October 19, 2017
Shanky❤Salty
दीपों की फिर एकता
देखो लाई रंग
अंधकार मारा फिरे
दीपक जीते जंग
ज्योति-पर्व ने दोस्तो
रखे इस तरह पाँव
झिलमिल-झिलमिल कर उठे
गली-मुहल्ले-गांव
ज्योति-पर्व वंदन करें
शत-शत करे प्रणाम
अंधियरों की साजिशें
तुमने कि नाक़ाम
अंधकार की एक भी
साजिश चली न आज
झिलमिल दीपक जल रहे
सच के सर पर ताज
राम तुम्हारी वापसी को
तरसें ये नैन
गली-गली रावण उगे हैं
जन-जन बेचैन
ज्योति-पर्व पर दोस्तो लें
संकल्प विशेष
जैसे अंधियारा मिटा
मिटे ह्रदय से द्वेष
जीवन की संभावना
कभी ना हो अवरुद्ध
एक दीप करता सदा
अंधकार से युद्ध
Khubsurat…..Ek deepak andhkaar se tabtak ladta hai……Jabtak usme jaan hota hai…..Dipawali hame jeena sikhaata hai.
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Bilkul sahi kaha Sir
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Deepawali ke subh awasar pe yaad aapki aaye,
Shabd shabd jhod kar deta tumhe badhai……
Bahut khoob likha hai tune.. mast👌
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Thank you so much my lovely crime partner❣
And same to you bhaai💐😊
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