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वृद्धा आश्रम से अनाथ आश्रम तक…..!!!!

February 14, 2022

Shanky❤Salty

यह पुस्तक काव्यात्मक ढंग से
वृद्धाश्रम से अनाथालय तक की
यात्रा है
हर रिश्ते में
स्वार्थ देखा है हमनें
एक माँ – बाप ही हैं
जिन्हें निस्वार्थ देखा है
वो बचपन में ही
खुशियों के रास्ते
खोल देते हैं
हम बड़े हो कर
उनके लिए
ना जाने क्यों
वृद्धा आश्रम के रास्ते
खोल देते हैं
पढ़ा – लिखा कर
हमको क़ाबिल बना देते हैं
पर हम कभी
उनके दर्द को पढ़
नहीं पाते हैं
अपने अरमानों का
गला घोट
जिन्होनें हमे इंसान है बनाया
हमनें अपनी इंसानियत को मार
माँ – बाप की आँखों से
आँसू बहवाया है
जिन्होंने हमको
उंगली पकड़
चलना सिखाया है
हमने उनको हाथ पकड़
घर से बेघर कर दिखाया है
अपनी खूशबू दे हमको
जिन्होंने फूल बनाया है
हमने तो काँटे दे
उनको रुलाया है
जिसने काँधे पे बैठा हमें
पूरा जहाँ घुमाया है
उसे सहारा देने पे
हमें शर्म आया है
हमारी छोटी सी खरोंच पर
उसने मरहम लगाया है
हमने अपने शब्दों से ही
उनके दिल में जख्म बनाया है
बचपन में बच्चों कि
तबियत बिगड़ती थी तो
माँ – बाप कि धडकनें बढ़ती थीं
आज माँ – बाप कि
तबियत बिगड़ी है तो
बच्चे जायदात के लिए झगड़ते हैं
हम प्रेम दिवस मनायेंगें
माँ – बाप को भूल
प्रेमी संग ज़िन्दगी बितायेंगे
सच कहूँ तो
रूह को भूल
ज़िस्म से इश्क़ कर दिखायेंगे
पता नहीं
माँ – बाप ने कैसे संस्कार हैं
हमको दिये
बड़े होते ही
इतने बतमीज़ बन गए
जिनकी कमाई से
अन्न है खाया
आज उनको ही
दो वक्त की रोटी के लिए
है तरसाया
गूगल पर
माँ – बाप की
बहुत अच्छी और प्यारी
कविताएँ मिल जाती हैं मुझको
पर पता नहीं क्यों
मैं निःशब्ध हो जाता हूँ
वृद्धा आश्रम की चौखट पर आ कर
माँ – बाप का तिरस्कार वो कर
मेरे राम जी के सामने
आशीर्वाद हैं माँगते
अब किन शब्दों में
समझाऊँ मैं उनको
ईश्वर ही हमारे
माँ बाप बनकर हैं आते
अपने संस्कारों से
जिसने हमें है पाला
आज हमने अपनी हरकतों से
जीते जी माँ – बाप का
अंतिम संस्कार है कर डाला
भरे कंठ लिए
एक सवाल है
गर माँ – बाप से मोहब्बत है
तो वृद्धा आश्रम क्यों खुले हैं ?
एक सवाल है
गर माँ – बाप से मोहब्बत है
तो वृद्धा आश्रम क्यों खुले हैं ?

मेरे इस सवाल का जवाब
किसी के पास नहीं होगा
पर मेरी पंक्तियों को पढ़ हर
किसी के आँखों से
आँसू छलक ही जाएगा
यार वो कितना भी
पत्थर दिल क्यों ना हो
वो एक ना एक पल
पिघल ही जाएगा
हमें जीवनसाथी तो
हजारों मिल जाएंगे
परन्तु क्या माँ – बाप
दुसरे मिल पाएँगे ???
अब बेसरमों कि तरह
हाँ मत कह देना
हाथ दिल पल रख
मैं कहता हूँ
एक बार प्यार से
माँ – बाप को
गले लगा के तो देखो
प्रेम दिवस उनके साथ
मना के तो देखो
सच कहता हूँ
तुम निःशब्ध हो जाओगे
जब माँ बाप के हृदय से
तुम्हारे लिए
करुणा, माधुर्य, वात्सल्य
छलकेगा न
तब तुम्हारे रूह से
आवाज आएगी
“हो गए आज सारे तीर्थ चारों धाम”
“घर में ही कुंभ है”
“माँ – बाप की सेवा ही शाही स्नान है”
मान लो मेरी बात
यही दिव्य प्रेम है
बाकी तो आप जानते ही हो
क्योंकि सुना है
आप समझदार हो
मेरे शिव जी ने भी कहा है
“धन्या माता पिता धन्यो”
“गोत्रं धन्यं कुलोदभवः”
“धन्या च वसुधा देवि”
“यत्र स्याद् गुरुभक्तता”
जिसके अंदर
गुरुभक्ति हो
उसकी माता धन्य है,
उसके पिता धन्य है,
उसका वंश धन्य है
उसके वंश में
जन्म लेने वाले धन्य हैं,
समग्र धरती माता धन्य है
वैसे प्रथम गुरु कौन होता है
हम सबको पता ही है
तो कर लो न
गुरुभक्ति उत्पन्न
मैं बहुत कुछ कहना चाहता हूँ
हृदय की पीड़ा है
जब सुनता हूँ
बलात्कार हुआ,
किशोराअवस्था में
बच्ची गर्भवती हो गई,
17 साल की बच्ची का
गर्भपात हुआ,
इश्क कर बच्चे भाग गए
अब आगे क्या कहूँ
मेरे आँसू ही जानते हैं
शायद माँ – बाप ने
अच्छे संस्कार नहीं दिये होंगे
इसलिए एैसा हुआ होगा
यह कह हम ही ऊँगली उठाते है
अच्छा छोड़ो ये सब बातें
गर तुम्हें एक साथ
आँखों से सच देखना है
और कानों से झूठ सुनना है
तो किसी वृद्धा आश्रम जा कर
वहाँ रहने वाले
किसी से भी
उनकी ख़ैरियत पूछ कर देखो
तुम खुद – ब – खुद समझ जाओगे
मैं कहना क्या चाहता हूँ
और लिखना क्या चाहता हूँ
तुम्हारे पास वक़्त कहाँ
सच में
अब तुम बड़े हो गए हो
वक़्त कहाँ है
बुढ़ापा आने में
निकल रहा था मैं
वृद्धाआश्रम से
अचम्भित सा रह गया
गुजरते देखा मैंने
एक औरत को
वृद्धाआश्रम के बगल से
शुक्रिया अदा कर रही थी
वह ईश्वर को
रहा न गया मुझसे
पूछ बैठा मैं
“आप कौन हो”
मुस्करा वह कह गई
“एक बाँझ हूँ”
गूगल के द्वारा पता चला है
भारत में कुल 728 वृद्धा आश्रम हैं
और 2 करोड़ अनाथआलय हैं
वो कहते है न
कर्म का फल सबको
भोगना ही पड़ता है….!!!
खैर छोड़ो
तुम्हारी जो मर्जी हो करना
हाथ जोड़ कहता हूँ
बस सिर्फ एक बार
सिर्फ एक बार
हर दुआ में उसकी दुआ है
जिसके सिर पर
माँ की छाया है
समझो ना वहीं पर
खुदा का साया है
काँटों को फूल बनाया है
पिता ने
हर मुश्किल राह को
आसान जो बनाया है
सोकर स्वयं गीले में,
सुलाया तुझको सूखे में
माँ की
ममतामयी आँखों को,
भूलकर भी
गीला ना करना
माँ की
ममता का
और
पिता की
क्षमता का
अंदाजा लगाना
असंभव है
उंगली पकड़ कर
सर उठा कर
चलाना सिखाया है
पिता ने
अदब से
नज़रें झुका कर
चलना सिखाया है
माँ ने
सब सिखाया है
माँ ने
हौसला भरा है
पिता ने
यश और कीर्ति
दिलाया है
पिता ने
माधुर्य और वात्सल्य
दिलाया है
माँ ने
कर्ज लेना कभी नहीं
सिखाया है
आपने ना जाने क्यों
हमें अपने कर्जदार बना दिया है
जिसे इस जन्म में
तो पूरा करना
संभव ही नहीं है
जब तक साँसे है
तब तक
कर लो
ना प्यार उनको
देखा है मैंने
साँसे रुक जाती
है ना उनकी
तो सुकून की नींद
उड़ जाती है हमारी
पिता कि साया
हटते ही
खुद-ब-खुद
बड़े हो जाते है
माँ के गुजरते ही
बच्चे तकिये में
मुँह छुपा
रोते रह जाते है
जमीन के टुकड़े
के लिए बच्चे
माँ बाप के दिल के
हाजारो टुकड़े
कर देते है
गरीबी सताती जरूर थी
पर हमारा पेट भर
वो खुद भूखा रहती थी
वो और कोई नहीं
हमारी माँ ही थी
हम कैसे खुश रहे
इस सोच में ही
तो माँ बाप
सारी जिंदगी
गुजारते है
धन लाख करोड़
कमाया है
माँ बाप को
खुद से दूर कर
तूने असली पूंजी
गवायाँ है
खाया है मैंने
माँ के एक हाथों से
थप्पड़ तो
दूजे से घी वाली
रोटी याद है
मुझे वो रात भी
जब खुद की
नींद उड़ा कर
गहरी नींद में
सुलाती थी
खुद गीले में
सो कर मुझको
सूखे में सुलाती थी
जरूरतें अपनी भुला कर
हसरतें मेरी पूरा करते थे
वो और कोई नहीं
मेरे मेरे पिता थे
मेरे आँसूओं को
मेरी चीखों को
वो मुस्कान में
बदलती थी
आज जब वो
बूढ़ी हो गई है
तो ना जाने क्यों
हमें उसके जरूरतों
कि चीख – पुकार
कानों तक नहीं रेंगती है
यक़ीनन बेटा अब
बड़ा हो गया है
पैरों पर
खड़ा हो गया है
जमाने की चकाचौंध में
वो अपने माँ बाप को
भूल गया है
अरसा बीत गया होगा
माँ की गोद में सोए हुए
पर कोई बात नहीं
जब माँ सदा के लिए
सोएगी ना
तब हमें उसके गोद की
कमी खलेगी
एक अनुभव लिखता हूं
मैं करीब नौ दस घंटे
जंग लड़ रहा था
हाँ वही मृत्यु से
दुआओं का
दौर चल रहा था
मेरे अपनों का
जंग करीब करीब
जीत चुका था
खबर भी
फैल गई थी
जंग में जीत हो गई है…..
….लोग अपने अपने
घर चल दिए थे
कुछ लोगों ने
खाना खा लिया था
तो कुछ
सो चुके थे
पर…..
…कुछ ही देर में
बाजी पलट चुकी थी
मृत्यु ने
प्रहार शुरू कर दिया था
सफेद चादर से
मैं लिपटा था
पल भर में ही
खून के फव्वारों से
वो लाल हो गया
हार चुका था मैं
जिंदगी की जंग को
चीखता रहा मैं
चिल्लाता रहा मैं
पर मृत्यु ने
अपनी पकड़ नहीं छोड़ी
मेरे शरीर से
मेरे प्राणों को
खींच कर अलग
करने ही वाली थी
कि
तभी ईश्वर के दूत आए
हाँ माँ पापा आए
माँ मुझको देख
हैरान तो हो गई थी
पर मृत्यु उन्हें देख
परेशान हो गई थी
पापा ने
तुरंत जिंदगी के कागज पर
दस्तखत कर
जीत का आदेश लिखा
फिर क्या
मृत्यु को
इजाजत ही नहीं मिली
और खाली हाथ
उसे वहाँ से लौटना पड़ा
कहाँ था ना मैंने
बहुत पहले
जिनके सिर पर
महादेव का हाथ होता है
वहाँ पर
मृत्यु को भी
इज्जात लेनी पड़ती है
और स्पष्ट रूप से
देख भी लिया मैने
खुशियां ज़िन्दगी में
कम होती जा रही है
दो रोटी के लिए
हम माँ बाप से
जो अलग होते
जा रहे है
माँ बाप के
प्यार जैसे प्यारा
और कुछ नहीं
लगता है
माँ बाप के
चेहरे में
खुशियां आसानी से
दिख जाती हैं
पर जख्मों का दाग
दिख नहीं पाता है
अपने संस्कारों से
हमारी हिफाज़त
करने का संकल्प
जो लिया है उन्होंने
अपनी जान से
भी ज्यादा
हमको चाहा है
हम सबने
सत्यवान और सावित्री
कि कहानी सुनी ही होगी
की यमराज से भी
अपने पति की प्रारण
ले आती है
पर
यह तो माँ बाप है
जो मृत्यु तो
बहुत दूर कि बात है
यह तो संकट को भी
पास भटकने ना दे

ऐसा अद्भुत प्रेम है इनका
पिता हमारी
खामोशियों को
पहचानते हैं
माँ हमारे
आँसूओं को
आँचल में पिरोती है
बिन कहे ही
हालातों को
हमारे अनुकूल कर देते है
जब माँ बाप साथ हो ना
तो किसी भी चीज कि
परवाह नहीं होती
उनके होने से ही
हर दिन होली लगती है
हर रात दिपावली लगती है
और ना हो ग़र माँ बाप तो
पूछो उनसे
होली भी बेरंग सी लगती है
दिपावली भी
अंधियारा सा लगता है
आँखों में आँसू
और मन भारी सा लगता है
क्या मंदिर-मस्जिद
भटका है वो
क्या स्वर्ग कि
चाहत होगी राम जी उन्हें
माँ बाप मिले हैं जिन्हें
चरणों में ही माँ बाप के
बैकुंठ होगी
पता नहीं राम जी
वो औलाद कैसी है
जो सफलता की
शिखर पर पहुंच कर
पूछता है माँ बाप से
तूने किया ही क्या है मेरे लिये
बस राम जी
यही कारण है
उसके पतन का
कहता है
वो औलाद
जो भी किया
वो तो फ़र्ज़ था
पर कैसे समझाऊँ
मैं उनको
यार कम से कम
माँ बाप ने
फ़र्ज़ तो पूरा कर दिया
पर तुमने क्या किया
यकीनन दुनिया में
बहुत सी चीजें
अच्छी है
पर सच कहता हूँ मैं
हमारे लिए तो
हमारे माँ बाप ही
सबसे अच्छे है
वो बाप ही जनाब
जो भरें बाजार में
अपनी पगड़ी
उछलने ना देगा
पर अपने बच्चों की
खुशी के खातिर ही
भरी महफ़िल में भी
अपनी पगड़ी
किसी के पैरों पे
रख देगा
अपनी खुदगर्जी के लिए
वो बच्चे बाप को भी
भरे बाजार में गलत
कह देगा
जीवन के
एक पड़ाव में
जरूरत होती है
माँ – बाप को
हमारे एहसानों की नहीं
हमारे प्यार की
जिसने हमें
हर आभावों से
दूर रख
काबिल बनाया
उन्हें ही
हम आभावों में
रख रहे हैं
अपने चार दिन के
मोहब्बत के खातिर
हम तमाशा कर देते हैं उनका
जिसने हमारे
जन्म से पहले ही
ताउम्र हमसे
मोहब्बत की सौगंध खाई थी
कितनी आसानी से
कह देते हैं हम
समझते नहीं है
माँ बाप हमारे
पता नहीं हम
ये बात समझ
क्यों नहीं पाते हैं
बड़े क्या हो गए हम
मानों पंख ही आ गए
चलना क्या सीख लिया
उनकी उंगली पकड़ कर
उड़ना ही शुरू कर दिया
हमें रास्ता दिखाया
माँ बाप ने
और व्यवहार हमारा ऐसा
जैसे खुद ही बनाया रास्ता हमनें
किसी शख़्स ने
बहुत खूब लिखा था
खुली आँखों से
देखा सपना नहीं होता
माँ बाप से बढ़कर
कोई अपना नहीं होता
जामाने को
कठोर कहते हो
माँ के कोमल हृदय को
छोड़ उसे जमाने में
फंसे रहते हो
माना की
पिता की बात
नीम जैसी
कड़वी है
पर यार
सेहत के लिए तो
वही अच्छी है
सिखाया था
मेरे राम जी ने मुझको
हर चाहत के पीछे
मिला दर्द बेहिसाब है
पर एक माँ बाप ही है
जो ग़र साथ हो ना
तो वहाँ दर्द का
नामो निशां नहीं है
ये हमारा
हंसना,
गाना,
लिखना,
खेलना,
कूदना,
सोना
सब उनसे ही तो है
माँ बाप साथ हो ना तो
बेफिक्री खुद-ब-खुद
साथ आ ही जाती है
वर्ना देखो उन्हें
जिनके सिर से
माँ का आँचल
हट जाता है
या पिता का साया
हट जाता है
क्या हाल हो
जाती है उनकी
बस जिस्म रह जाता है
जरूरत पड़ने पर
एक माँ भी
पिता का फर्ज निभाती है
और
पिता भी माँ का
पता नहीं
यह अलौकिक शक्ति
कहाँ से आती है
बच्चे होते हुए
हमें कद्र नहीं होती
माँ बाप की
जब हम भी
माँ बाप होते तो
बच्चे करते नहीं
कद्र हमारी
ये सिलसिला चलता आ रहा है
सब कुछ मालूम होते हुए भी
हम खुद को
पतन के रास्ते
ले जा रहे हैं
हे राम
पता नहीं क्यों
हम ऐसा
करते जा रहे हैं
ज़िन्दगी जन्नत है उनकी
जिन्होंने माँ बाप के
सिखाये रास्तों पे चला है
जिस तरह
राम जी हमारा
बुरा नहीं कर सकते है
ठीक उसी तरह
माँ बाप हमारा
बुरा नहीं कर सकते है
गुलाबों की तरह
महक जाओगे
ग़र माँ बाप के
संस्कारों को
अपनाओगे
ये रिश्ता
गजब है जनाब
तकलीफ तुम्हारे
देह को होगी
पर दर्द माँ बाप को
महसूस होगी
यार कृष्ण भी
श्री कृष्ण तो
माँ बाप से ही
बने है
राम भी
श्री राम
माँ बाप से ही
बने है
तुम भी
बन सकते हो
हम भी
बन सकते हैं
महान
ग़र ख्याल रख लिया
माँ बाप का तो
एहसानों वाला नहीं
प्यार वाला
माँ बाप के रहते
ना किसी ने
परेशानी देखी
ना देखा मुसीबतें
जब गुजरें
माँ बाप तो
ना रहा
चेहरे पर मुस्कान
क्यों मंदिरों मस्जिदों में ईश्वर,
अल्लाह को खोजते हो
घर में सेवा
माँ बाप कि कर के
तो देखो
पीछे पीछे
हरि फिरते दिखेंगे
वो माँ
पुराने ख्यालातों
कि लगती है
जिसने तुम्हें
काबिल बनाने के लिए
अपने माँ बाप के
दिए जेवर गिरवी
रख दिये थे
क्यों अपने शब्दों से
उनके सिने को
छलनी करते हो
जड़ों को काटोगे
तो फल कहां से होगें
पानी सींचों जड़ में
माँ बाप को
गले लगा देखो
सारी अलाएं – बलाएं
चलीं जाएगी
और हरि पीछे पीछे
आ जाएगे
दवाओं में भी
वो असर नहीं है
जो माँ बाप की
दुआओं में है
जग की
कितनी भी
सवारी क्यों ना कर लो
बाप के
घोड़े की
सवारी कहीं नहीं मिलेगी
कितनी भी
महंगे तकिये में
क्यों ना सो लो
माँ के गोद जैसे
सुख कहीं नहीं मिलेगा
सिखाते है
माँ बाप मुझको
रखो ना गाँठ
तुम मन में
ना तन में
ग़र जीना है
तुमको खुल के
तो ना मान दिया
ना दिया कभी अपमान
माँ – बाप ने
बस सिखाया
है जहर कि पुड़िया
ये मान – अपमान
हर हाल में
मुस्कुराना सिखाया है
हर हाल में
जीना सिखाया है
कभी बोझ नहीं
समझा है
हमें माँ – बाप ने

पर ना जाने क्यों
हमें माँ – बाप
बोझ लगते हैं
बच्चे माँ – बाप के साथ
अब नहीं रहतें
बल्कि अब माँ – बाप
बच्चों के साथ रहते हैं
अपनी चाहतों को
राख बनातें हैं
इच्छाओं को
खाक करते हैं
वो और कोई नहीं
हमारे अपने
माँ – बाप होते हैं
ज़रा – जरा सी
बात पर वो
साथ छोड़ देते हैं वो
मतलब रिश्तेदार, दोस्त, साथी
पर एक माँ – बाप ही हैं
जो शरीर छोड़ने के बाद भी
साथ नहीं छोड़तें
धन लाख करोड़
तूने क्यों ना कमाया हो
पर माँ – बाप को भुला
तूने सब कुछ गवाया है
ज़रा सोचो ना
वो घर कैसा होगा ?
जिसकी आँगन सुनी होगी
रसोई में बरतन टकराने की
आवाज तक नहीं आएगी
देर से उठने पर
डॉट नहीं पड़ेगी
आँचार बाजार से
खरीद खाना होगा
यार बेजान – सी लगेगीं
वो घर
कल्पना मात्र से
रूह काँप उठती है
शौक तो बाप की
कमाई से पूरी होती है
खुद के पैसे से तो
बस जरूरतें ही
पूरी हो सकती हैं
ताउम्र बचपन
रह जाएगा
ग़र तू माँ – बाप संग
ज़िन्दगी बिताएगा
वो कहते हैं ना
उमर का फासला है
या कहूँ तो
उमर का फैसला है
हर किसी ने अपनों पर
अपना अधिकार जमाया है
बड़े होकर
हर चिड़िया ने
अपना रास्ता बनाया है
अरे ओ जनाब
यह कोई
सपना नहीं है
माँ बाप सा
कोई अपना नहीं है
महादेव जी की पइयाँ
पड़ी थी तेरी माँ ने
पाने को तुझको
पर तूने…….
यार
लगा के देखो ना गले
तुम एक बार
खुशियाँ मिलेगीं तुझको
अपरम्पार
मैं कैसे करूँ ना
भरोसा उनका
जिन्होंने पाला तुमको है
और तूने उसे ही
निकाला घर से है
यक़ीनन तुम
जमाने के नजरों में
अच्छे रहो या
ना रहो
पर अपने
माँ – बाप के नजरों में
कभी बुरा
बन के ना रहो
हजारों जिम्मेदारियों
को त्याग देना
पर माँ – बाप को
छोड़ शहर के तरफ
पाँव मत बढ़ा देना
एक उमर तो
बितने दो जनाब
खुद – ब – खुद
एहसास हो जाएगा
अकड़ना कभी
सिखाया नहीं इन्होंने
ना झुकना
सिखाया कभी
सिखाया तो सिर्फ
अपनी मौज में रहना
एक वाक्या
याद आ रहा है
रात को वो
आ ही गई थी
मुझको साथ
ले जाने वाली ही थी
दवा ने भी
अपना असर है छोड़ा था
दर्द ने जो
साथ पकड़ा था
काफी दिनों के बाद
मेरे दिल में दर्द उठा था
बाहर पेड़ – पौधे बारिश में
भीग रहे थे
इधर मैं पसीने से
भीगा हुआ था
नींद तो ऐसी रुठी थी
दवा लेने के बाद भी
मुझसे दूर बैठी थी
हर कोई श्री कृष्ण के
जन्म की तैयारियाँ कर रहा था
मैं लेट अपनी धड़कनों को
गिन रहा था
पर माँ वो तुम ही थी ना
जिसने श्रीकृष्ण के मूर्ति की
पूजा छोड़
“वासुदेवम् स्त्रं इति “
( वासुदेव तो हर जगह है )
मुझे गोद में सुलाया था
मेरे दिल पर हाथ रख
“गोविंद हरे गोपाल हरे”
“जय जय प्रभु दिन दयाल हरे”
गाकर मेरे दर्द को दूर कर रहीं थीं
माँ तेरे थपकियों ने ही
मुझको सुलाया था
कल तक चलना तो दूर
मुँह से आवाज तक नहीं ले पा रहा था
पर माँ
तेरे प्रेम और वात्सल्य में जादू था जादू
अगले ही दिन
मैं बैठ ये चार पंक्तियाँ लिख रहा था
वो कहते है ना
ये कैसा है जादू
समझ में ना आया
तेरे प्यार ने हमको
जीना सिखाया

To Read my old Valentine Post👇

Divine Love

Rose Day

Think About Valentine Day

Prem Diwas

Gulab

Author:

I am Ashish Kumar. I am known as Shanky. I was born and brought up in Ramgarh, Jharkhand. I have studied Electronics and Communication Engineering. I have written 10 books. I have come to know so much of my life that life makes me cry as much as death. Have you heard that this world laughs when no one has anything, if someone has everything, this world is longing for what I have, this world. Whatever I am, I belonged to my beloved Mahadev. What should I say about myself? Gradually you will know everything.

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