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हाथों में पतंग लेकर…….!!!!

January 14, 2021
Shanky❤Salty
खुशियाँ किसी चीज या वस्तु की मोहताज़ नहीं होती
खुशियों को तो बस बहाना चाहिए
हाथों में पतंग लेकर
आसमान को छूना है
हर ख़्वाब को एक दिन पूरा करना है
ज़िन्दगी कि डोर में प्यार का माँझा हम चढ़ाएँगे
ईर्ष्या की पतंग को काट हम गिराएगें
तिल गुड़ खा कर हर रिश्ते से कड़वाहट हम मिटाएंगे…

Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- A Wonderful Writer Radha Agarwal

Author:

I am Ashish Kumar. I am known as Shanky. I was born and brought up in Ramgarh, Jharkhand. I have studied Electronics and Communication Engineering. I have written 10 books. I have come to know so much of my life that life makes me cry as much as death. Have you heard that this world laughs when no one has anything, if someone has everything, this world is longing for what I have, this world. Whatever I am, I belonged to my beloved Mahadev. What should I say about myself? Gradually you will know everything.

15 thoughts on “हाथों में पतंग लेकर…….!!!!

  1. प्रिय ShankyalSalty

    ब्लिस
    अच्छे लोगों के लिए है
    चुने हुए लोग, बहादुर
    खुशी इन लोगों के लिए है
    एक अनुग्रह के रूप में दिया एक की आत्मा की ओर से उपहार

    मेरे पास मेरी पतंगें हैं
    बजे बेहोश हो गए
    मैं अपने बुराई पर कोई शक्ति है
    मेरे हाथ में नहीं

    महान लोग
    अजगर को हराने कर सकते हैं
    और मेरे ऊपर स्वर्ग से
    मुझे एक अनावश्यक बुराई के रूप में देखें

    मैं अपने सपने का पालन करता हूं
    मेरे बचपन से
    शब्द से
    प्यार मैं कुछ नहीं जानता

    केवल श्रेष्ठता से
    महाशक्तिशाली
    मेरे अंदर
    और वहाँ से बाहर
    हमारी दुनिया में
    मेरे व्यक्तिपरक क्षण में

    कड़वी रोटी
    मेरा दैनिक राशन है
    मेरे अस्तित्व के लिए

    सादर
    हंस

    Liked by 2 people

      1. शुभ दोपहर, श्रीमती महाविश

        आप अद्भुत कहानियां लिखते हैं, मैं जो कह सकता हूं उसकी सराहना करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

        सादर
        हंस गामा

        Liked by 1 person

  2. शानदार। बहुत ही खूबसूरत रचना।👌👌

    सोचता हूँ कुछ,
    करता हूँ कुछ और,
    और ख्वाहिशें कुछ और है पाने की,
    खुद को ऊँचा उठाने की,
    और औरों को
    नीचे गिराने की।
    जबतक ये सोच मन मे रहेगी,
    प्रेम की गंगा कैसे बहेगी,
    ईर्ष्या ही जड़ दुख का उसको मिटा दो,
    प्रेम की डोरी,प्रेम का पतंग,
    प्रेममय हवा है संग संग उड़ा दो,
    प्रेममय हवा है संग संग उड़ा दो।

    Liked by 1 person

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