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अर्थहीन सी दुनिया…..!!!!

November 26, 2020
Shanky❤Salty
अर्थहीन दुनिया लगती है
ज़िन्दगी भी अब मुझको व्यर्थ सी लगती है
ख़ुद का अस्तित्व ढूंढनें में मुझको असमर्थता सी महसूस होती है
मेरी हर कोशिश ना जाने क्यों व्यर्थ सी होती है
हर पल लोग खफ़ा हो जाते हैं
हर ज़गह हम असफल हो जाते हैं
आँखे बंद करते हीं आँखों से आँसू बह जाते हैं
एक-दूजे से इंसान जलता ही जाता है
मुट्ठी में रेत की तरह समय बीतता जाता है
व्यर्थ की चिंता कर मनुष्य एक दिन अर्थी पर लेट ही जाता है

Written by:- Ashish Kumar
Modified by:- A Wonderful Writer Radha Agarwal

Author:

I am Ashish Kumar. I am known as Shanky. I was born and brought up in Ramgarh, Jharkhand. I have studied Electronics and Communication Engineering. I have written 10 books. I have come to know so much of my life that life makes me cry as much as death. Have you heard that this world laughs when no one has anything, if someone has everything, this world is longing for what I have, this world. Whatever I am, I belonged to my beloved Mahadev. What should I say about myself? Gradually you will know everything.

22 thoughts on “अर्थहीन सी दुनिया…..!!!!

  1. मुट्ठी में रेत की तरह समय बीतता जाता है
    व्यर्थ की चिंता कर मनुष्य एक दिन अर्थी पर लेट ही जाता है
    Loved this.

    Liked by 1 person

  2. क्या बात।👌👌👌

    दुख-सुख,
    हानि-लाभ,
    रूठना-मनाना,
    कभी रोना,
    कभी मुस्कुराना,
    चलता रहा वक़्त,
    चलते रहे हम,
    सूरज की तरह सारी जिंदगी दहकते रहे,
    उसने जग को रौशन किया
    और हम
    खुद को रौशन करते रहे,
    भूल गए डूबते सूरज को देखकर भी
    कि हमें भी एक दिन
    इस दुनियाँ से दूर जाना है,
    कदम भी उस ओर ही अग्रसर
    सजकर तैयार डोला
    जिसपर जाकर लेट जाना है।

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  3. दुख-सुख,हानि-लाभ,
    रूठना-मनाना,
    कभी रोना,
    कभी मुस्कुराना,
    चलता रहा वक़्त,
    चलते रहे हम,
    सूरज की तरह सारी जिंदगी दहकते रहे,
    उसने जग को रौशन किया
    और हम
    खुद को रौशन करते रहे,
    भूल गए डूबते सूरज को देखकर भी
    कि हमें भी एक दिन
    डूब जाना है,
    कदम भी उस ओर ही अग्रसर
    सजकर तैयार डोला
    जिसपर जाकर लेट जाना है।
    अर्थहीन नही ये जीवन,
    इतना खुद को समझा न सके,
    क्या खोए,क्या पाए
    खोए रहे इसी में,
    इससे दूर खुद को हटा ना सके।

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      1. धन्यवाद आपका। आपकी रचना पढ़कर आज कई रचनाएं मेरी बन गई। आपकी रचनाएँ प्रेरित करती है लिखने को क्योंकि शब्द रूह को छू जाते हैं जो आप कहना चाहते हैं। यूँ ही लिखते रहिये।

        Liked by 1 person

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