
Shanky❤Salty
सभी को खुशीयां ही चाहिए
चाहिए ना किसी को भी ग़म
हम भागत फिरे है खुशीयों के पीछे
ग़म भी भागत फिरे है हमरे पीछे
दुनिया में एैसा कोई नहीं होगा जिसे दुख चाहिए
पर हक़ीक़त यहा है कि
दुनिया में एैसा कोई नहीं होगा जो सुखी होगा
Shanky❤Salty
सभी को खुशीयां ही चाहिए
चाहिए ना किसी को भी ग़म
हम भागत फिरे है खुशीयों के पीछे
ग़म भी भागत फिरे है हमरे पीछे
दुनिया में एैसा कोई नहीं होगा जिसे दुख चाहिए
पर हक़ीक़त यहा है कि
दुनिया में एैसा कोई नहीं होगा जो सुखी होगा
Shanky❤Salty
रिश्तों में ग़र मुनाफा ढ़ुढ़ोगे
तो एक दिन नुकसान का भी बोझ उठाना पड़ेगा
Shanky❤Salty
मृत्यु को सबका पता मालूम है
बस आपको पता होना चाहिए
कि आपकी मृत्यु हो नहीं सकती
Shanky❤Salty
लोग समझते है कि
ग़र पास पैसा हो तो सबकुछ पास होता है
पर वास्तविकता यह नहीं है
जब तक पास पैसा होगा आपके पास कुछ नहीं होगा
आपके हाथों से पैसे जाएगें
तब ही चीज़, वस्तुएँ पास आएंगीं
पैसे देकर ही हम कुछ हासिल कर सकते है
पैसे पास रखकर हमें सिर्फ ग़म कि कतारें ही मिलेगी
बिना पैसे दिये विद्या नहीं मिल सकती स्कूलों में
बिना पैसे दिये अन्न नहीं मिल सकता है
फिर भी लोग सोचते है
पैसे होंगे तब हम सुखी होगें
दरसल हालात ऐसे है
कि रोशनी होते हुए भी हम आँखें बंद कर लेते है
और कहते है अंधियारा है
Published by ‘Anonymous’ on behalf of Shanky
Shanky❤Salty
When Feelings Turn Into Words
And
Words Turn Into Books
Then Your Happiness Turn Into Immense Happiness
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Shanky❤Salty
When I write,
I always feel your presence
With your fragrance
In my breath
Don’t know why I smile
With some tears
Seriously, I don’t know
This is our memories or your love
Shanky❤Salty
मास्क हम लगाएंगे नहीं
“वैक्सीन” ?
अरे ये मैंने किसका नाम ले लिया
सुना है इसको लगाने से
नपुंसकता आती है?
यार एैसे भ्रामक और बेहुदी
अफवाह हम फैलाएगें
और दोष की अंगुली
सरकार पर उठाएगें
अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है
महंगाई बढ़ रही है
पेट्रोल-डीजल की तो
बात ही छोड़ो जनाब
दो साल से
मुफ्त अनाज तो ले ही रहें है
मुफ्त वैक्सीन भी ले ही लेगें
दफ्तरों में भी कोरोना का नाम ले
कामचोरी भी कर लेगें
दो पैसे के टैक्स बचाने में
हम तो माहिर है जनाब
आठ-दस बच्चे पैदा कर
पंचर की दुकान खोल
देश के संसाधनों को खत्म कर
सरकार को गाली देने
का काम हम बखूबी करेगें
पर अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट कर
हम कोरोना की
तीसरी लहर का स्वागत के करेगें
यक़ीनन मौतें कम थी
कोरोना की दुसरी लहर में
कोई नहीं मौत के आकड़े
हर रोज घर में गिनना
अपने मतों से बहुमत
दे कर सरकार बनवाना
फिर उसी सरकार को
पुर्ण रूप से गलत ठहरा देना
हमें बखूबी जो आता है
Written by:- Ashish Kumar
My words are incomplete without support of Ziddy Nidhi
Shanky❤Salty
“तुम मुझे नहीं समझते”
वो अक़्सर मुझसे कहती थी
ग़र ये बात वो समझ जाते
तो हर दफ़ा यह मुझे नहीं समझाते
कैसे कहूँ मैं
यह समझने की च़ीज है
समझाने की नहीं
यार समझता सब कुछ हूँ
पर समझा नहीं पाता
और रही बात समझने की
तो वो जख्म लगने पर
खुद-ब-खुद समझ आ जाती है…
Shanky❤Salty
अकेलापन जैसा कुछ भी नहीं होता है
ग़र अकेलेपन को तुम महसूस करतें हो तो
यकीनन तुमनें खुद का भी साथ छोड़ा ही दिया होगा
Shanky❤Salty
तुझे देखने के लिये ही
मंदिरों में भीड़ लगती है
हमनें तो तुझे
हृदय मंदिर में ही देख लिया है ।
तुझे पाने के लिए लोग काबा गये
हमनें तो तुझे इंसानों में ही देख लिया है ।
कहाँ खोजूं मैं तुझे कहाँ तू नहीं है
वो ज़गह ही नहीं है जहाँ तू नहीं है
खाने वाला भी तू खिलाने वाला भी तू
बरसाने वाला भी तू भीगनें वाला भी तू
सुनने वाला भी तू सुनाने वाला भी तू
जीवन देने वाला भी तू लेने वाला भी तू
ओ सुनने वाले ज़रा मुझ पर यूँ रहम अदा फ़रमा दो
इस काया को मिट्टी में मिला कर मुझे खुद में मिला दो…!!
Shanky❤Salty
ये जिंदगी
कुछ रेलगाड़ी सी हो गई है
कि तुम अभी कुछ वक्त -साल
अपनी ही सीट पर बैठे रहो,
तुम बाहर तो देखो
पर तुम बाहर मत निकलो
क्योंकि बाहर करोना जो है,
तुम खाओ, सो, उठो
और फिर खा कर फिर से सो जाओ,
बस जिंदगी रेलगाड़ी सी हो गई है
सब बैठें हैं अपनी-अपनी सीटों पे,
पर एक दुजे से अनजान हैं,
तुम इंतज़ार करो रेल रूकने का
वरना चार जन भी नहीं मिलेंगे
तुम्हारे जनाजे को उठाने के लिए,
बिलख-बिलख रोएगी तुम्हारी जोड़ी
पर जंगल की लकड़ी भी नसीब नहीं होगी
तुम्हें पंच तत्व में विलीन करने को,
तुम घबराओ नहीं
जल्द ही रुक जाएगी ये रेलगाड़ी
ग़र सब्र के साथ तुम बैठोगे अपनी सीटों पे
हाँ टिकट लेना ना भुलना
राम नाम का
नहीं तो कटने में देर ना लगेगी
Shanky❤Salty
जो हुआ, सो हुआ
अब बस किसी से बदला मत लेना
अगर हो सके तो खुद में थोड़ा बदलाव लाना
My fifth book has been published on February 16, 2021. I have written some of my experiences in this book. And some such untold story by our Indian media or paid media or fabricated media. This book is written for the mature reader. Its purpose is not to hurt anyone’s feelings. Neither is it in favor or opposition to any person, society, gender, creed, nation or religion. These are my own views.
Some Cultures Of The World
Culture Of India
Indian Saint
बड़ा व्याकुल है मन हमारा
कभी सम्मान ना मिला
हमारी माँ सीता जो को
आपकी अयोध्या जी में
ब्याह कर के आईं थीं हमारे राम जी से
षड्यंत्रों का शिकार हो वनवास को गई हमारी माँ
अग्नि परीक्षा तक देना पड़ा हमारी माँ को
फ़िर भी चैन ना मिला आपके अयोध्या वासियों को
क्या से क्या कह गए हमारे राम जी को
त्याग सीता को प्रजा का सम्मान रखा राजा रामचंद्र जी ने
है विनती मेरी आपके मोदी जी से
बनवावें रामलला का भव्य मंदिर
पर वो सम्मान लौटावे जो प्रेम किया था हमारे राम जी ने हमारी माँ सीता जी से…
If you run behind the happiness
You will reach the destination of sorrow
ग़र इश्क़ में फ़ायदे ,नफ़े कि बात होगी
तो वो इश्क़
इश्क़ नहीं व्यापार होगा…
सबको नंगा आना है
पावन गंगा के तट पर ही जाना है
वो चले गए हैं
मुझे जाना बाकी है
कुछ को अभी आना बाकी है
सच कहूँ तो
दो दिन का मेला है
ज़िंदगी का यही खेला है
बाँध मुठ्ठी आना है
कमा-कमा कर झोली भरना है
खोल मुठ्ठी तो सबको जाना है
जो कुछ भी खोया या पाया है
सब कुछ ही तो कर्मों का खेला है
सबको तू अपना मान बैठा है
पर चिता पर लेटना अकेला है
यारा कहा था ना
दो दिन का मेला है
ज़िंदगी का यही खेला है…
प्रेम केवल देने की चीज़ है
ग़र उसमें उम्मीद और इच्छा का दीपक जलाओगे
तो वह एक न एक दिन अंधियारा ही देगा…!!
महाशिवरात्री जागने का पर्व है
अपने अंदर के आत्मशिव को जागने का पर्व है
जीव शिव है
शव भी शिव है
सब कुछ शिव है
बिन शिव कुछ भी नहीं है
मेरे शिव जी समर्थ तो हैं
पर हमें मारने में असमर्थ हैं
हाँ-हाँ शिव जी ने ही ज्ञान दिया है
मृत्यु आएगी पर हमारी मृत्यु हो नहीं सकती
यह परम सत्य है
मृत्यु तो कपड़े बदलने की तरह है
इस ज़िन्दगी को छोड़ दूसरी ज़िन्दगी को अपनाना है
फ़िर किस बात का डर है
रोना क्यूँ है
क्या कहूँ नाथ जी आपसे
सुनते सब कुछ हैं
पर कहते कुछ भी नहीं
बस झोलियाँ भर-भर देते हैं
लीला कर हर वक़्त अपनी ओर खींचते हैं
भर-भर प्याली मुझको आप ही तो पिलाते है
बिन कहे अन्हद नाद आप सुनाते हैं
च़िता कि राख़ हो
या चंदन का लेप हो
हर कुछ मुझको प्यारा लगता है
हर कुछ मुझको अपना लगता है
माना की वो राखी टूट गई मुझसे
पर वह रिश़्ता अब भी बरक़रार है
हाँ नाथ जी वो रूद्राक्ष भी बिख़र चुका था
पर आपने मुझको समेट रखा था
मेरे शिव ने मेरी शक्ति से कहा था
नास्ति ध्यानं सम तीर्थं
नास्ति ध्यानं सम यज्ञं
नास्ति ध्यानं सम दानं
तस्मात् ध्यानं समाचरेत
ध्यान के समान न तीर्थ है न ही यज्ञ है न ही दान। ध्यान ही सब कुछ है।
सब कोई रूठ जाएगा
सब कुछ छूट जाएगा
तो जगा लो इस रात्रि
हाँ इसी महाशिवरात्रि
मिल लो उस शिव से
जो न रूठेगा
जो न छूटेगा
जो मेरा था…..जो मेरा है….और…जो मेरा ही रहेगा
तुम कुछ भी न करो
बस बैठे रहो उसके ध्यान में
मेरा वादा है
वो आएगा
वो आएगा
वो आएगा
ज़रूर आएगा
इतना तो तय है
जब भी मेरी मौत आएगी
अपने के आँखों में आँसू दे कर ही जाएगी
माना की वो कुछ पल के लिए उदास हो जाएंगें
मेरी भोज में आ कर वो जी भर के खाएंगे
मैं कहता था
ना जाने क्यों ज़िंदगी मुझे से रूठी है
पर सच कहुं तो
मैं ही ज़िंदगी से रूठ बैठा हूँ
चंद सपने जो मेरे पूरे ना हो पाये
मैं अपनी ही प्यारी ज़िंदगी से युं ही हठ कर बैठा हूँ
खुद के सपने मैं पूरे करने
ना मैं आया था
खुशी के आँसू मैं बाँटने
ना मैं आया था
पर क्या मैं करूँ
एक ही तो दिल
जो तोड़ उसने दिया था
रोता-रोता मैं उसे जोड़ने अकेला बैठा हूँ
शरीर कि मलिनता दूर करने के लिए
नित-प्रतिदिन नहाना जरूरी है
वैसी हि
ह्रदय कि मलिनता दूर करने के लिए
नित-प्रतिदिन “गीता” के ज्ञानरूपी
सागर में डुबकि लगाना जरूरी है
गीता केवल एक ग्रंथ या पुस्तक नहीं है अपितु जीवन जीने कि कला है।
गीता ऐसा अद्भुत ग्रंथ है कि थके, हारे, गिरे हुए को उठाता है, बिछड़े को मिलाता ह, भयभीत को निर्भय, निर्भय को नि:शंक, नि:शंक को निर्द्वन्द्व बनाकर नारायण से मिला के जीवन का उद्देश्य समझाता है।
विश्व की 578 भाषाओं में गीता का अनुवाद हो चुका है।
हर भाषा में कई चिन्तकों, विद्वानों और भक्तों ने मीमांसाएँ की हैं और अभी भी हो रहीं हैं, होती रहेंगी।
इस ग्रंथ में सब देशों, जातियों, पंथों के तमाम मनुष्यों के कल्याण की अलौकिक सामग्री भरी हुई है।
भोग, मोक्ष, निर्लेपता, निर्भयता आदि तमाम दिव्य गुणों का विकास करनेवाला यह गीताग्रंथ विश्व में अद्वितीय है।
स्वामी विवेकानंद जी तो श्रीमद्भगवत गीता को “माँ” कहा करते थे।
मदनमोहन मालवीय जी श्रीमद्भगवत गीता को “आत्मा कि औषधि” कहा करते थे।
श्रीमद्भगवत गीता किसी धर्म, जाती, समुदाय, मजहब का पुस्तक नहीं है अपितु यह संपूर्ण मानव जाती के लिए है।
श्रीमद्भगवत गीता वह ग्रंथ है जिसने युद्ध के मैदान में अर्जुन को योग कि कला सिखा थी।
श्रीमद्भगवत गीता वह ग्रंथ है जो हमें सिखाती है “सुख टिक नहीं सकता और दुःख मिट नहीं सकता”
मुझे लगता है कि गीता को हाथ में रखकर कसमें खाने से कुछ नहीं होगा अपितु गीता को हाथ में रखकर पढ़ना होगा।
ज़िंदगी कि एैसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान श्रीमद्भगवत गीता में ना हो एैसा मेरे विश्वास है।
हम सब ईश्वर से प्रार्थना तो करते है
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
हिन्दी भावार्थ:
सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी का जीवन मंगलमय बनें और कोई भी दुःख का भागी न बने।
हे भगवन हमें ऐसा वर दो!
पर यह संभव तभी है जब श्रीमद्भगवत गीता को जीवन में अपनायेगें।
बस जीवन में एक बार पढ़कर देखो “मोहब्बत कि बरसात ना हो गईं तो कहना”
घर और मन की साफ-सफाई हो गईं हो तो
चलो ना इस दीपावली कुछ नया करते हैं
रौशन गली-मोहल्ले, चौक-चौराहे तो होंगे ही
वक्त है अब दिल के दीप जलाए रखने का
ज़िंदगी कि कशमकस से थोड़ा वक्त निकालना होगा
अपनों के साथ वक्त बिताना होगा
लक्ष्मी की पूजा कर धन तो कमाना होगा
साथ ही सरस्वती की भी पूजा कर
धन को बुद्धिमता से सदुपयोग करना होगा
बुझ रही हो गर किसी के जीवनदीप तो
लौ खुशी की, बन ज्योति, आनंद की,
चलो उस लौ को अपने हथेलियां बढ़ाकर प्रज्वलित रखना होगा
हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई धर्म से उपर उठ
मानव धर्म को अपनाना होगा
चलो इस दीपावाली कुछ नया करते हैं
देखो ना……!!!!
ये दुनिया कितनी अजीब है
ज़िंदगी भर मुझमें कमियां निकालेगी
फिर मरने के बाद कुछ दिन आँसू बहायेगी
और भोज में आ खाने कि कमियां निकालेगी
ये तो आदत है उनकी
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आँखों से कपड़ों को नोचते हैं
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पर
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उँगली चरित्र पर उठाते हैं
प्रिय परिवारजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
इस दीपावली कम से कम एक ज़िन्दगी रौशन करने की कोशिश करें।
#दीपावली
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