
Shanky❤Salty
दर्द लिखूँ या लिखूँ मैं अपनी हालात
बेचैनी लिखूँ या लिखूँ मैं वो कसक,
आँखों के काले आँसूं बहे थे
जब तुम मुझे छोड़ गए थे
हाँ तुम्हारे नाम का काजल लगाया था
वो बह गए थे तुम्हारे जाने की खबर से
काँच की चुड़ियाँ जो पहनी थी वो तोड़ दी गई थी
हकीकत में मुझे काँच की तरह तोड़ दिया गया था,
तेरे जाते ही
जलते दीये को राम जी ने बुझा दिया था
मेरा सुहाग उजाड़ दिया था
विधवा नाम मुझको दिया गया
माँग से सिंदूर पोछ दिया गया
जो तेरे नाम के नाम मैं लगाया करती थी,
मैं रोती नहीं क्योंकि आँसू तो सूख गए मेरे
तुम मुझसे रूठे थे या किस्मत मेरी फूटी थी
पता नहीं
पता तो बस इतना है
जीवन मेरा बस अब अकेला है
जीवन साथी ने साथ सदा के लिए छोड़ा है,
दो चिड़ियाँ दिखाई थी तुमनें
और कहा था यह हम दोनों हैं
पर देखो ना वो दोनो तो आज भी साथ है
पर तुम क्यों नहीं हो मेरे साथ
कहाँ उड़ गए तुम?
मेरी नींद तुम उड़ा ले गए
जब से तुम सदा के लिए सोए,
आज भी मुझे याद है
जब से सुहागन हुई थी मैं
कहते थे लोग
निखर गई हूँ मैं
पर तुम्हारे जाते ही बिखर गई हूँ मैं
छन-छन पायल की आवाज से
घर गूंजा करते थे
अब मेरी चीखों की आवाज से
मेरा मन गूंजा करता है
तुम्हारी जान थी ना मैं
आज बेजान हो गई हूँ मैं,
तुम्हारा होना
और तुम्हारा होने में होना
बस दिल को तसल्ली देने वाला है
विधवा हूँ मैं
तिरस्कार की घूंट पीती हूँ मैं
श्रृंगार के नाम पर सिहर जाती हूँ मैं
सहारा नहीं मिलता बस सलाह ही मिलती है
अछुत सा व्यवहार होता है
शुभ कर्मों से हटाया जाता है
विधवा कह कर बुलाया जाता है
कोई झांकने तक नहीं आता है
ना दवा देता है ना देता है जहर
बस ताने ही मिलें हैं
बस तड़पता छोड़ जाता है
तेरे जाते ही घर का चुल्हा बुझ गया था
पर ह्रदय में आग लग गई थी
कहते हैं लोग
मैं तुम्हें खा गई हूँ
रात लम्बी होती है
पर हकीकत तो यह है
मेरी ज़िन्दगी अब विरान हो गई है
मरूस्थल-सी हो गई है
बस काँटें ही रह गए है
फूल तोड़ ले गया कोई
जात मेरी विधवा हो गई,
बैठ चौखट पर तुम्हारा
इंतजार करूँ मैं प्रियतम
आओगे ना तुम अब कभी
पर आए है मेरे आसूं तुम्हारी याद में
ले गए खुशियां तुम मेरी
ले जाते तुम भी मुझको
सती सी जलती मैं भी
चिता के साथ तुम्हारी
ज़िंदगी में नज़रें लग गए मेरी
हँसती खेलती ज़िन्दगी लुट गई मेरी
सूरज की लाली देख मुस्कुराती थी मैं
आँखें अब भी लाल ही रहती हैं मेरी पर मुस्कुराती नहीं हूँ मैं
वो तो बस कहने की बात थी
सात जन्मों के लिए मैं तुम्हारी थी
हकीकत में तो मैं असहाय थी
मेघ भी बरसे
सूरज भी चमके
पर तुम्हारी तुलसी सूखी ही रह गई
तेरे जाने के बाद
तुम्हारे बाग की फूल थी मैं
जो बिखरी पड़ी है
समाज के कुछ कुत्ते नज़र डालते है
तन का सुख देने की बात करते हैं
मेरे मन को कचोटतें हैं
लोग कहते थे
दुख बाँटने से कम होता है
पर मेरा दुख तो एक बहाना है
दरसल उन्हें मेरे साथ बिस्तर पर सोना है
ह्रदय बहुत रोता है मेरा
हाथों में तुम्हारे नाम की मेहेंदी लगाई थी मैंने
मेहेंदी की लाली चली गई
और तुम भी हाथों की लकीरों से चले गए,
इश्क़ मुकम्मल ना हो तो लोग रोते हैं
मरने की बात करते हैं
ज़रा मुझको भी बतलाओ ना
मैं करूँ तो क्या करूँ
ह्रदय तो है पर धड़कन नहीं है
जिस्म तो है पर जान नहीं है
दर्द तो इतना हैं की शब्द नहीं है बयां करने को
भला कोई क्या समझे मेरे दर्द को
मेरी पंक्तियों को वाह वाह कर चले जाएगें
मार्मिक लिख देगें
पर पढ़ न पाएगा दर्द मेरा कोई,
हे कालों के महाकाल
बगीया मेरी उजड़ गई
आज कंठ मेरा फिर से भर गया
समाज की नजरों में
राधा को कृष्ण न मिले
फिर भी कृष्ण राधा के ही कहलाए
दुख मेरा भी पच जाए
यह ज्ञान आप मुझको जल्दी दिलाए
ह्रदय की धड़कन बहुत बढ़ गई थी इसे लिखते
एक पल के लिए मैं इस स्थिति में खो गया था
शब्दों में बयां करना संभव नहीं है
बस मेरे रोम सिहर गए थे पल भर के लिए
गलतीयों के लिए माफी चाहते हैं
Modified by:- Preetii Sharma & Ziddy Nidhi
Originally written by:- Ashish Kumar
Excellent, Ashish. I am speechless. ♥️♥️♥️♥️👌👌👌👌👌👏👏👏👏
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Yesterday night written this & after that not able to sleep 🙃 Hope we respect & give some love✨❤
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वाह, एक विधवा की मार्मिक चित्रण किया है। बहुत अच्छा लिखा है ।
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धन्यवाद अंकल, लेकिन ये लिखना बहुत पीड़ादायक रहा🙃
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मैं आप की भावनाओं को समझ सकता हूँ |
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Very touching 💖
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Very difficult to write this🙃
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Yes, heart breaking 💔 event 😢
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🙃🙃
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😢😢😢😢
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✨🤗❤
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दो चिड़ियाँ दिखाई थी तुमनें
और कहा था यह हम दोनों हैं
पर देखो ना वो दोनो तो आज भी साथ है
पर तुम क्यों नहीं हो मेरे साथ
कहाँ उड़ गए तुम?
मेरी नींद तुम उड़ा ले गए
जब से तुम सदा के लिए सोए,
हृदय विदारक रचना। बहुत ही खूबसूरती से लिखा है।👌👌👌
कल जो सभी को कुछ ना कुछ
अपने हाथों से उठाकर देती,
आज वही एक एक सामान के लिए
किसी दूसरे पर आश्रित
तरसती,तड़पती,
लोगों की गिद्ध दृष्टि,
से स्वयं बचती,
किसी मर्द से मिलना
जैसे पाप हो उसके लिए,
नाचना,गाना तो दूर,
हंसना भी जैसे गुनाह हो उसके लिए।
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जी अंकल उनके दर्द को लिखना संभव नहीं है सोचने मात्र से ह्रदय रो उठता है और उन्होंने ने तो झेला है
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So sorry to read such a sad poem for you. I predict there will be a challenging process you will go through and eventually you will find some “light in the tunnel”
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🙂
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