूँ राम
आपको तो आप रूप में ही हो कर पूजना है राम
अब आपको दूध, दही, जल नहीं चढ़ना है राम
आपको तो मन और बुद्धि चढ़ाना है राम
आपको पुष्प और विल्वपत्र क्या चढ़ाऊँ मैं राम
आपको तो सत्व, रज और तम चढ़ाना है राम

आपको क्या भोग लगाऊँ मैं राम
आपको तो प्यार से गले लगाना है राम
क्या दीपक जलाऊँ मैं राम
अब तो आँखों में वो उजाला लाना है राम
जिससे सब कुछ और सबमें राम ही राम दिखे राम
अब क्या कहूँ मैं राम
अब मुझे इससे अधिक कुछ भी नहीं आता है राम
अब मुझे आपको भजना भी नहीं है राम
ना मुख से जपना है राम
ना हाथों से जपना है राम
अब आप हमें भजो न राम
अब हम पायेंगे आपमें ही विश्रा-राम

राम-राम-राम-राम-राम-राम-राम-राम-राम-राम

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ओ राम…….!!!!!

April 18, 2021

Shanky❤Salty

मुस्कुराने की कला सिखाते है राम
ग़म का ज़हर पीना सिखाते है राम
भूत और भविष्य कि गोद त्यागना सिखाते है राम
वर्तमान में बैठना सिखाते हैं राम
काया-माया छोड़ना सिखाते हैं राम

राम होकर राम में जीना सिखाते हैं राम
स्वाद ज़िन्दगी का चखना सिखाते हैं राम

सुनो ना राम
लिखूँ मैं कैसे तुझपे राम
समझते क्यूँ नहीं हो तुम राम
कैसे लिख दूँ मैं तुझपे राम

तुझ तक मेरी बुद्धि नहीं पहुँच पाएगी राम
वहां तक शब्द मैं कैसे पहुँचाऊ राम
तुम तो अबाधित हो मेरे राम
शब्दों से कैसे बाँधू मैं तुझको राम

ध्यान में लीन हैं मेरे राम
भूखा नहीं है प्यासा नहीं है मेरा राम
तृप्त है मेरा राम
क्या अर्पण करूँ मैं तुझको राम

कोई धाम नहीं है बिना तेरे मेरे राम
हर एक के अंतःकरण में बसता है मेरा राम
सौगंध तेरी खाता हूँ मैं राम
भर भर प्याला पीता हूँ नाम तेरा मेरे मैं राम

सच कहता हूँ ज़िन्दगी सुधरता है मेरा ओ प्यारे राम
पता नहीं ओ मेरे प्यारे राम
क्यों आँखों से पानी छलकता है राम
जब जब जिक़्र होता तेरा है राम
पावन सा तेरा है नाम राम

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कुछ तो बात है……!!!!

April 15, 2021
Shanky❤Salty

कुछ तो बात है
श्मशानों में इतनी भीड़ क्यों है?
जंगल की लकड़ियाँ क्यों कम पड़ रहीं हैं?

कुछ तो बात है
प्रकृति का ऐसा ही वास्तविक रूप है?
या फिर यह हमारे कर्मों का फलस्वरूप है?

कुछ तो बात है
कहीं पर चुनाव जीतने की होड़ है
तो कहीं पर ज़िंदगी हार रही है

कुछ तो बात है
एक वक्त था जब मन में फासलें थे
अब तो हकीकत में भी फासलें हो गयें हैं

कुछ तो बात है
धन हमनें लाखों – करोड़ों में कमाया
पर हमनें मन से छल – क्रोध को छोड़ नहीं पाया

कुछ तो बात है
खाने को दो रोटी नहीं है
पर अल्लाह के लिए बकरी तैयार रखें हैं

कुछ तो बात है
कुंभ के गंगा में भीड़ तो है
पर ज्ञान की गंगा खाली ही है

कुछ तो बात है
कितनी भयावह परिस्थिति है
कि चार जन भी नहीं मिल रहें
अपने को कंधा देने की खातिर

कुछ तो बात है
जंगल की लकड़ियाँ कम पड़ रहीं हैं
यह रौद्र रूप नहीं है प्रकृति का
है यह केवल चेतावनी
पिछले वर्ष कोरोना करूणा में थी
अबको-रोना ही है
वक्त है संभल जाओ
वरना इससे भी भयावह स्थिति
उतपन्न हो सकती है
खै़र
कुछ तो बात है…….!!!!!!

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Review by Nidhi Gupta……!!!!

April 09, 2021
Shanky❤Salty

इस किताब में हमारे आराध्य रामजी के विषय में विस्तृत रूप से बताया गया है, यह एक कवि और उसके आराध्य के बीच का वार्तालाप है, इसमें कवि का कोमल ह्रदय छलकता है, वह अपने राम जी को हर जगह हर वक़्त पाता है, उसे अपनी मृत्यु की भी चिंता नहीं है क्योंकि वह राम राम करते हुए ही मरना चाहता है, कवि का विश्वास है की राम राम करने से चौरासी योनि का जो चक्र है वह टूट जायेगा और उसे मोक्ष प्राप्त हो जायेगा, कवि ने अपने इस किताब में अपने आराध्य रामजी और खुद को दोस्ताने रिश्ते को भी बतलाया है और एक दास के रिश्ते को भी बताया है। इस किताब को पढ़ने के बाद हमे राम जी के संम्पूर्ण जीवन का ज्ञान हो जाता है, कवि राम मंदिर के कारण हुए राजनीति और दंगा फसाद के कारण बहुत दुखी है, वह राम मंदिर के नाम पर राजनीति करने वाले से बहुत नाराज है। कवि अपने मन की हर एक बात जो वह अपने राम जी से कहना चाहता है उसने अपने इस किताब में खुल कर लिखा है, आप इसे एक संवाद के रूप में जब पढेगें तब आपको यह समझ में आ जायेगा की कवि कितना मासूम है, वह अपनी हर एक बात अपने आराध्य रामजी से कैसे कहता है। कुछ पंक्तियाँ कवि ने कुछ इस तरह से लिखीं हैं जो बहुत ही गहरी हैं। आप सभी को यह किताब अवश्य पढ़ना चाहिए ताकि आपको रामजी के विषय में और भी जानकारी हो।

Book review by Ziddy Nidhi
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Book Review……!!!!!

April 04, 2021
Shanky❤Salty
Harina Pandya has given review of my book “सच या साजिश
👇
I will recommend this book to know about our culture and civilisation..it is not just about one or two concepts..it covers each and every aspect about our saints, religion, society in today’s era, history, lifestyle and much more..book provides detail information about our sanskriti amazingly.
To read my book click here
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होली…….!!!!!

March 28, 2021
Shanky❤Salty
होली हुई या हो गई है
या होनी बाकी है अभी
या हो रही है
ज़रा बतलाओ मुझको,
लकड़ियों के ढ़ेर को जलाया
या होलिका को जलाया
ज़रा बतलाओ मुझको,
पापिन, अविद्या को जलाया
या राघ, द्वेष को जलाया
ज़रा बतलाओ मुझको,
सीमित रह कर होली मनाया
या उस असीमित को पार कर होली मनाया
ज़रा बतलाओ मुझको,
जहाँ आशा जली नहीं
तृष्णा मिटी नहीं
ईष्या की आग मन में लगी
कैसे मनाई फिर होली
ज़रा बतलाओ मुझको,
वक्त बीता और मुख में अग्नि पड़ी
यार कैसे मनी होली
वो रंग ही क्या जो चढ़ कर उतर जाए
लाल से रंगा
पीले से भी रंगा
और हरे से भी रंग लिया
पर वह तो पानी से धुल गया
फिर कैसे मनी होली
ज़रा बतलाओ मुझको,
सुनो ना राम
अरे हाँ श्याम
तुम मुझे अपने ही रंग में रंग दो ना
ज्ञान के रंगों से
माधुर्य के रंगों से
वात्सल्य के रंगों से
चढ़ा दो मुझ पर श्याम ऐसा रंग
जो कभी ना उतरे
अज्ञान मिटा ज्ञान का रंग लगा दो ना
मोहन मुझे अपने ही रंग में रंग दो ना
ये रंग और कहीं नहीं मिलेगा,
जैसे मेहंदी के हरे पत्ते में ही लाली छुपी है
वैसे ही हमारे भीतर ही सब कुछ है
बस यह होली खुद से खेलों
फिर तो हर क्षण होली है

Written by:- Ashish Kumar
My words are incomplete without support of Ziddy Nidhi
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कौन हैं राम…….!!!!

March 26, 2021
Shanky❤Salty
मैंने एक किताब लिखी है जिसे आप देख महसूस करेंगे की यह किसी विशेष धर्म, संप्रदाय, जाति, मज़हब के लिए है लेकिन ये सत्य नहीं है, यह किताब पूरी मानव जाति के लिए है। इस किताब में राम शब्द का प्रयोग एक उर्जा के तौर पर किया गया है जो हर ज़गह विद्यमान हैं। वह उर्जा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह में भी है और शिवजी में भी है,
जिसे आजकल की साईंस ने भी माना है
“गौड पार्टीकल” के रूप में।
मेरा किताब लिखने का एक ही मकसद है की जाति, मजहब, धर्म, रंग, भेद,…आदि को ख़त्म कर उस एक पर ध्यान देना।
दिखते तो यहाँ पर सब अलग अलग हैं पर हैं तो सब एक ही ना।
फ़िर यह ईर्ष्या राघ द्वेष क्यों और किससे..!!!
राजा हो या रंक असली औकात तो श्मशान में दिख ही जाती है
फ़िर जीते जी यह बाहरी दिखावा क्यों।
कुछ वास्तविकता को मैंने लिखा है जिसे लोग जान कर भी अनजान बनें हैं।
जिस्म और रूह की सत्यता को मैंने स्पष्ट रूप से लिखा है।
राम होकर राम को भजना है।
इस किताब का उद्देश्य अपने भीतर छुपी आत्मचेतना को जगाना है।
किसी भी चीज़ का नशा एक-न-एक दिन उतरना ही उतरना है।
रात को पियो तो सुबह
सुबह को पियो तो रात
उतर ही जाता है।
राम नाम का प्याला पी कर के तो देखो।
राम नाम का नशा कर के तो देखो वचन है मेरा आपको इससे सारी ज़िन्दगी सुधर जाती है
राम जी ही तो सरस्वती जी के रूप में मेरी जिह्वा पर विराजमान हैं
और मेरी कलम को एक नई सोच देते हैं।
मैं उन्ही राम जी के अंश राधा अग्रवाल जी और निधि गुप्ता “जिद्दी” जी का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ जिन्होंने मेरे लिखे इस लेख को जो राम जी को समर्पित है
को सही किया है इसे सुंदर बनाया है।
हरिणा पंडया जी और निधि गुप्ता “जिद्दी” ने इस किताब को लिखने में मुझे सहयोग दिया है।
राधा अग्रवाल जी ने मेरी इस किताब का शुद्धिकरण किया है।
सचिन गुरुरानी ने मेरी किताब के लिये डिजाइन तैयार किया है।
मैं इन सभी को तहेदिल से धन्यवाद करता हूँ।

मेरी किताब पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
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वो खड़ी थी…….!!!!

March 19, 2021
Shanky❤Salty
मृत्यु दरवाजे पर आ खड़ी थी राम
पूछा उसने मुझसे राम
क्या किया तुने जीवन में राम
हैरान परेशान हो गया मैं राम
सोने में रात बिता दी थी मैंने राम
खाने में दिन भी गुजार दिया था राम
तेरे नाम का हिसाब दे नहीं पाया मैं राम
फ़िर क्या राम
खोल मुट्ठी मेरी उसने दी राम
चौरासी के चक्कर में उसने धकेल मुझको दिया राम
जीवन मेरा मैंने यूँ हीं गवां दिया राम
सोने का कटोरा रख कर मैंने राम
भीख ही माँगी राम
घाट श्मशान का हो राम
या मणिकर्णिका घाट हो राम
हिसाब तो होगा ही राम
चिड़िया भले ही चुग खेत क्यों ना गई राम
नुकसान तो मेरा ही होगा राम
निंदा करता रहा मैं राम
मुझसे बड़ा निंदक मिला नहीं मुझको राम…!!

Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- A Wonderful Writer Radha Agarwal
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Truth Or Conspiracy……!!!!

February 24, 2021
Shanky ❤Salty

My fifth book has been published on February 16, 2021. I have written some of my experiences in this book. And some such untold story by our Indian media or paid media or fabricated media. This book is written for the mature reader. Its purpose is not to hurt anyone’s feelings. Neither is it in favor or opposition to any person, society, gender, creed, nation or religion. These are my own views.

In this book you read about:-

  • Some Cultures Of The World
  • Culture Of India
  • Indian Saint

  • What Is The Purpose Of The Saint?
  • Gautam Buddha
  • False Accusations On Gautam Buddha
  • Jayendra Saraswati Shankaracharya
  • False Accusations On Jayendra Saraswati Shankaracharya
  • Asaram Bapu
  • Parliament Of World Religion
  • Scientific Conclusion Of Asaram Bapu Aura
  • Women Empowerment
  • Divine Baby Rites
  • Stop Abortion Campaign
  • Cesarean Delivery
  • Spiritual Awakening Campaign
  • Prisoner Uplift Program
  • Vrinda Expedition
  • Tribal Welfare
  • Gurukul
  • Valentine’s Day
  • Protection Of Cows From Slaughterhouses
  • The Main Reason Why Asaram Was Targeted
  • False Accusations On Revered Bapuji
  • What Are People Saying
  • Attack On Hinduism

I offer my gratitude to God. Those who inspired my writing. I thank you to my mother Pramila Sharan. Without her blessings, the existence of this book was difficult. I’m grateful to the writers, readers & critic bloggers who helped to make my writing the best. I would also like to thank you to Radha Agarwal, who helped me and did a proof reader. I thank to Rekha Rani ma’am for helping me in this book. Who raised the respect of my creation with their thoughts. Also, my heartfelt thanks to those who helped to write this book.
Hope that by reading this book, you will try to understand and appreciate my point of view. And give your feedback.
My book is available on Amazon & Notionpress

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सिखा दो न…..!!!!

February 21, 2021
Shanky❤Salty
ग़म के आँसू भी तो हला-हल कि तरह है ना शिव जी
आप हमें भी पीना सिखा दो न शिव जी
हर परिस्थिति में हमें भी मुस्कुराना सिखा दो न शिव जी…

Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- A Wonderful Writer Radha Agarwal
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अयोध्या वासियों से अनुरोध…….!!!!

February 10, 2021
Shanky ❤Salty
बड़ा व्याकुल है मन हमारा
कभी सम्मान ना मिला
हमारी माँ सीता जो को
आपकी अयोध्या जी में
ब्याह कर के आईं थीं हमारे राम जी से
षड्यंत्रों का शिकार हो वनवास को गई हमारी माँ
अग्नि परीक्षा तक देना पड़ा हमारी माँ को
फ़िर भी चैन ना मिला आपके अयोध्या वासियों को
क्या से क्या कह गए हमारे राम जी को
त्याग सीता को प्रजा का सम्मान रखा राजा रामचंद्र जी ने
है विनती मेरी आपके मोदी जी से
बनवावें रामलला का भव्य मंदिर
पर वो सम्मान लौटावे जो प्रेम किया था हमारे राम जी ने हमारी माँ सीता जी से…

Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- A Wonderful Writer Radha Agarwal