
Shanky❤Salty
परिस्थिति अनुकूल हो तो सब आजु-बाजू ही नज़र आते है
पर जब परिस्थिति विकट हो तो निकट नज़र कोई नहीं आता है
परेशान था मैं, कुछ अनुकूल ना था
हाँ मेरा व्यवहार भी कुछ पल के लिए प्रतिकूल था
कमरे कि बिखरी चीजों में तुम्हें खोजता था
यकिनन मेरे पैर अब लड़खडाते है
आँखों से भी कम नजर आता है
धड़कनों का तो तुम्हें पता ही है
लिखना तो छूट रहा है अब
हर किसी से मेरा रिश्ता टूट रहा है अब
ऊंगली मुझको नहीं उठानी है
वक्त, हालात और तुम पर
हाँ गलती मेरी ही है और गलत भी मैं ही हूँ
लगाम मेरी नहीं थी ज़ुबां पर
इसलिए तो हर कोई ख़फ़ा है मुझ पर
क्या लेकर आया था मैं
और लेकर क्या जाऊँगा मैं
चार दिन की ही है ज़िन्दगी
ना तो भीड़ साथ जाएगी
और ना ही तुम
ठीक है मेरी आवाज अच्छी थी
मेरी कुछ हरकतेें अच्छी थी
हाँ यार वो सब था
पर अब नहीं
खैर छोड़ों ये सब बातें
स्वास्थ्य तो जा ही रहा है
साथ ही धन दौलत भी
अब तो मैं चलता हूँ
हो सके तो तुम आ जाना
ग़र नहीं
तो अंतिम यात्रा कि ख़बर मिल ही जाएगी
हाथ जोड़कर ही कहता हूँ
साँसें है तब तक ही साथ रहो ना
साँस रूकते ही मैं यादें बन तुम्हारे साथ रह लूंगा ना
Modified by:- Preetii Sharma
Originally written by:- Ashish Kumar
वाह, बहुत भावुक है |
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✨❤😊
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आशीष कुमार कौन हैं ? 🤔
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मैं हूँ 🙂
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Shanky( Ashish) and Preeti are all the same ?
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Yes Shanky is my pen name
But Preeti is another person 🙂
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O.K.☺️
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✨😊❤
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इतनी भावुक रचना क्यों? विकट परिस्थिति में ही अपनी और अपनों की पहचान होती है।
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भावुक रचना इसलिए क्योंकि रामजी तपा रहे हैं। कुछ देने से पहले बहुत कुछ ले रहे हैं 😇
परिस्थिति विकट में भी अपनों को पहचानन बनवा रहें है✨😊❤
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सब कहने को अपने। यहाँ शरीर भी अपना नही। जबतक जिंदगी जीना होगा, मुस्कुराना होगा। ह्रदय को झकझोर देनेवाली रचना।
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बिलकुल सही मुस्कुरा कर हर ग़म का जहर पीना ही होगा✨❤🤗😇
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