
Shanky❤Salty
तुझे देखने के लिये ही
मंदिरों में भीड़ लगती है
हमनें तो तुझे
हृदय मंदिर में ही देख लिया है ।
तुझे पाने के लिए लोग काबा गये
हमनें तो तुझे इंसानों में ही देख लिया है ।
कहाँ खोजूं मैं तुझे कहाँ तू नहीं है
वो ज़गह ही नहीं है जहाँ तू नहीं है
खाने वाला भी तू खिलाने वाला भी तू
बरसाने वाला भी तू भीगनें वाला भी तू
सुनने वाला भी तू सुनाने वाला भी तू
जीवन देने वाला भी तू लेने वाला भी तू
ओ सुनने वाले ज़रा मुझ पर यूँ रहम अदा फ़रमा दो
इस काया को मिट्टी में मिला कर मुझे खुद में मिला दो…!!
Very well expressed…the ultimate truth….God is in every being …every thing….
Stay blessed 🙏😇
LikeLiked by 2 people
Yes Shree Krishan Said that, “I am the origin of all creation. Everything proceeds from me.”
Thank You very much Krish for your constant support 💕🤗
Jai Shree Krishna😇😇
LikeLiked by 2 people
Jai Shree Krishna Shanky..🙏🙏
LikeLiked by 2 people
🤗🤗🤗
LikeLiked by 2 people
दार्शनिक व आध्यात्मिक भावों से पूर्ण रचना 👌🏼👌🏼अहम का त्याग करने पर ही शांन्ति व
प्रसन्नता की प्राप्ति होती हैं, सुंदर संदेश 👏👏😊
LikeLiked by 3 people
सही कहा दीदी, “जिसमें अहम ना हो उसे ही जीवन में अहमियत देनी चाहिए”
दीदी आपके निरंतर सहयोग और प्रोत्साहन के ह्रदय से आभार 💕😇
LikeLiked by 3 people
Bohut acha.. pehli 2 line 👌👌
LikeLiked by 2 people
Sirf do line hi achi hai😥
LikeLiked by 3 people
sari achi hai..
vo 2 line mein bht bdi baat thi isliye kaha
LikeLiked by 2 people
Oh😯😯Aisi baat hai😅😅
Thank you sister 🙏
Btw, mai acha likhta hu na? 😛
LikeLiked by 3 people
😄😄bilkul
LikeLiked by 2 people
😁😁😁
LikeLiked by 2 people
बेहद सुंदर अपनी भावनाओं को प्रकट किए हों। 👌👌👍👏👏👏💐
LikeLiked by 3 people
पसंद करने के लिए ह्रदय से आभार आण्टी 💕😇
LikeLiked by 3 people
सुखी भव।😊💐
LikeLiked by 3 people
🤗🤗🤗
LikeLiked by 1 person
beautiful
LikeLiked by 3 people
Thank you🙏😊
LikeLiked by 2 people
Umda
LikeLiked by 3 people
💕🤗
LikeLiked by 1 person
Ek aur Behtarin rachna…….
ओ सुनने वाले ज़रा मुझ पर यूँ रहम अदा फ़रमा दो
इस काया को मिट्टी में मिला कर मुझे खुद में मिला दो…!!
jaldbaaji men likh diyaa kuchh jo mann men aayaa…..kamiyan bahut hai phir bhi prastut hai,,……
ऐ मेरे ईश्वर,
तुम कहाँ नहीं हो,
तुम तो मुझमें भी हो,
फिर भी तुझे ढूंढने को बेताब क्यों हैं,
मैं जिसे ईश्वर कहता वही सत्य,
सभी ऐसा मानें लोग परेशान क्यों हैं,
तेरा रूप रंग वेश भूषा कैसा है हम नहीं जानते,
तुमने मुझे गढ़ा
और मैंने
जैसा सोचा वैसा तेरा रूप दे दिया,
ये जानते हुए भी की तुम निराकार है,
मैंने तेरा सानिध्य तेरा पाने को तेरा आकार दे दिया,
जैसे तुम मुझे आकार दिया
ताकि मैं कुछ बोल सकूँ,
कुछ कर सकूँ,
और किसी से मिल सकूँ,
जैसे तुम अविनाशी परमात्मा,
वैसे ही मैं तेरा ही अंश आत्मा,
मैं भी नाशवान नहीं,
ये जानते हुए भी लोग आपस में लड़ते,
एक दूजे पर अपना मत रखते,
लोग सत्य से अनजान क्यों हैं|
LikeLiked by 2 people
दाग तो लोग चाँद में भी देख लेते है
पर बेदाग नजरीयाँ तो रामजी ने हमें दिया है
हम तो भावनाओं के भुखें है
दो शब्द मिल जाए पढ़ने को
इस आस में हम हर दिन जीते है
बहुत बहुत सुन्दर लिखा है आपने अंकल। ये शब्द आत्मा से निकली है और मेरे दिल को छु गई है। सब कुछ जान कर भी हम सत्य से मुँह मोड़ बैठे है।
LikeLiked by 1 person
वाह। क्या बात है। 👌👌
LikeLiked by 1 person
🤗🤗🤗
LikeLike
Wah .. bahut sahi likha hai aapane
LikeLiked by 3 people
Thank you dear💕😊
LikeLiked by 1 person